1 अप्रैल 2025 से नया बजट लागू हो रहा है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य करदाताओं को राहत प्रदान करना और आर्थिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। मुख्य बदलाव निम्नलिखित हैं:
1. आयकर स्लैब में बदलाव:
- नए कर प्रणाली के तहत अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपये तक हो जाएगी। इसके अलावा, 20 से 24 लाख रुपये की आय पर 25% कर की नई दर लागू की गई है।
2. टीडीएस (TDS) की सीमा में वृद्धि:
- किराये से होने वाली आय पर टीडीएस की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक एफडी से ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है।
- प्रोफेशनल सेवाओं पर टीडीएस की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है।
3. विदेश में पढ़ाई के लिए धन प्रेषण पर टीसीएस (TCS) की सीमा में वृद्धि:
- अब विदेश में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपये तक भेजने पर टीसीएस नहीं लगेगा, जो पहले 7 लाख रुपये की सीमा थी। यदि धनराशि बैंक से लोन के रूप में ली गई है, तो टीसीएस पूरी तरह से हटा दिया गया है।
4. अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ी:
- करदाता अब आकलन वर्ष के अंत से 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। 24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60% अतिरिक्त कर और 36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त कर लगेगा।
5. यूलिप (ULIP) पर कैपिटल गेन कर:
- यदि यूलिप का वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे कैपिटल एसेट माना जाएगा और उस पर कैपिटल गेन कर लगेगा।
6. कस्टम ड्यूटी में परिवर्तन:
- लगभग 150-200 उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव किए गए हैं, जिससे कुछ वस्तुएं सस्ती होंगी और कुछ महंगी। इन परिवर्तनों का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
मुख्य बिंदु:
- 12 लाख रुपये तक की आय पर अब कोई आयकर नहीं लगेगा, जिससे नौकरीपेशा लोगों को 75,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
- किराये, ब्याज आय और प्रोफेशनल सेवाओं पर टीडीएस की सीमाएं बढ़ाई गई हैं, जिससे करदाताओं को राहत मिलेगी।
- विदेश में पढ़ाई के लिए धन प्रेषण पर टीसीएस की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे छात्रों और उनके परिवारों को लाभ होगा।
- अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 48 महीने तक बढ़ाई गई है, जिससे करदाता अपनी आय की सही रिपोर्टिंग कर सकेंगे।
- उच्च प्रीमियम वाले यूलिप पर अब कैपिटल गेन कर लगेगा, जिससे कर प्रणाली में समानता आएगी।
- कस्टम ड्यूटी में बदलाव से कुछ वस्तुएं सस्ती होंगी और कुछ महंगी, जिससे घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
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