महाराष्ट्र में कथित बिटकॉइन घोटाले पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है. दावा है कि एनसीपी नेता सुप्रिया सुले और कांग्रेस नेता नाना पटोले ने बिटकॉइन को कैश करवाया और उसका इस्तेमाल चुनाव में किया. ऐसे में जानते हैं कि ये पूरा कांड क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? और ईडी-सीबीआई की एंट्री कैसे हुई?
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए जिस वक्त वोट डाले जा रहे थे, उस समय ‘बिटकॉइन’ को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया था. एनसीपी (शरद पवार) नेता सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले पर बिटकॉइन के बदले कैश लेने और उसका इस्तेमाल चुनाव में करने का आरोप लगा है. ये आरोप पूर्व आईपीएस अफसर रवींद्रनाथ पाटिल के एक दावे से शुरू हुआ.
रवींद्रनाथ पाटिल ने दावा किया था कि उनके पास इन कथित नेताओं के कुछ वॉइस क्लिप हैं, जिसमें वो चुनावी फंडिंग के लिए बिटकॉइन को एनकैशमेंट कराने की बात कर रहे हैं.
इस कथित बिटकॉइन घोटाले में ईडी और सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है. बुधवार को ईडी ने एक ऑडिट कंपनी के कर्मचारी गौरव मेहता के घर पर छापा भी मारा. ईडी ने मेहता का बयान भी दर्ज किया और उसके पास से कुछ लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस भी जब्त कर लीं. सीबीआई ने भी गौरव मेहता को पूछताछ के लिए समन भेजा है. सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की है, जिसमें अमित भारद्वाज और अजय भारद्वाज को आरोपी बनाया गया है.
भारद्वाज भाइयों पर दिल्ली, पुणे समेत कई जगहों पर इन्वेस्टर्स के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में केस दर्ज है. ईडी ने महाराष्ट्र की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) के केस के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की है.
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