नई दिल्ली, 22 मार्च 2025: नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने और धोखाधड़ी रोकने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। इसके तहत यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
खबर है कि NPCI अब UPI के नियमों में कुछ अहम बदलाव लाने की तैयारी में है। इसमें ‘पुल ट्रांजैक्शन’ सुविधा को बंद करने की योजना है। इस प्रस्ताव पर NPCI बैंकों के साथ चर्चा कर रहा है। अगर यह सुविधा बंद होती है, तो UPI से जुड़े साइबर फ्रॉड में कमी आने की उम्मीद है।

- पुल ट्रांजैक्शन: जब कोई दुकानदार या सेवा प्रदाता (मर्चेंट) ग्राहक से सामान या सर्विस के बदले पेमेंट के लिए अनुरोध भेजता है, तो इसे पुल ट्रांजैक्शन कहते हैं। इसमें राशि पहले से तय होती है और ग्राहक को सिर्फ UPI पिन डालना पड़ता है। मर्चेंट में ऑनलाइन स्टोर, बिजली कंपनियाँ, या रिचार्ज सर्विस शामिल हैं।
- पुश ट्रांजैक्शन: जब ग्राहक खुद QR कोड स्कैन करके या नंबर डालकर पैसे भेजता है, तो यह पुश ट्रांजैक्शन कहलाता है। इसमें ग्राहक राशि खुद तय करता है।
सवाल: ‘पुल ट्रांजैक्शन’ बंद होने से यूजर्स को क्या लाभ होगा?
जवाब: NPCI इस सुविधा को बंद करने पर बैंकों से विचार-विमर्श कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह चर्चा अभी शुरुआती दौर में है। इसका मकसद साइबर ठगी को कम करना है, जिससे यूजर्स के खाते सुरक्षित रहें।
सवाल: क्या ऑनलाइन सदस्यता और बिल भुगतान प्रभावित होंगे?
जवाब: हाँ, पुल ट्रांजैक्शन बंद होने से ऑटो-डेबिट वाली सेवाओं पर असर पड़ेगा। अभी लोग बिजली बिल, फोन रिचार्ज, या गैस जैसी सेवाओं के लिए ऑटो-डेबिट सेट करते हैं, जिससे हर महीने अपने आप पैसे कट जाते हैं। इसके खत्म होने पर यूजर्स को हर बार खुद पेमेंट करना होगा।
सवाल: ऑटो-डेबिट वाली सेवाएँ अब कैसे चलेंगी?
जवाब: अगर यह सुविधा बंद होती है, तो ऑटो-डेबिट में बदलाव आएगा। बिजली बिल, OTT सदस्यता, लोन EMI, बीमा प्रीमियम, SIP, और म्यूचुअल फंड जैसी सेवाओं के लिए अब हर बार यूजर को UPI नोटिफिकेशन या SMS से पेमेंट की मंजूरी देनी होगी। बैंकिंग ऐप्स में ऑटो-डेबिट का विकल्प रहेगा, लेकिन हर बार अनुमति जरूरी होगी।
सवाल: मर्चेंट और ग्राहकों के बीच लेन-देन पर असर?
जवाब: साइबर विशेषज्ञ ईशान सिन्हा के मुताबिक, कई मर्चेंट्स सदस्यता शुल्क, EMI, या मासिक सेवाओं के लिए UPI ऑटो-डेबिट पर निर्भर हैं। इसके बंद होने से उन्हें हर बार ग्राहक से मंजूरी लेनी पड़ेगी। इससे लेन-देन में देरी हो सकती है और मर्चेंट्स को ग्राहकों को खुद याद दिलाना होगा।
सवाल: पुल ट्रांजैक्शन की जगह क्या आएगा?
जवाब: इस सुविधा के बंद होने से पेमेंट सिस्टम सुरक्षित होगा, लेकिन नए तरीके अपनाने होंगे। कंपनियों को वैकल्पिक समाधान ढूंढने की जरूरत पड़ेगी।
सवाल: क्या NPCI कोई सुरक्षित ऑटो-डेबिट फीचर लाएगा?
जवाब: सुरक्षित ऑटो-डेबिट के लिए e-KYC सेतु सिस्टम एक विकल्प हो सकता है। यह सिस्टम आधार-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग करता है, जो ग्राहक की पहचान को सुरक्षित तरीके से सत्यापित करता है। इसके फायदे हैं:
- आधार नंबर साझा किए बिना सत्यापन।
- कागजी प्रक्रिया से छुटकारा।
सवाल: यूजर्स अपने खाते को कैसे सुरक्षित रखें?
जवाब: इस बदलाव के बाद यूजर्स को सावधानी बरतनी होगी ताकि उनके खाते से अनचाहे पैसे न कटें। यहाँ कुछ सुझाव हैं:
- बैंक और UPI ऐप में SMS/ईमेल अलर्ट चालू करें।
- संदिग्ध लेन-देन पर तुरंत बैंक को सूचित करें।
- UPI ट्रांजैक्शन की सीमा तय करें।
- बड़ी राशि के लिए OTP या पिन अनिवार्य करें।
- हर महीने बैंक स्टेटमेंट चेक करें।
- अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- केवल आधिकारिक ऐप स्टोर से UPI ऐप डाउनलोड करें।
- अनावश्यक ऑटो-डेबिट सेवाएँ बंद करें।
- लिंक किए गए खातों की जाँच करें और अतिरिक्त खाते हटाएँ।
इस बदलाव से UPI सुरक्षित तो होगा, लेकिन यूजर्स और मर्चेंट्स को नई व्यवस्था के साथ तालमेल बिठाना होगा। NPCI का यह कदम डिजिटल पेमेंट को और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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