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ब्लड ऑन द क्राउन फिल्म स्क्रीनिंग: भारत-माल्टा के 60 साल के संबंध का जश्न | New PaperDoll

ब्लड ऑन द क्राउन फिल्म स्क्रीनिंग: भारत-माल्टा के 60 साल के संबंध का जश्न

दिल्ली में ‘ब्लड ऑन द क्राउन’ फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग

दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 1 मई को ‘ब्लड ऑन द क्राउन’ फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत और माल्टा के बीच राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में हुआ। इस कार्यक्रम में 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड और माल्टा विद्रोह में अपनी जान गंवाने वाले सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

आयोजन के पीछे मकसद

इस महत्वपूर्ण आयोजन का प्रबंध इनेबल इंडिया फाउंडेशन और सोपान संस्था द्वारा किया गया। कार्यक्रम में माल्टा के उच्चायुक्त रूबेन गौसी ने अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, यूपीएससी सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस विशेष अवसर पर कला, संस्कृति और सिनेमा क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

“संबंधों को और मजबूत बनाने का प्रयास”

कार्यक्रम के दौरान सोपान की संस्थापक और पूर्व राजदूत मोनिका कपिल मोहता ने कहा, “आज हम भारत और माल्टा के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हम भविष्य में हर क्षेत्र में और गहरे संबंधों की दिशा में अग्रसर हैं। हमने सोचा कि इस फिल्म की स्क्रीनिंग के माध्यम से हम इस दिशा में अपनी छोटी सी भूमिका निभा सकते हैं।”

‘ब्लड ऑन द क्राउन’: माल्टा के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी

‘ब्लड ऑन द क्राउन’ फिल्म जून 1919 में हुए माल्टा विद्रोह पर आधारित है। यह घटना भारत के जलियांवाला बाग हत्याकांड (अप्रैल 1919) के लगभग दो महीने बाद घटित हुई थी। इन विद्रोहों के बाद ही दोनों देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों को नई दिशा मिली थी।

फिल्म के बारे में

डेविड फेरारियो के निर्देशन में 2021 में बनी यह फिल्म ब्रिटिश शासन से माल्टा की आजादी के संघर्ष को दर्शाती है। फिल्म की कहानी प्रथम विश्व युद्ध के बाद माल्टा में उभरे जन विद्रोह और ब्रिटिश सेना की कार्रवाई पर केंद्रित है। इस विद्रोह के दौरान 100 से अधिक नागरिकों को दोषी ठहराकर जेल भेजा गया था, जो बाद में स्वतंत्रता के प्रतीक बन गए। यह फिल्म आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर नायकों की अद्भुत कहानी प्रस्तुत करती है।

दो देशों की स्वतंत्रता की समानांतर यात्रा

कार्यक्रम में यह भी रेखांकित किया गया कि भारत और माल्टा दोनों ही देशों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लंबा संघर्ष किया था। दोनों देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों में कई समानताएं हैं, जिन्हें इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है। इस विशेष स्क्रीनिंग के माध्यम से भारत और माल्टा के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया। दोनों देशों के बीच फिल्म, कला, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें इस तरह के आयोजनों से और भी मजबूती मिलती है।

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