📢 CBSE की कड़ी चेतावनी: डमी एडमिशन लेने वाले नहीं दे सकेंगे बोर्ड एग्जाम
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है। अब डमी एडमिशन लेने वाले छात्र बोर्ड परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकेंगे। यह कदम उन छात्रों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, जो NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों पर ध्यान देने के उद्देश्य से स्कूल छोड़ देते हैं और केवल नाम मात्र के लिए किसी स्कूल में एडमिशन लेते हैं।
📌 CBSE ने क्यों लिया यह फैसला?
CBSE का कहना है कि कई छात्र सिर्फ बोर्ड परीक्षा देने के लिए किसी स्कूल में नामांकन करवा लेते हैं, लेकिन नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल नहीं होते। इससे न केवल शिक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि बोर्ड परीक्षा की पारदर्शिता भी प्रभावित होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए CBSE ने यह सख्त कदम उठाया है।
🏫 स्कूल जाने की अनिवार्यता
अब CBSE यह सुनिश्चित करेगा कि हर छात्र नियमित रूप से स्कूल जाए और निर्धारित उपस्थिति (Attendance) को पूरा करे। जो छात्र निर्धारित न्यूनतम उपस्थिति के नियमों का पालन नहीं करेंगे, वे बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।
🚫 डमी एडमिशन लेने पर क्या होगा?
- अगर कोई छात्र डमी एडमिशन लेकर सिर्फ बोर्ड परीक्षा देने की योजना बना रहा है, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
- CBSE स्कूलों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे छात्रों की उपस्थिति की निगरानी करें और अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की रिपोर्ट तैयार करें।
- स्कूलों को अब छात्रों के मासिक उपस्थिति रिकॉर्ड CBSE के पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।
🎯 NEET-JEE की कोचिंग करने वाले छात्रों पर असर
बहुत से छात्र 11वीं और 12वीं में प्रवेश लेने के बाद कोचिंग क्लासेस पर ज्यादा फोकस करते हैं और स्कूल को सिर्फ नाममात्र के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब CBSE की इस नई गाइडलाइन के बाद, छात्रों को कोचिंग के साथ-साथ स्कूल की पढ़ाई भी गंभीरता से लेनी होगी।
✅ CBSE के इस नए नियम के फायदे
✔ शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा।
✔ फर्जी एडमिशन पर रोक लगेगी।
✔ छात्रों को स्कूल में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
✔ बोर्ड परीक्षा की पारदर्शिता बनी रहेगी।
🔍 निष्कर्ष
CBSE का यह निर्णय उन छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती है, जो सिर्फ बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए स्कूलों में नामांकन लेते हैं और कोचिंग क्लासेस पर निर्भर रहते हैं। अब छात्रों को न सिर्फ स्कूल में उपस्थिति दर्ज करानी होगी, बल्कि शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना अनिवार्य होगा।
💬 आप इस फैसले के बारे में क्या सोचते हैं? कमेंट में अपनी राय जरूर दें! 🚀
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