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भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025: 63,000 करोड़ में 26 विमान, 2028 में पहली डिलीवरी | New PaperDoll

भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025: 63,000 करोड़ में 26 विमान, 2028 में पहली डिलीवरी

भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025: 63,000 करोड़ में 26 विमान, 2028 में पहली डिलीवरी

नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2025: भारत और फ्रांस ने 26 राफेल मरीन विमानों की खरीद के लिए 63,000 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक डील पर हस्ताक्षर किए। यह डील नई दिल्ली में 28 अप्रैल 2025 को साइन की गई, जिसमें भारत की ओर से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। यह भारत और फ्रांस के बीच हथियारों की खरीद में अब तक की सबसे बड़ी डील है।

डील का विवरण

भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025 के तहत भारत 22 सिंगल-सीटर और 4 डबल-सीटर राफेल मरीन विमान खरीदेगा। ये विमान परमाणु बम दागने की क्षमता से लैस होंगे और भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक सभी विमान भारत पहुंच जाएंगे।

इस डील को 23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने मंजूरी दी थी। यह निर्णय पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद लिया गया।

राफेल मरीन की खासियतें

राफेल मरीन विमान, जिन्हें दसॉ एविएशन ने निर्मित किया है, भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से अनुकूलित किए गए हैं। इनमें कई उन्नत विशेषताएं शामिल हैं

  • डिजाइन: 50.1 फीट लंबा, 15,000 किलो वजन, 11,202 किलो फ्यूल क्षमता, और 52,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान।
  • रफ्तार: 2,205 किमी/घंटा, जो एक मिनट में 18,000 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
  • हथियार: 30 एमएम ऑटो कैनन गन, 14 हार्ड प्वाइंट्स, एंटी-शिप मिसाइलें, और परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता।
  • रडार और सेंसर: पनडुब्बी खोजने और नष्ट करने वाले उन्नत रडार और सेंसर।
  • अन्य विशेषताएं: हवा में रीफ्यूलिंग, 10 घंटे की फ्लाइट रिकॉर्डिंग, और फोल्डिंग विंग्स।

ये विमान पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-20 से बेहतर हैं और 3,700 किमी की दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं।

भारतीय नौसेना के लिए महत्व

भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025 भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी। वर्तमान में नौसेना के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर मिग-29के फाइटर जेट तैनात हैं, जिनके रखरखाव और उपलब्धता में चुनौतियां हैं। राफेल मरीन विमान इनकी जगह लेंगे और निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं:

  • उन्नत तकनीक: बेहतर रडार, सेंसर, और हथियार ले जाने की क्षमता।
  • सामरिक लाभ: समुद्र, जमीन, और आकाश में नौसेना की पकड़ मजबूत होगी।
  • रखरखाव में आसानी: भारतीय वायुसेना के पास पहले से 36 राफेल विमान हैं, जिससे प्रशिक्षण और रखरखाव में सुविधा होगी।
  • रणनीतिक साझेदारी: यह डील भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगी।

पहले की राफेल डील

भारत ने 2016 में फ्रांस से वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट खरीदे थे, जिनकी डिलीवरी 2022 तक पूरी हुई। यह डील 58,000 करोड़ रुपये की थी, और ये विमान अंबाला और हाशिमारा एयरबेस पर तैनात हैं। राफेल मरीन विमान इनसे अधिक उन्नत हैं, खासकर नौसैनिक उपयोग के लिए।

राफेल मरीन खरीद का कारण

भारत ने राफेल मरीन विमानों की खरीद के लिए कई कारणों से यह निर्णय लिया:

  • मिग-29 की सीमाएं: मिग-29के विमानों के रखरखाव और सीमित उपलब्धता की समस्या।
  • INS विक्रांत की जरूरत: विक्रांत को मिग-29 के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन नौसेना को आधुनिक डेक-बेस्ड फाइटर जेट की आवश्यकता थी।
  • प्रतिस्पर्धा में फ्रांस की जीत: 2022 में गोवा में राफेल मरीन और बोइंग F/A-18 का ट्रायल हुआ। फ्रांस ने समय-सीमा बढ़ाने की भारत की मांग मानी, जिसके बाद राफेल को चुना गया।
  • नौसेना की योजना: भारतीय नौसेना ने 57 फाइटर जेट खरीदने की योजना बनाई थी, जिसमें राफेल मरीन पहला कदम है।

निष्कर्ष

भारत-फ्रांस राफेल मरीन डील 2025 न केवल भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करेगी। 2028 में पहला विमान भारत पहुंचने के साथ ही नौसेना की सामरिक क्षमता में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह डील भारत की रक्षा तैयारियों और क्षेत्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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