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पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत में होगी मॉक ड्रिल – 7 मई को होगा अभ्यास | New PaperDoll

पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत में होगी मॉक ड्रिल - 7 मई को होगा अभ्यास

भारत सरकार का बड़ा फैसला: कई राज्यों में होगी मॉक ड्रिल

पाकिस्‍तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने 7 मई को देश के कई राज्यों में मॉक ड्रिल कराने का निर्णय लिया है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को आपातकालीन स्थिति में स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रशिक्षण देना है। ऐसी मॉक ड्रिल भारत में अंतिम बार 1971 में हुई थी, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा था। लगभग 54 वर्षों के बाद फिर से इस प्रकार का अभ्यास होना महत्वपूर्ण है।

फिरोजपुर छावनी में हुआ ब्लैकआउट अभ्यास

रविवार-सोमवार की रात पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई। इस दौरान रात 9 बजे से 9:30 बजे तक गांवों और मोहल्लों में बिजली बंद रखी गई। पूरे 30 मिनट तक हूटर बजते रहे। प्रशासन ने पहले ही लोगों से अपने घरों से बाहर न निकलने का अनुरोध किया था, क्योंकि यह एक अभ्यास था।

क्यों की जा रही है यह तैयारी?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। ऐसे में सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले पूरी तरह से तैयार रहना चाहती है।

मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट अभ्यास क्या होता है?

मॉक ड्रिल

यह एक प्रकार का अभ्यास है जिसमें यह परीक्षण किया जाता है कि आपातकालीन स्थिति (जैसे हवाई हमला या बम विस्फोट) में आम नागरिक और प्रशासन कितनी तेजी से और कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।

ब्लैकआउट अभ्यास

इसमें एक निश्चित समय के लिए किसी क्षेत्र की सभी रोशनियां बंद कर दी जाती हैं। इसका उद्देश्य यह दिखाना होता है कि दुश्मन देश के हमले की स्थिति में किसी क्षेत्र को अंधेरे में कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। अंधेरे में दुश्मन के लिए सटीक निशाना लगाना मुश्किल हो जाता है।

विश्व में हुए प्रमुख मॉक ड्रिल

अमेरिका में ‘डक एंड कवर’ (1952)

14 जून 1952 को अमेरिका ने परमाणु हमले की आशंका के बीच अपना पहला राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा अभ्यास आयोजित किया। इसे ‘डक एंड कवर’ नाम दिया गया। इस अभ्यास में स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में अलर्ट सायरन बजाकर बच्चों और नागरिकों को मेज के नीचे सिर छुपाकर ‘डक’ करने और हथेली से सिर को ‘कवर’ करने का अभ्यास कराया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 19 फरवरी 1942 को कनाडा के मैनिटोबा शहर में ‘इफ डे’ अभ्यास हुआ। इसमें नकली नाजी हमले का नाटक किया गया। शहर के प्रमुख चौराहों पर स्वयंसेवक नाजी सैनिक बने नजर आए। कुछ लोगों को ‘राजद्रोही’ मानकर अस्थायी हिरासत में लिया गया। सायरन बजाए गए और पूरे शहर की बत्तियां बंद कर दी गईं।

ब्रिटेन में ‘स्क्वेयर लेग’ ड्रिल (1980)

11 से 25 सितंबर 1980 के बीच ब्रिटेन में “स्क्वेयर लेग” नामक अभ्यास आयोजित किया गया। इस दौरान सरकार ने 150 परमाणु बमों के हमले की कल्पना करके तैयारी की। पूरे देश में हवाई हमले के सायरन बजाए गए ताकि लोग तुरंत सतर्क हो जाएं। सभी गैर-जरूरी लाइटें बंद कर दी गईं (ब्लैकआउट) ताकि दुश्मन को निशाना लगाना कठिन हो जाए। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि 7 मई को किन-किन राज्यों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। सरकारी सूत्रों से जल्द ही इस संबंध में अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है। यह अभ्यास नागरिकों को आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार करने में मदद करेगा और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाएगा।

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