प्रकाशन तिथि: 05 अप्रैल 2025, सुबह 08:14 बजे PDT
भारत में पुलिस का गलत व्यवहार कोई नई बात नहीं है। ये तो ऐसा है जैसे बारिश में बिजली चली जाए, सरकारी दफ्तर में “कल आना” सुनाई दे, या वॉट्सऐप पर झूठी खबरें वायरल हों। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी ने साफ कर दिया है कि पुलिस की मनमानी और नागरिकों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा। कोर्ट ने सभी राज्यों के DGP को सख्त हिदायतें दी हैं कि कानून का पालन हर हाल में हो।
आज हम इस लेख में समझेंगे कि पुलिस कानून कैसे तोड़ती है, गिरफ्तारी और हिरासत में आपके क्या अधिकार हैं, और क्या सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी से पुलिस में बदलाव आएगा। चलिए, सवाल-जवाब के जरिए इसे आसानी से जानते हैं।
सवाल-1: सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को क्यों फटकार लगाई?
जवाब: ये मामला 2023 का है, जब हरियाणा पुलिस ने विजय पाल यादव को अपने पड़ोसी से झगड़े के आरोप में पकड़ा। लेकिन गिरफ्तारी में कानूनी नियमों की धज्जियां उड़ा दी गईं। विजय के भाई ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, तो उल्टा पुलिस वाले नाराज हो गए और थाने में विजय की पिटाई कर दी। बाद में FIR दर्ज हुई।
विजय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका डाली, लेकिन 12 जनवरी 2023 को उनकी अर्जी खारिज हो गई। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 26 मार्च 2025 को जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, “आम इंसान से गलती हो सकती है, लेकिन पुलिस से नहीं।” सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी साफ थी कि अपराधी के साथ भी कानून के दायरे में रहना जरूरी है।

सवाल-2: सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को क्या हिदायतें दीं?
जवाब: कोर्ट ने चार बड़े निर्देश दिए:
- सख्त निगरानी: सभी DGP यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और कोई पुलिसवाला अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करे।
- कानूनी व्यवहार: अपराधी हो या आम नागरिक, उसके साथ कानून के मुताबिक ही पेश आया जाए।
- भरोसा बनाए रखें: पुलिस समाज की सुरक्षा का अहम हिस्सा है, इसलिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है।
- चेकलिस्ट में सावधानी: गिरफ्तारी के दौरान कागजी कार्रवाई ढंग से हो, मशीनी तरीके से चेकलिस्ट न भरी जाए।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी में साफ कहा गया कि नियम तोड़ने की कीमत चुकानी पड़ेगी।
सवाल-3: गिरफ्तारी के नियम क्या हैं?
जवाब: अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 लागू है, जो पहले की CrPC 1973 की जगह ले चुकी है। इसमें गिरफ्तारी की प्रक्रिया को साफ किया गया है। पुलिस को गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी, परिवार को सूचना देनी होगी, और पूछताछ की रिकॉर्डिंग जरूरी है। बिना वारंट के गिरफ्तारी सिर्फ गंभीर अपराधों में ही हो सकती है, जैसा कि BNSS की धारा 35 में लिखा है।
सवाल-4: पुलिस कानून कैसे तोड़ती है?
जवाब: कई बार पुलिस नियमों को ताक पर रख देती है। कुछ बड़े मामले देखिए:
- पंकज बंसल केस (2023): ED ने बिना लिखित कारण बताए पंकज को गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध ठहराया।
- अर्नेश कुमार केस (2014): बिना जांच के गिरफ्तारी हुई, कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई।
- जोगिंदर कुमार केस (1994): बिना वजह पकड़ा गया, कोर्ट ने व्यक्तिगत आजादी की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी हर बार यही रही कि कानून का पालन जरूरी है।
सवाल-5: आपके अधिकार क्या हैं?
जवाब: पुलिस की गलत कार्रवाई के खिलाफ आपके पास ये 8 अधिकार हैं:
- गिरफ्तारी की वजह जानने का हक।
- 24 घंटे में कोर्ट में पेश किया जाए।
- परिवार को सूचना देना अनिवार्य।
- वकील से मिलने का अधिकार।
- मेडिकल जांच का हक।
- अमानवीय व्यवहार से सुरक्षा।
- महिला को रात में गिरफ्तारी से छूट (विशेष परिस्थिति छोड़कर)।
- शिकायत दर्ज करने का अधिकार।
सवाल-6: अधिकार होने के बावजूद पालन क्यों नहीं होता?
जवाब: पूर्व DGP विक्रम सिंह कहते हैं:
- लोग अपने अधिकारों से अनजान हैं।
- शिकायत दर्ज ही नहीं होती।
- पुलिस अपने लोगों को बचाती है।
- नागरिकों को लगता है कि उनके पास कोई चारा नहीं।
विक्रम सिंह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी सही दिशा में कदम है, लेकिन जमीनी बदलाव के लिए और काम चाहिए।
सवाल-7: क्या अब पुलिस सुधरेगी?
जवाब: कोर्ट ने DGP को चेताया कि गलती दोबारा हुई तो सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन विक्रम सिंह कहते हैं कि पुलिस पर काम का बोझ, कर्मचारियों की कमी, और खुद को “सुपरहीरो” समझने की सोच सुधार को मुश्किल बनाती है। सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी तभी कामयाब होगी, जब इन समस्याओं का हल निकले।
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