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जाति जनगणना 2025: आजादी के बाद पहली बार भारत में जातिगत गणना, बिहार चुनाव से पहले फैसला | New PaperDoll

जाति जनगणना 2025: आजादी के बाद पहली बार भारत में जातिगत गणना

जाति जनगणना 2025: आजादी के बाद पहली बार भारत में जातिगत गणना

भारत में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना 2025 में आयोजित की जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार, 30 अप्रैल 2025 को इस ऐतिहासिक फैसले को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह गणना मूल जनगणना के साथ ही होगी। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, और माना जा रहा है कि सितंबर 2025 से जाति जनगणना 2025 की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

क्यों है यह फैसला अहम?

देश में हर 10 साल में जनगणना होती है, लेकिन 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण टल गई थी। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की जानकारी दर्ज की गई थी। अब जाति जनगणना 2025 में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सहित सभी जातियों के आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे। यह सामाजिक और आर्थिक नीतियों को और समावेशी बनाने में मदद करेगा।

राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “आखिरकार सरकार ने जाति जनगणना 2025 को मंजूरी दी। हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को समय सीमा तय करनी चाहिए।” राहुल ने तेलंगाना में हुए जाति सर्वे को मॉडल बताया और कहा कि यह जानना जरूरी है कि विभिन्न जातियों की उच्च पदों पर कितनी हिस्सेदारी है।

जनगणना की प्रक्रिया और समय सीमा

  • प्रक्रिया शुरू: सितंबर 2025 (संभावित)
  • पूरा होने का समय: 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक अंतिम आंकड़े उपलब्ध होंगे।
  • फॉर्म में बदलाव: 2011 की जनगणना में 29 कॉलम थे, जिनमें केवल SC और ST की जानकारी थी। अब OBC और अन्य जातियों के लिए अतिरिक्त कॉलम जोड़े जाएंगे।
  • कानू برای変更: OBC की गणना के लिए जनगणना एक्ट 1948 में संशोधन करना होगा।

2011 की सामाजिक-आर्थिक गणना का क्या हुआ?

2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) कराई थी। इसमें ग्रामीण विकास, शहरी विकास और गृह मंत्रालय शामिल थे। हालांकि, इस सर्वे के जातिगत आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। केवल SC-ST परिवारों की जानकारी ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

जाति जनगणना 2025 के फैसले पर नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं:

  • मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस): “यह सही कदम है। हम शुरू से इसकी मांग कर रहे थे। सामाजिक न्याय के लिए यह जरूरी है।”
  • चिराग पासवान (LJP): “यह समावेशी विकास के लिए बड़ा फैसला है।”
  • तेजस्वी यादव (RJD): “यह हमारी जीत है। सरकार को हमारी बात माननी पड़ी।”
  • केशव मौर्य (BJP): “कांग्रेस केवल ढोंग करती थी, मोदी सरकार ने काम किया।”
  • उदित राज (कांग्रेस): “यह कांग्रेस की जीत है। सरकार को हमारी मांग माननी पड़ी।”
  • नित्यानंद राय (BJP): “यह फैसला समाज और देश के विकास के लिए है।”

पार्टियों का रुख

  • विपक्ष: कांग्रेस, सपा, राजद, बसपा, बीजद, और शरद पवार की NCP जाति जनगणना 2025 के पक्ष में हैं। टीएमसी का रुख स्पष्ट नहीं है।
  • NDA: पहले बीजेपी इसके खिलाफ थी और विपक्ष पर समाज को बांटने का आरोप लगाती थी। लेकिन बिहार में बीजेपी ने 2023 में जाति सर्वे का समर्थन किया था।

जाति जनगणना की मांग का इतिहास

  • 1980 का दशक: बसपा नेता कांशीराम ने यूपी में सबसे पहले जाति आधारित आरक्षण की मांग की।
  • 1979: मंडल कमीशन का गठन, जिसने OBC को आरक्षण की सिफारिश की। 1990 में वी.पी. सिंह ने इसे लागू किया।
  • 2010: लालू यादव और मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार पर दबाव बनाया।
  • 2011: SECC हुई, लेकिन जातिगत डेटा सार्वजनिक नहीं हुआ।
  • 2023: राहुल गांधी ने देश-विदेश में जाति जनगणना की मांग उठाई।

बिहार में राजनीतिक बयानबाजी

बिहार में जाति जनगणना 2025 के फैसले पर सियासत तेज हो गई है। सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया। वहीं, राजद नेता लालू यादव ने कहा, “जाति जनगणना की पहल 1996-97 में जनता दल ने की थी।” लालू ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि वे “संघियों को अपने एजेंडे पर नचाते रहेंगे।”

क्या होगा फायदा?

जाति जनगणना 2025 से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

  • सटीक आंकड़े: OBC, SC, ST और अन्य जातियों की सही संख्या पता चलेगी।
  • बेहतर नीतियां: आरक्षण, शिक्षा, और रोजगार में हिस्सेदारी के लिए नीतियां बनेंगी।
  • सामाजिक न्याय: सभी वर्गों को उनकी आबादी के हिसाब से अवसर मिलेंगे।

आगे क्या?

जाति जनगणना 2025 भारत के सामाजिक ढांचे को समझने और समावेशी विकास के लिए एक बड़ा कदम है। लेकिन इसके लिए कानूनी और तकनीकी बदलाव जरूरी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इसे कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से लागू करती है।


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