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GDP: मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले, भारत को महाकुंभ

मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले, भारत को महाकुंभ से चालू वित वर्ष में 6.5 फीसदी वृद्धि हासिल करने में मिलेगी मद सीईए ने कहा, जुलाई-सितंबर की तुलना में अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 6.2 फीसदी रही। यह अनुकूल मानसून और बढ़े सरकारी खर्च के कारण ग्रामीण उपभोग में सुधार की वजह से देखने को मिली है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि हाल ही में संपन्न महाकुंभ मेले के कारण उपभोग खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इससे भारत को चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 फीसदी की विकास दर हासिल करने में मदद मिलेगी। साथ ही, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी को 7.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ना होगा।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने के बाद शुक्रवार को सीईए ने कहा, महाकुंभ में सरकार की उम्मीद से ज्यादा 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से न सिर्फ खपत बल्कि कारोबार के मोर्चे पर भारी वृद्धि की उम्मीद है। इससे व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। सीईए ने कहा, जुलाई-सितंबर की तुलना में अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 6.2 फीसदी रही। यह अनुकूल मानसून और बढ़े सरकारी खर्च के कारण ग्रामीण उपभोग में सुधार की वजह से देखने को मिली है। इसके साथ ही, भारत अन्य देशों के मुकाबले सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। 

मौजूदा कीमतों पर 9.9 फीसदी वृद्धि की उम्मीद
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा कीमतों पर जीडीपी का आकार चालू वित्त वर्ष में 331.03 लाख करोड़ रुपये होने का का अनुमान है। 2023-24 में आकार 301.23 लाख करोड़ रुपये थी। यह 9.9 फीसदी की वृद्धि दर को दर्शाता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निर्यात में वृद्धि और सरकारी एवं निजी व्यय में वृद्धि से वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक रफ्तार कायम रहने की उम्मीद है।नागेश्वरन ने कहा कि दिसंबर तिमाही में सरकारी व्यय बहाल होने, निर्माण क्षेत्र का मूल्यवर्धन होने, मजबूत ग्रामीण मांग आने और सेवा निर्यात बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी रही। हालांकि शहरी उपभोग में नरमी बनी हुई है।

शेयर बाजार में गिरावट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अन्य स्थानों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक संभावनाओं और भारतीय बाजार के ऐतिहासिक ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ को देखते हुए किसी को अल्पकालिक आंकड़ों का हद से ज्यादा विश्लेषण करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष (2024-25) में 4,000 अरब डॉलर को पार करने के मुहाने पर है।

मौजूदा कीमतों पर जीडीपी वर्ष 2024-25 में 331.03 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2023-24 में यह 301.23 लाख करोड़ रुपये होगा, जो 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है।मुद्रास्फीति के बारे में नागेश्वरन ने कहा कि इसमें गिरावट का रुख है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य धीमी गति से घट रही मुद्रास्फीति के बीच प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की व्यापार नीतियों से प्रभावित है।

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