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भारत की पहली बुलेट ट्रेन: 71% काम पूरा, 2026 में पहला ट्रायल संभव | New PaperDoll

भारत की पहली बुलेट ट्रेन: 71% काम पूरा, 2026 में पहला ट्रायल संभव

भारत की पहली बुलेट ट्रेन: अब तक की प्रगति

16 मई 2025 को साबरमती में 42 डिग्री की गर्मी के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का काम जोरों पर है। यह साइट अहमदाबाद रेलवे स्टेशन से केवल 300 मीटर दूर है, जहां अहमदाबाद-मुंबई कॉरिडोर का पहला स्टेशन बन रहा है। इस परियोजना में अब तक 71% काम पूरा हो चुका है, और यह तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।

508 किमी कॉरिडोर: 378 किमी पिलर तैयार

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के अनुसार, 508 किमी लंबे कॉरिडोर में 378 किमी का पियर वर्क पूरा हो चुका है। ये पिलर वायाडक्ट को सहारा देते हैं, जिनके ऊपर गर्डर और ट्रैक बिछाए जाएंगे। गुजरात के सूरत और बिलिमोरा के बीच 2026 के अंत तक पहला ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है।

गुजरात में काम अंतिम चरण में

गुजरात में 348 किमी लंबे कॉरिडोर का निर्माण अंतिम चरण में है। 272 किमी वायाडक्ट तैयार हो चुका है, और 24 में से 14 पुल बन गए हैं। किम, पार और पूर्णा नदियों पर पुल तैयार हैं, जबकि नर्मदा और माही पर काम जारी है। गुजरात की 350 मीटर लंबी एकमात्र सुरंग भी पूरी हो चुकी है।

महत्वपूर्ण उपलब्धि: नर्मदा नदी पर 1.4 किमी लंबा पुल, जो भारत की पहली बुलेट ट्रेन का सबसे लंबा पुल है, अंतिम चरण में है।

भूकंप चेतावनी प्रणाली: सुरक्षा का नया मानक

भारत की पहली बुलेट ट्रेन में जापानी तकनीक पर आधारित भूकंप चेतावनी प्रणाली लगाई जा रही है। यह सिस्टम भूकंप का पता लगते ही बिजली आपूर्ति बंद कर देगा, जिससे ट्रेन में आपातकालीन ब्रेक लगेंगे और यह रुक जाएगी। कुल 28 सीस्मोमीटर लगाए जाएंगे, जिनमें 22 रूट पर और 6 भूकंप संभावित क्षेत्रों में होंगे।

ट्रैक और स्टेशन निर्माण की प्रगति

सूरत और बिलिमोरा के बीच ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो चुका है। जापान से लाई गई 25 मीटर लंबी पटरियों को जोड़कर 200 मीटर के रेल पैनल बनाए जा रहे हैं। अब तक 60 किमी के बराबर 298 पैनल तैयार हो चुके हैं। गुजरात के आठ स्टेशनों (वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद/नडियाद, अहमदाबाद, साबरमती) पर काम विभिन्न चरणों में है। साबरमती और सूरत स्टेशनों पर फिनिशिंग का काम चल रहा है।

महाराष्ट्र में भी तेज हुआ काम

महाराष्ट्र में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से शिलफाटा तक 21 किमी लंबी भारत की पहली समुद्र के नीचे बनी सुरंग का निर्माण चल रहा है। इसमें 7 किमी समुद्री हिस्सा शामिल है। ठाणे, विरार और बोईसर में एलिवेटेड स्टेशनों का काम तेजी से हो रहा है। महाराष्ट्र में 34 किमी पियर वर्क पूरा हो चुका है, और सात पहाड़ी सुरंगों का निर्माण भी शुरू हो गया है।

2026 में पहला ट्रायल, 2030 तक पूरा प्रोजेक्ट

सूरत-बिलिमोरा सेक्शन में अगस्त 2026 तक ट्रायल शुरू करने का लक्ष्य है। पूरा गुजरात सेक्शन 2027-28 तक और अहमदाबाद-मुंबई कॉरिडोर 2028-30 तक तैयार हो सकता है। जापान से दो शिंकानसेन ट्रेनें 2026 में मिलेंगी, जिनका इस्तेमाल ट्रायल के लिए होगा।

तकनीकी सहयोग: जापान में भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, और जापानी विशेषज्ञ भारत में तकनीकी सहायता दे रहे हैं।

लागत और भविष्य की योजनाएं

इस परियोजना की शुरुआती लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 1.6 से 2 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। NHSRCL के प्रबंध निदेशक विवेक कुमार गुप्ता के अनुसार, बुलेट ट्रेन 320 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेगी, जिससे मुंबई-अहमदाबाद का सफर ढाई घंटे में पूरा होगा। स्टेशनों पर ऑटोमैटिक फेयर गेट, बिजनेस क्लास लाउंज और मल्टी-मॉडल हब जैसी सुविधाएं होंगी।


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