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कोल्हापुर मर्डर केस 2017: मां की हत्या और बेटे की दरिंदगी की कहानी | New PaperDoll

कोल्हापुर मर्डर केस 2017: मां की हत्या और बेटे की दरिंदगी की कहानी

28 अगस्त 2017, महाराष्ट्र में गणपति पूजा का तीसरा दिन था। कोल्हापुर की शाहुपुरी पुलिस स्टेशन में दोपहर ढाई बजे फोन की घंटी बजी। हेड कॉन्स्टेबल तानाजी रामचंद्र चौंगले ने फोन उठाया, यह सोचकर कि शायद गणपति पूजा से जुड़ा कोई मामला होगा। लेकिन दूसरी ओर से आई आवाज ने उन्हें स्तब्ध कर दिया: “एक मां का मर्डर हो गया है।”

शाहुपुरी पुलिस स्टेशन: हत्या की पहली खबर

कॉन्स्टेबल तानाजी ने तुरंत पूछा, “कहां?” जवाब मिला, “ताराराणी चौक, कावला नाका, माकड़वाला बस्ती।” यह वही बस्ती थी, जिसे कोल्हापुर के शाहू महाराज ने शिकारियों के लिए बसाया था। तानाजी ने तुरंत थाना प्रभारी (SHO) संजय मोरे को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में पुलिस जीप आधा दर्जन सिपाहियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गई।

माकड़वाला बस्ती: खून की गंध और वीभत्स मंजर

पुलिस जब माकड़वाला बस्ती पहुंची, तो वहां का नजारा भयावह था। कुचकोरवी आदिवासी समुदाय के करीब 200 लोग इस बस्ती में रहते थे। संकरी गलियों, कचरे और पानी की टंकी के बीच एक छोटा सा मंदिर था। जैसे ही पुलिस आगे बढ़ी, खून की गंध हवा में फैलने लगी। एक संकरी गली की नाली में लाल रंग का पानी बह रहा था, जो खून था।

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पुलिस उस दिशा में बढ़ी, जहां से खून आ रहा था। टिन की छत और दीवारों वाला एक झोपड़ीनुमा घर दिखा। घर के बाहर एक शख्स खून से सना, हाफ पैंट में बैठा था। पास में तीन धारदार चाकू पड़े थे। घर के अंदर का दृश्य और भी भयानक था। एक बुजुर्ग महिला की लाश बिना कपड़ों के पड़ी थी। उसका दिल, आंत, और अन्य अंग काटकर बाहर निकाले गए थे। खून से पूरी जमीन रंगी थी।

बेटे की दरिंदगी: मांस खाता सुनील कुचकोरवी

लाश के पास एक शख्स खून से सना बैठा था और मांस जैसा कुछ खा रहा था। यह दृश्य इतना वीभत्स था कि दो कॉन्स्टेबल उल्टी करने लगे। पुलिस ने जब दूसरा कमरा खोला, तो वहां गैस-चूल्हे पर तवे में मांस पक रहा था। मांस पर नमक-मिर्च और चटनी डली थी। पास में हड्डी का टुकड़ा भी पड़ा था।

तभी भीड़ में से एक शख्स, राजू कुचकोरवी, रोते हुए पुलिस के सामने आया। उसने बताया, “साहेब, मैं राजू कुचकोरवी। यह सुनील कुचकोरवी, मेरा भाई है। इसने मेरी मां यल्लवा रामा कुचकोरवी की हत्या कर दी और उसे खा गया।” राजू जमीन पर बैठकर बिलखने लगा।

पुलिस की कार्रवाई और फोरेंसिक जांच

SHO संजय मोरे ने तुरंत फोरेंसिक टीम को बुलाया। सुनील के खून से सने कपड़े और चाकू को जांच के लिए पैक किया गया। लाश के कुछ अंग गायब थे, जिसे फोरेंसिक टीम ने नोट किया। तवे पर पड़ा मांस भी जांच के लिए भेजा गया। सुनील को हथकड़ी लगाकर शाहुपुरी पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

सुनील की पत्नी लक्ष्मी कुचकोरवी, खबर मिलते ही कोल्हापुर पहुंची। उसने थाने में सुनील से मुलाकात की, लेकिन सुनील नशे में था और बार-बार यही कह रहा था, “मैंने बिल्ली मारी, मां को नहीं।” लक्ष्मी हैरान थी कि अब बच्चों और घर की जिम्मेदारी वह अकेले कैसे संभालेगी।

सवालों का जाल: क्या था सच?

SHO संजय मोरे के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था: “कोई बेटा अपनी मां की लाश के पास बैठकर मांस कैसे खा सकता है?” पुलिस को शक था कि सुनील सच छिपा रहा है। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट का इंतजार था, जो इस केस की गुत्थी सुलझाने में अहम थी।

आने वाले भाग में: फोरेंसिक रिपोर्ट में क्या चौंकाने वाला खुलासा हुआ? सुनील की बातों का सच क्या था? की पूरी कहानी जानने के लिए बने रहें।

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