नेपाल में हाल ही में राजशाही की बहाली और देश को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग तेज हो गई है। इस मुद्दे पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें हिंसा भी देखने को मिली। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।
राजशाही शासन
नेपाल 2008 तक एक राजशाही शासन वाला देश था, लेकिन बाद में इसे लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, अब एक बार फिर से राजशाही के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और देश में पुराने शासन को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग क्यों हो रही है?
नेपाल में इस मांग के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1. अस्थिर राजनीतिक स्थिति
- 2008 में गणराज्य बनने के बाद से अब तक नेपाल में 14 बार सरकारें बदली हैं।
- कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है, जिससे लोगों का विश्वास कम हुआ है।
2. बढ़ता भ्रष्टाचार
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल नेपाल में भ्रष्टाचार 58% बढ़ा है।
- आम जनता को लगता है कि राजशाही में भ्रष्टाचार कम होगा।
3. आर्थिक मंदी और बेरोजगारी
- नेपाल में बेरोजगारी दर बढ़ रही है, जिससे हजारों युवा विदेश पलायन कर रहे हैं।
- व्यापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) तेजी से बढ़ा है, जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है।
4. हिंदू राष्ट्र की मांग
- नेपाल में 81% से ज्यादा आबादी हिंदू है।
- 2008 में जब देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया गया, तब से हिंदू राष्ट्र की मांग उठ रही है।
क्या नेपाल में राजशाही की वापसी संभव है?
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल में राजशाही की वापसी संभव नहीं है।
- नेपाल की जनता लोकतंत्र को स्वीकार कर चुकी है।
- नेपाल में अलग-अलग जातीय और धार्मिक समूह हैं, जो लोकतंत्र को समर्थन देते हैं।
- भारत जैसे पड़ोसी देश भी नेपाल में लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही समर्थन देते हैं।
हालांकि, यह मुद्दा नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और भविष्य में नेपाल की राजनीति किस दिशा में जाती है।
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