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इसरो का PSLV-C61 मिशन फेल: थर्ड स्टेज में खराबी, जानें कारण | New PaperDoll

इसरो का PSLV-C61 मिशन फेल: थर्ड स्टेज में खराबी, जानें कारण

इसरो का PSLV-C61 मिशन: असफलता की कहानी

18 मई 2025 को सुबह 5:59 बजे, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो का PSLV-C61 मिशन लॉन्च हुआ, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण यह असफल रहा। इस मिशन का उद्देश्य EOS-09 अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को 524 किलोमीटर की सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में स्थापित करना था। यह इसरो का 101वां लॉन्च था, लेकिन थर्ड स्टेज में आई खराबी ने मिशन को नाकाम कर दिया।

मिशन की शुरुआत: सब कुछ सामान्य

लॉन्च के शुरुआती चरणों में सब कुछ योजना के अनुसार था। काउंटडाउन, फर्स्ट स्टेज इग्निशन, और ग्राउंड-लिट स्ट्रैप-ऑन मोटर्स ने सामान्य रूप से काम किया। सेकेंड स्टेज में विकास इंजन ने भी बिना किसी समस्या के प्रदर्शन किया। ऑनबोर्ड इंस्ट्रूमेंटेशन और ग्राउंड-बेस्ड ट्रैकिंग डेटा पूरी तरह से मेल खा रहे थे, जो दर्शाता था कि रॉकेट सही ट्रैजेक्ट्री पर था।

कहां हुई गड़बड़ी: थर्ड स्टेज में खराबी

मिशन में समस्या थर्ड स्टेज (PS3) में शुरू हुई, जो सॉलिड मोटर पर आधारित है। इग्निशन 262.9 सेकेंड पर सामान्य था, लेकिन 376.8 सेकेंड के बाद टेलीमेट्री डेटा में अनियमितता दिखाई दी। ऑनबोर्ड सेंसर्स (ग्रीन लाइन) और ग्राउंड ट्रैकिंग (यलो लाइन) के डेटा में अंतर आ गया, जो गड़बड़ी का संकेत था। इस डेविएशन के कारण रॉकेट अपनी निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंच सका।

मुख्य समस्या: थर्ड स्टेज के मोटर केस में चैम्बर प्रेशर में गिरावट के कारण अपेक्षित थ्रस्ट नहीं मिला, जिससे मिशन असफल रहा।

संभावित कारण: क्या गया गलत?

विश्लेषकों ने कई संभावित कारणों की ओर इशारा किया है:

  • सेंसर फेलियर: इनर्शियल मेजरमेंट यूनिट (IMU) या एक्सलरोमीटर्स में खराबी के कारण गलत डेटा।
  • एल्गोरिदम त्रुटि: क्लोज लूप गाइडेंस सिस्टम में डेटा प्रोसेसिंग में गलती।
  • थ्रस्ट असामान्यता: थर्ड स्टेज के सॉलिड मोटर में प्रेशर ड्रॉप या नोजल की समस्या।
  • डेटा ट्रांसमिशन एरर: टेलीमेट्री सिस्टम में गड़बड़ी, जिससे डेटा ग्राउंड स्टेशन तक सही नहीं पहुंचा।

इसके बाद रॉकेट ने गलत ट्रैजेक्ट्री को एडजस्ट करना शुरू किया, और चौथे चरण (PS4) के इग्निशन के बावजूद मिशन को रद्द करना पड़ा।

इसरो की प्रतिक्रिया: फेलियर एनालिसिस कमेटी

इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि असफलता के कारणों का पता लगाने के लिए एक फेलियर एनालिसिस कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी टेलीमेट्री डेटा, ऑनबोर्ड सिस्टम लॉग्स, और ग्राउंड ट्रैकिंग डेटा का विश्लेषण करेगी। लाखों बिट्स डेटा का अध्ययन कर सटीक कारणों का पता लगाया जाएगा।

EOS-09 सैटेलाइट का महत्व

1,696.24 किलोग्राम वजनी EOS-09 सैटेलाइट का उद्देश्य एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री, और आपदा प्रबंधन के लिए हाई-रिजोल्यूशन इमेजरी प्रदान करना था। इसकी असफलता से इन क्षेत्रों में अनुसंधान को झटका लगा है, लेकिन इसरो भविष्य के मिशनों के लिए सुधार पर ध्यान दे रहा है।

भविष्य की योजना: इसरो ने पहले भी असफलताओं से सबक लिया है, जैसे 2021 का EOS-03 मिशन। इस बार भी गहन विश्लेषण के बाद सुधार किए जाएंगे।

PSLV की विश्वसनीयता

PSLV को इसरो का “वर्कहॉर्स” कहा जाता है, जिसका सक्सेस रेट 96% है। यह रॉकेट भारत और वैश्विक ग्राहकों के सैटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित करने में सक्षम रहा है। इस असफलता के बावजूद, इसरो की तकनीकी क्षमता पर भरोसा बना हुआ है।


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