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केरल कार्गो शिप हादसा: 640 कंटेनर के साथ डूबा MSC एल्सा 3, खतरनाक रसायन का खतरा | New PaperDoll

केरल कार्गो शिप हादसा: 640 कंटेनर के साथ डूबा MSC एल्सा 3, खतरनाक रसायन का खतरा

केरल के तटीय क्षेत्र में एक गंभीर समुद्री हादसा हुआ है जिसने पूरे राज्य को चिंता में डाल दिया है। लाइबेरियाई कार्गो शिप MSC एल्सा 3 के डूबने से 640 कंटेनर समुद्र में गिर गए हैं। इस केरल कार्गो शिप हादसा में सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन कंटेनरों में खतरनाक रसायन मौजूद हैं।

कैसे हुआ यह भयानक हादसा

23 मई को विझिंजम बंदरगाह से निकला यह विशाल कार्गो जहाज कोच्चि की तरफ जा रहा था। दो दिन बाद 25 मई को अचानक जहाज के होल्ड में तेजी से पानी भरने लगा। तेज हवाओं और समुद्री लहरों के कारण 183 मीटर लंबा यह जहाज पलटकर समुद्र में डूब गया।

जहाज पर कुल 24 लोग सवार थे जिनमें रूसी कैप्टन, यूक्रेनी और जॉर्जियाई नाविक शामिल थे। सभी की सुरक्षित रेस्क्यू हो गई लेकिन पर्यावरण के लिए खतरा अभी भी बना हुआ है।

खतरनाक रसायनों से भरे कंटेनर

रक्षा मंत्रालय की जानकारी के अनुसार इस केरल कार्गो शिप हादसा में डूबे कंटेनरों में निम्नलिखित खतरनाक पदार्थ मौजूद हैं:

कैल्शियम कार्बाइड कंटेनर:

  • 12 कंटेनर में कैल्शियम कार्बाइड भरा है
  • यह पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस बनाता है
  • यह गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है और विस्फोट का कारण बन सकती है

ईंधन तेल:

  • 84.44 मीट्रिक टन मरीन गैस ऑयल (डीजल)
  • 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल
  • ये तेल समुद्री जीवों के लिए जानलेवा हो सकते हैं

पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव

इस केरल कार्गो शिप हादसा के पर्यावरणीय नुकसान कई स्तरों पर हो सकते हैं:

समुद्री जीवन को नुकसान: समुद्र में तेल रिसाव से मछलियों, डॉल्फिन, व्हेल और कछुओं को गंभीर नुकसान हो सकता है। तेल उनकी त्वचा और गलफड़ों को प्रभावित करता है जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है।

तटीय इलाकों में प्रदूषण: INCOIS के अनुसार यह प्रदूषण 36-48 घंटों में अलप्पुझा, कोल्लम, एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम तक पहुंच सकता है।

सरकारी कार्रवाई और सुरक्षा उपाय

केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तत्काल इमरजेंसी घोषित की है। तटीय इलाकों के लोगों को निम्न सावधानियां बरतने को कहा गया है:

  • समुद्र तट पर बहकर आए कंटेनरों से 200 मीटर दूर रहें
  • तेल या अज्ञात पदार्थों को न छुएं
  • किसी भी संदिग्ध वस्तु को देखने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें

सफाई और बचाव अभियान

कोस्ट गार्ड और नौसेना मिलकर निरंतर निगरानी कर रहे हैं। समुद्री तेल रिसाव को साफ करने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है:

तत्काल कार्रवाई:

  • बूम्स की मदद से तेल को फैलने से रोकना
  • स्किमर मशीनों से तेल निकालना
  • तेल सोखने वाले पदार्थों का इस्तेमाल

दीर्घकालिक समाधान:

  • तेल खाने वाले बैक्टीरिया का उपयोग
  • डिस्पर्सेंट रसायनों से तेल को छोटे कणों में तोड़ना

मछुआरा समुदाय पर प्रभाव

इस केरल कार्गो शिप हादसा का सबसे ज्यादा नुकसान स्थानीय मछुआरा समुदाय को हो रहा है। मछली पकड़ने पर पाबंदी के कारण उनकी आजीविका प्रभावित हुई है। साथ ही पर्यटन उद्योग को भी नुकसान हो रहा है।

पिछली समुद्री दुर्घटनाओं के सबक

दुनियाभर में समुद्री तेल रिसाव की घटनाओं से मिले सबक के आधार पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। एक्सॉन वाल्डेज़ और दीपवॉटर होराइज़न जैसी घटनाओं ने दिखाया है कि देरी से की गई सफाई के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

आगे की चुनौतियां

इस केरल कार्गो शिप हादसा की सफाई में महीनों का समय लग सकता है। खासकर कैल्शियम कार्बाइड के कंटेनरों को संभालना बेहद जोखिम भरा काम है। समुद्री तल पर बैठे भारी कंटेनरों को निकालना भी एक बड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष

यह केरल कार्गो शिप हादसा एक गंभीर चेतावनी है कि समुद्री परिवहन में सुरक्षा मानकों को और सख्त बनाने की जरूरत है। 28 साल पुराने इस जहाज की नियमित जांच में पाई गई कमियां इस दुर्घटना का संभावित कारण हो सकती हैं।

अभी सबसे जरूरी काम है पर्यावरणीय नुकसान को कम से कम करना और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना। सरकारी एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई और जनता के सहयोग से इस संकट से निपटा जा सकता है।

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