जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं। मौजूदा CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की है, जिसे केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा गया है। जस्टिस गवई 14 मई 2025 से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। उनका कार्यकाल 7 महीने का होगा, जो 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में इस पद पर आसीन हुए थे।
जस्टिस बीआर गवई का प्रारंभिक जीवन और करियर
जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। इसके बाद 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र वकालत शुरू की। शुरुआती दिनों में उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया।
- 1987-1990: बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत।
- 1992-1993: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर।
- 14 नवंबर 2003: बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज नियुक्त।
- 12 नवंबर 2005: बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी जज बने।
- 24 मई 2019: सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली।
जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और कानूनी क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता साबित की।
ऐतिहासिक फैसलों में योगदान
जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
- 2016 का डिमॉनेटाइजेशन: मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराने वाली बेंच में शामिल।
- चुनावी बॉण्ड योजना: इसे असंवैधानिक घोषित करने वाले फैसले में योगदान।
इन फैसलों ने जस्टिस गवई की निष्पक्षता और कानूनी समझ को दर्शाया।
जस्टिस गवई का दृष्टिकोण: न्यायपालिका में जनता का भरोसा
जस्टिस बीआर गवई ने हाल ही में अहमदाबाद में आयोजित एक न्यायिक सम्मेलन में कहा था कि न्यायपालिका में जनता का भरोसा बनाए रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह भरोसा कम हुआ, तो लोग भ्रष्टाचार या भीड़ के न्याय जैसे गलत रास्तों पर जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “न्यायिक नैतिकता और ईमानदारी ही कानूनी व्यवस्था की नींव हैं। अगर जनता का विश्वास टूटा, तो समाज में कानून-व्यवस्था को नुकसान हो सकता है।”
जस्टिस गवई का कार्यकाल और उत्तराधिकारी
जस्टिस गवई का कार्यकाल 14 मई 2025 से शुरू होकर 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। उनके बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस सूर्यकांत का नाम है, जिन्हें संभावित रूप से 53वां चीफ जस्टिस बनाया जा सकता है।
देश के लिए प्रेरणा
जस्टिस बीआर गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और मेहनत का प्रतीक है, बल्कि यह दलित समुदाय के लिए भी गर्व का क्षण है। उनकी नियुक्ति भारत की समावेशी न्यायिक प्रणाली को दर्शाती है।
जस्टिस गवई का जीवन और करियर युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कठिन परिश्रम और निष्ठा से किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।
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