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अमित गुप्ता कतर जेल में बंद: टेक महिंद्रा कंट्री हेड की रिहाई के लिए परिवार की गुहार | New PaperDoll

अमित गुप्ता कतर जेल में बंद: टेक महिंद्रा कंट्री हेड की रिहाई

अमित गुप्ता कतर जेल में बंद: परिवार का दर्द और रिहाई की उम्मीद

वडोदरा की मधुवन सोसाइटी में गुप्ता परिवार के घर में सन्नाटा पसरा है। ONGC के रिटायर्ड कर्मचारी जेपी गुप्ता और उनकी पत्नी पुष्पा गुप्ता का बेटा, अमित गुप्ता कतर जेल में 4 महीने से बंद है। 40 साल के अमित, टेक महिंद्रा के कंट्री हेड के तौर पर कतर और कुवैत में काम कर रहे थे। 1 जनवरी 2025 को कतर स्टेट सिक्योरिटी ने उन्हें हिरासत में लिया। चार महीने बाद भी न तो उनकी रिहाई हुई, न ही यह साफ हुआ कि उन पर क्या आरोप हैं।

क्या हुआ 1 जनवरी की रात?

अमित की मां पुष्पा गुप्ता बताती हैं, “1 जनवरी की रात 9 बजे अमित खाना खाकर लौट रहा था। सिविल ड्रेस में 4 लोग आए और उसे गाड़ी से उतारकर ले गए।” दो दिन बाद दोस्तों से पता चला कि कतर स्टेट सिक्योरिटी ने उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

अमित ने परिवार को बताया कि शुरुआती 48 घंटे बेहद मुश्किल थे। उसे एक कुर्सी पर बैठाए रखा गया, न खाना दिया, न पानी, न सोने दिया। थकान से आंखें बंद होने पर उसे जगा दिया जाता।

परिवार का दर्द: 5 मिनट की कॉल में टूटता दिल

अमित गुप्ता कतर जेल में हफ्ते में दो बार 5-5 मिनट की ऑडियो कॉल कर सकते हैं। ये कॉल उनके माता-पिता के पास आती हैं। पुष्पा कहती हैं, “हर कॉल में अमित कहता है, ‘मां, मुझे निकालो, मैंने कुछ नहीं किया। मैं मर जाऊंगा।’ वो डिप्रेशन में है। हमें डर है कि उसके मन में गलत ख्याल न आएं।”

अमित की पत्नी आकांक्षा को अभी तक उनसे बात करने की इजाजत नहीं मिली। आकांक्षा कहती हैं, “31 दिसंबर को आखिरी बार वॉट्सएप पर बात हुई थी। बच्चों ने उन्हें नया साल विश किया। उसके बाद से कोई संपर्क नहीं। अमित को एक कमरे में बिना किसी सुविधा के रखा गया है। वो टूट रहे हैं।”

आरोप क्या हैं?

परिवार को आज तक नहीं बताया गया कि अमित को क्यों हिरासत में लिया गया। पहले कंपनी ने बताया कि यह कॉन्ट्रैक्ट या टेंडर से जुड़ा मामला हो सकता है। बाद में डेटा चोरी का आरोप सामने आया। पिता जेपी गुप्ता कहते हैं, “हमारा बेटा निर्दोष है। हमें लगता है कि यह गलत पहचान का मामला हो सकता है। दो महीने से उनसे कोई पूछताछ भी नहीं हुई।”

परिवार की कोशिशें: हर दरवाजे पर गुहार

गुप्ता परिवार ने मदद के लिए हर संभव कोशिश की:

  • PMO और विदेश मंत्रालय: PMO को पत्र लिखा, लेकिन एक महीने में फाइल बंद कर दी गई। विदेश मंत्रालय और कतर दूतावास से भी कोई प्रगति नहीं।
  • वकील: दोहा में दो वकील नियुक्त किए, लेकिन अमित को उनसे मिलने नहीं दिया गया।
  • सांसद: वडोदरा के सांसद हेमांग जोशी ने केंद्र सरकार और कतर दूतावास तक बात पहुंचाने का भरोसा दिया।

आकांक्षा ने सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर भी रिक्वेस्ट डाली, लेकिन बिना वजह बताए उसे बंद कर दिया गया।

टेक महिंद्रा का रुख

टेक महिंद्रा ने कहा, “हम अमित के परिवार के संपर्क में हैं और हर मदद दे रहे हैं। हम भारत और कतर के अधिकारियों के साथ तालमेल बनाए हुए हैं। अमित की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।” हालांकि, परिवार को लगता है कि कंपनी के शीर्ष प्रबंधन, खासकर चेयरमैन आनंद महिंद्रा, अगर दखल दें तो शायद प्रगति हो।

विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारी दोहा एम्बेसी इस मामले पर नजर रखे हुए है। 28 मार्च 2025 को अमित के लिए कॉन्सुलर एक्सेस मिला। हम परिवार और वकीलों के संपर्क में हैं। एम्बेसी हर संभव मदद दे रही है।”

कतर का मौन

कतर सरकार ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि कतर इसे आंतरिक कानूनी मामला मानता है और सार्वजनिक टिप्पणी से बच रहा है। यह मामला भारत-कतर के बीच निजी राजनयिक चैनलों के जरिए सुलझाया जा सकता है।

परिवार की उम्मीद

अमित की मां पुष्पा कहती हैं, “मोदी जी ने नौसेना अफसरों को छुड़वाया, यूक्रेन से छात्रों को निकाला। फिर हमारा बेटा इतना भारी क्यों? हमारी सरकार हमारी पुकार क्यों नहीं सुन रही?” परिवार को अब सरकार और टेक महिंद्रा से निर्णायक कदम की उम्मीद है।

निष्कर्ष

अमित गुप्ता कतर जेल में बंद हैं, और उनका परिवार हर दिन उनकी रिहाई की उम्मीद में जी रहा है। यह मामला न केवल एक परिवार की पीड़ा को दर्शाता है, बल्कि विदेश में काम करने वाले भारतीयों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है। क्या अमित जल्द घर लौट पाएंगे? यह सवाल गुप्ता परिवार के साथ-साथ हर उस भारतीय के मन में है, जो अपने परिजनों की सलामती चाहता है।

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