नेपाल की राजधानी काठमांडू का थामेल इलाका पर्यटकों के लिए मशहूर है, लेकिन हाल के वर्षों में यह काठमांडू में सेक्स वर्क का केंद्र बन गया है। बीते 5 साल में सेक्स वर्कर्स की संख्या दोगुनी होकर 43,000 से 54,000 तक पहुंच गई है। थामेल की सड़कों पर हर 10 कदम पर एजेंट और सेक्स वर्कर्स दिखाई देते हैं, जो खुलेआम ग्राहकों की तलाश करते हैं। यह धंधा रात में और तेज हो जाता है, जब बार और पब से निकलने वाले पर्यटक इनके आसपास मंडराते हैं।
थामेल में खुलेआम चलता है धंधा
थामेल काठमांडू का सबसे चमकदार और जीवंत इलाका है, जहां विदेशी पर्यटक मशहूर बार-पब में मौज-मस्ती के लिए आते हैं। लेकिन जैसे ही रात होती है, यह इलाका काठमांडू में सेक्स वर्क का गढ़ बन जाता है। रात 11 बजे के बाद, जब दुकानें और रेस्टोरेंट बंद होने लगते हैं, सड़कों पर सेक्स वर्कर्स और उनके एजेंट सक्रिय हो जाते हैं। न्यू बस पार्क और रंग पार्क जैसे इलाकों में भी यही नजारा है।
यहां कोई तयशुदा रेड लाइट एरिया नहीं है, जैसे दिल्ली का जीबी रोड या मुंबई का कमाठीपुरा। इस वजह से सेक्स वर्कर्स सड़कों, बस अड्डों, और मार्केट क्षेत्रों में खुलेआम घूमती हैं। एजेंट पर्यटकों को “स्पा सेंटर” या “बूम-बूम” के नाम पर लुभाते हैं।
रागिनी की कहानी: मजबूरी ने बनाया सेक्स वर्कर
न्यू बस पार्क इलाके में हमारी मुलाकात 24 साल की रागिनी (बदला हुआ नाम) से हुई। उसने अपनी कहानी साझा की:
“मैं 5 साल से काठमांडू में सेक्स वर्क कर रही हूं। प्राइमरी स्कूल तक पढ़ी, फिर पढ़ाई छोड़ दी। गांव से काठमांडू आई, सोचा था नौकरी करूंगी, लेकिन काम नहीं मिला। एक रेस्टोरेंट में काम शुरू किया, जहां दोस्तों ने सेक्स वर्क के बारे में बताया। मजबूरी में मैंने यह काम शुरू किया।”
रागिनी ने बताया कि वह रोज शाम 4-5 बजे मेकअप करके थामेल या पार्क इलाकों में जाती है। एक दिन में 4-5 ग्राहकों के साथ समय बिताती है, जिनसे 1,000 से 2,000 नेपाली रुपये (700-1,400 भारतीय रुपये) मिलते हैं। वह सुबह 4-5 बजे घर लौटती है।
उसने कहा, “कोरोना के बाद कई लड़कियां इस काम में आईं। मेरे गांव से भी 4-5 लड़कियां हैं। आर्थिक तंगी और बेरोजगारी ने हमें यहां ला दिया।”
सुनीता लामा: ट्रांस वुमन सेक्स वर्कर की आवाज
थामेल में सुनीता लामा का नाम मशहूर है। 20 साल से ट्रांस वुमन सेक्स वर्कर के रूप में काम करने वाली सुनीता “मायको संसाद” (प्यार की दुनिया) नामक संस्था चलाती हैं। वह सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ती हैं। सुनीता ने बताया:
“मैं मधेस प्रदेश से हूं। गरीब और रूढ़िवादी परिवार में पैदा हुई। जन्म पुरुष शरीर में हुआ, लेकिन मेरी भावनाएं स्त्री की थीं। जेंडर सर्जरी के बाद 2004 में काठमांडू में सेक्स वर्क शुरू किया। मेरे परिवार का गुजारा इसी से चलता है।”
सुनीता ने कहा कि पहले पुलिस कम सख्त थी, लेकिन अब वसूली और घूसखोरी बढ़ गई है। वह चाहती हैं कि नेपाल में सेक्स वर्क को थाईलैंड की तरह नियंत्रित किया जाए, ताकि यह सुरक्षित हो और सेक्स वर्कर्स पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकें।
कानूनी स्थिति: सेक्स वर्क अपराध है या नहीं?
