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शहीद सूबेदार मेजर पवन कुमार और अन्य वीर: भारत-पाक संघर्ष के बलिदानियों की कहानी | New PaperDoll

शहीद सूबेदार मेजर पवन कुमार और अन्य वीर: भारत-पाक संघर्ष के बलिदानियों की कहानी

जम्मू-कश्मीर, 11 मई 2025 – भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने सीमावर्ती इलाकों में दहशत फैला दी है। इस संघर्ष में कई वीर सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। इनमें शहीद सूबेदार मेजर पवन कुमार, सिपाही मुरली नाइक, BSF सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, और राइफलमैन सुनील कुमार शामिल हैं। आइए, इन शहीदों की वीरता और बलिदान की कहानी जानें।

सूबेदार मेजर पवन कुमार: दो महीने में रिटायरमेंट

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शाहपुर निवासी सूबेदार मेजर पवन कुमार (49) जम्मू-कश्मीर के पुंछ में कृष्णा घाटी सेक्टर में तैनात थे। शुक्रवार रात पाकिस्तानी गोलीबारी में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल ले जाए जाने के बावजूद उनकी मृत्यु हो गई। पवन 31 अगस्त 2025 को सेना से रिटायर होने वाले थे। उनके पीछे माता-पिता, पत्नी, बेटा, और बेटी शोक में हैं। रविवार को उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

“पवन ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। हमें अपने बेटे पर गर्व है।” – पवन कुमार के परिवार

ADD कमिश्नर राज कुमार थापा: राजौरी में शहीद

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में तैनात JKAS अधिकारी राज कुमार थापा (54) भी पाकिस्तानी शेलिंग में शहीद हो गए। पिछले साल मार्च में उन्होंने राजौरी में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर का पद संभाला था। शेलिंग के दौरान वे अपने सरकारी आवास पर थे। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उनकी शहादत पर शोक व्यक्त किया।

सिपाही मुरली नाइक: गरीबी से जूझते परिवार का सहारा

आंध्र प्रदेश के सत्यसाईं जिले के कल्लितांडा गांव के सिपाही मुरली नाइक (24) गुरुवार को उरी में पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गए। उनका परिवार आर्थिक तंगी के कारण मुंबई चला गया था, जहाँ उनके पिता मजदूरी और माँ घरों में बर्तन साफ करती थीं। मुरली की सेना में भर्ती ने परिवार को गरीबी से उबारना शुरू किया था। हाल ही में उनके पिता ने गांव में नया घर बनवाया था, और मुरली की शादी की तैयारियाँ चल रही थीं।

“मुरली हमारा इकलौता सहारा था। उसकी शहादत ने हमें तोड़ दिया, लेकिन उसकी वीरता पर गर्व है।” – मुरली के पिता

लांस नायक दिनेश शर्मा: पुंछ में बलिदान

हरियाणा के नगला मोहम्मदपुर निवासी लांस नायक दिनेश शर्मा (32) गुरुवार को पुंछ में पाकिस्तानी फायरिंग का जवाब देते हुए शहीद हो गए। उनके गाँव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। उनकी पत्नी सीमा, जो सात महीने की गर्भवती हैं, ने बताया कि दिनेश ने सोमवार रात आखिरी बार बात की थी। उनके पिता दयाचंद ने कहा, “हमारा एक बेटा शहीद हुआ, लेकिन भारत माता के लिए दो बेटे और हैं।”

BSF सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज: RS पुरा में वीरगति

बिहार के सारण जिले के नरायणपुर गांव के BSF सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज शनिवार को जम्मू के RS पुरा सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हो गए। वे अपनी चौकी का नेतृत्व कर रहे थे जब उनके पैर में गोली लगी। इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनके साथ सात अन्य जवान घायल हुए, जिनका इलाज चल रहा है। उनके बेटे इमरान ने जम्मू के लिए रवाना होकर अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू कीं।

राइफलमैन सुनील कुमार: त्रेवा गांव का वीर सपूत

जम्मू के त्रेवा गांव के राइफलमैन सुनील कुमार (25), जो जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री में थे, शनिवार को RS पुरा सेक्टर में गोलीबारी में शहीद हो गए। उनके परिवार में दो बड़े भाई सेना में कार्यरत हैं, और पिता पूर्व सैनिक हैं। रविवार को सैकड़ों लोगों ने “भारत माता की जय” के नारों के बीच उन्हें अंतिम विदाई दी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी श्रद्धांजलि देने पहुँचे।

सार्जेंट सर्जेंट सुरेंद्र मोगा: चार दिन पहले उधमपुर भेजा गया था

भारतीय वायुसेना के सार्जेंट सुरेंद्र मोगा (36), जो मेडिकल असिस्टेंट थे, शनिवार रात उधमपुर में पाकिस्तानी शेलिंग में शहीद हो गए। उनकी पोस्टिंग बेंगलुरु में थी, लेकिन तनाव बढ़ने पर उन्हें चार दिन पहले उधमपुर भेजा गया था। उन्होंने अपनी पत्नी और दो बच्चों को राजस्थान के झुंझनूं भेज दिया था। उनकी शहादत ने परिवार को गहरा सदमा पहुँचाया।

मुख्य बिंदु

  • शहीद सूबेदार मेजर पवन कुमार दो महीने में रिटायर होने वाले थे।
  • सिपाही मुरली नाइक गरीब परिवार का सहारा थे, शादी की थी तैयारी।
  • BSF सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज ने RS पुरा में नेतृत्व करते हुए बलिदान दिया।
  • राइफलमैन सुनील कुमार के परिवार में सभी सेना से जुड़े हैं।
  • लांस नायक दिनेश शर्मा और सार्जेंट सुरेंद्र मोगा ने भी देश के लिए प्राण न्योछावर किए।

भारत-पाकिस्तान संघर्ष ने कई वीर सपूतों को हमसे छीन लिया, लेकिन उनकी शहादत ने देश की एकता और साहस को और मजबूत किया है। इन शहीदों की कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं कि देश की रक्षा के लिए हर बलिदान अमर है।

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