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इलाहाबाद हाईकोर्ट रेप केस जमानत: छात्रा को ठहराया जिम्मेदार, आरोपी रिहा | New PaperDoll

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट रेप केस जमानत: छात्रा को ठहराया जिम्मेदार, आरोपी को दी राहत

प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक रेप केस में चौंकाने वाला फैसला सुनाया। कोर्ट ने एक छात्रा से जुड़े दुष्कर्म मामले में आरोपी को जमानत दे दी और पीड़िता को ही उसकी मुसीबत का जिम्मेदार ठहराया। यह मामला सितंबर 2024 का है। कोर्ट का कहना था कि सेक्स दोनों की सहमति से हुआ था। आइए, इस मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

क्या है पूरा मामला?

गौतमबुद्धनगर की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एमए की छात्रा ने 1 सितंबर 2024 को नोएडा के सेक्टर 126 थाने में रेप की शिकायत दर्ज की थी। उसने बताया कि वह अपने पीजी हॉस्टल में रहती है। 21 सितंबर को वह अपनी दोस्तों के साथ दिल्ली घूमने गई। हौज खास में पार्टी के दौरान तीन लड़के उनके साथ शामिल हुए। इनमें से एक था निश्चल चांडक।

छात्रा के मुताबिक, सभी ने शराब पी और उसे बहुत नशा हो गया। रात 3 बजे निश्चल ने उसे अपने साथ चलने को कहा। बार-बार कहने पर वह तैयार हो गई। उसने आरोप लगाया कि निश्चल ने रास्ते में उसे गलत तरीके से छुआ और नोएडा के बजाय गुरुग्राम में अपने रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया। वहां उसने दो बार उसके साथ रेप किया। पुलिस ने शिकायत के बाद निश्चल को 11 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया था।

कोर्ट में क्या हुआ?

निश्चल चांडक ने जांच के दौरान जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी। सुनवाई में उसके वकील ने कहा कि पीड़िता बालिग है और अपनी मर्जी से बार गई थी। उसने शराब पी और रात 3 बजे तक वहां रुकी। वकील ने दावा किया कि छात्रा ने खुद निश्चल के साथ जाने का फैसला किया था।

सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया। जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा, “पीड़िता एमए की छात्रा है। वह अपने फैसलों की नैतिकता समझ सकती है। अगर उसके आरोप सच भी मान लें, तो उसने खुद मुसीबत को बुलाया और इसके लिए वह जिम्मेदार है।”

कोर्ट की टिप्पणी और फैसला

कोर्ट ने कहा, “मेडिकल जांच में पीड़िता का हाइमन टूटा हुआ मिला, लेकिन डॉक्टर ने यौन हिंसा की पुष्टि नहीं की।” जस्टिस संजय कुमार सिंह ने यह भी कहा कि सेक्स सहमति से हुआ था। कोर्ट ने अपराध की प्रकृति, सबूत और दोनों पक्षों की दलीलों को देखते हुए निश्चल को जमानत दे दी।

आरोपी ने कहा कि छात्रा को मदद चाहिए थी और वह अपनी मर्जी से उसके साथ गई थी। उसने रेप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सब सहमति से हुआ। कोर्ट ने माना कि निश्चल जांच में बाधा नहीं डालेगा और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। इसलिए उसकी जमानत मंजूर की गई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट रेप केस जमानत पर विवाद

यह पहली बार नहीं है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला चर्चा में आया हो। मार्च 2025 में कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि “स्तन दबाना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं है।” उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और हाईकोर्ट की टिप्पणी को “असंवेदनशील” बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी टिप्पणियां कानून और मानवता के खिलाफ हैं।

लोगों का क्या कहना है?

इस ताजा फैसले ने भी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग कोर्ट के फैसले से सहमत हैं, तो कुछ इसे पीड़ितों के प्रति असंवेदनशील मान रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट रेप केस जमानत का यह मामला सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड कर रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पीड़िता को दोष देना सही है?

निष्कर्ष

इलाहाबाद हाईकोर्ट रेप केस जमानत का यह फैसला एक बार फिर कानूनी और सामाजिक बहस का मुद्दा बन गया है। कोर्ट ने आरोपी को राहत दी, लेकिन पीड़िता पर की गई टिप्पणी ने कई सवाल खड़े कर दिए। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय जरूर बताएं।

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