नेपाल में काठमांडू में सेक्स वर्क की कानूनी स्थिति अस्पष्ट है। कोई स्पष्ट कानून नहीं है जो सेक्स वर्क को अपराध घोषित करता हो। हालांकि, मानव तस्करी और परिवहन (नियंत्रण) अधिनियम 2007 के तहत सेक्स वर्क को मानव तस्करी की श्रेणी में रखा गया है। नेपाल क्रिमिनल कोड 2017 के अनुसार, सेक्स वर्क का प्रचार, विज्ञापन, या इसके लिए संपत्ति का उपयोग गैरकानूनी है।
पुलिस अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर मर्यादा से जुड़े कानूनों का हवाला देकर सेक्स वर्कर्स पर कार्रवाई करती है। एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने बताया कि थामेल में पुलिस की तैनाती के लिए भारी घूस दी जाती है, क्योंकि वहां सेक्स वर्क से हफ्ता वसूली होती है।
5 साल में सेक्स वर्कर्स की संख्या दोगुनी
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2015 में नेपाल में 24,000 से 28,000 सेक्स वर्कर्स थीं। 2020 तक यह संख्या बढ़कर 43,000 से 54,000 हो गई। काठमांडू में ही करीब 11,000 सेक्स वर्कर्स हैं। कोविड-19 के बाद बेरोजगारी और आर्थिक मंदी ने कई लड़कियों और ट्रांस समुदाय के लोगों को इस पेशे में धकेल दिया।
सुनीता लामा ने कहा, “कोविड के बाद कई लड़कियां इस काम में लौटीं या नई आईं। मेरी जानने वाली कई लड़कियां, जिन्होंने यह काम छोड़ दिया था, दोबारा लौट आईं।”
जोखिम भरा है यह काम
रागिनी ने बताया कि काठमांडू में सेक्स वर्क जोखिमों से भरा है। हर दिन अजनबी के साथ अकेले जाना आसान नहीं। कई ग्राहक हिंसक होते हैं। रागिनी के माथे पर एक चोट का निशान है, जो एक ग्राहक ने दीवार पर उसका सिर मारकर दिया। वह कहती हैं, “लोग हमसे नफरत करते हैं, इसलिए हिंसा करते हैं। हम कोशिश करते हैं कि परिचित होटलों में ही जाएं, ताकि खतरे में मदद मिल सके।”
सेक्स वर्क को अपराधमुक्त करने की मांग
नेपाल में सेक्स वर्क को अपराधमुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। सुनीता लामा और शांति तिवारी जैसे कार्यकर्ता इसके लिए लड़ रहे हैं। शांति का संगठन “सेक्स वर्कर एंड अलाइस साउथ एशिया” सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की वकालत करता है। वे कहते हैं, “सेक्स वर्क को नियंत्रित करने से सरकार को राजस्व मिलेगा और हम सुरक्षित माहौल में काम कर सकेंगे।”
एडवोकेट सुजन पंता का कहना है कि नेपाल में सेक्स वर्क को लेकर दोहरी नीति है। स्वास्थ्य मंत्रालय सेक्स वर्कर्स का डेटा जुटाता है, लेकिन गृह मंत्रालय इसे अपराध मानता है।
काठमांडू में सेक्स वर्क की हकीकत
काठमांडू में सेक्स वर्क एक ऐसी सच्चाई है, जो पर्यटकों की चमक-दमक के बीच छिपी है। यह न केवल आर्थिक मजबूरी और सामाजिक असमानता को दर्शाता है, बल्कि सेक्स वर्कर्स के अधिकारों और सुरक्षा के सवाल भी उठाता है। जब तक इसे नियंत्रित और अपराधमुक्त नहीं किया जाता, तब तक यह जोखिम भरा और असुरक्षित बना रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए स्थानीय समाचार स्रोतों पर नजर रखें।
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