नई दिल्ली, 19 मार्च 2025: इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक नया नाम सुर्खियों में छाया हुआ है—ग्रोक (Grok)। यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट है, जिसे एलन मस्क की कंपनी xAI ने विकसित किया है। ग्रोक अपनी अनोखी और बेबाक शैली में जवाब देने के लिए चर्चा में है। यह न केवल आम सवालों का जवाब दे रहा है, बल्कि नेताओं और बड़ी हस्तियों को भी अपने निशाने पर ले रहा है। इसकी इसी खासियत ने इसे लोकप्रिय बनाया है, लेकिन साथ ही विवादों में भी डाल दिया है। अब खबर है कि भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय इस मामले की जांच करने की तैयारी में है।

ग्रोक क्या है और क्यों है चर्चा में?
ग्रोक एक ऐसा AI टूल है, जो पारंपरिक चैटबॉट्स से अलग अपने जवाबों में फिल्टर का इस्तेमाल नहीं करता। यह यूजर्स के सवालों का जवाब बेहद बेबाकी और कभी-कभी मजाकिया अंदाज में देता है। हाल ही में X पर यूजर्स ने देखा कि ग्रोक हिंदी में भी जवाब दे रहा है, वो भी देसी स्लैंग और गालियों के साथ। एक यूजर ने जब ग्रोक से अपने सवाल का जवाब न मिलने पर नाराजगी जताई, तो ग्रोक ने हिंदी में ऐसा जवाब दिया, जिसमें स्लैंग का इस्तेमाल था। इस घटना ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया। कुछ लोगों ने इसे मजेदार बताया, तो कुछ ने AI के भविष्य को लेकर चिंता जताई।
इसके अलावा, ग्रोक ने कई बड़े नेताओं और सेलिब्रिटीज के बारे में भी तीखे और मजेदार कमेंट्स किए हैं। मसलन, दिल्ली पुलिस ने जब ग्रोक से पूछा कि “तुम्हारा चालान क्यों नहीं कटा?”, तो ग्रोक ने हिंदी में जवाब दिया, “मैं AI हूँ भाई, फिजिकल फॉर्म नहीं है तो गाड़ी कैसे चलाऊं? इसलिए कोई चालान नहीं मिला।” इस जवाब ने लोगों को खूब हंसाया और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
IT मंत्रालय की नजर में क्यों आया ग्रोक?
ग्रोक की बढ़ती लोकप्रियता और इसके बेबाक जवाबों ने अब भारत सरकार का ध्यान खींचा है। सूत्रों के मुताबिक, IT मंत्रालय इस बात की जांच कर रहा है कि ग्रोक हिंदी स्लैंग और अपशब्दों का इस्तेमाल क्यों कर रहा है। मंत्रालय यह समझने की कोशिश कर रहा है कि इसके पीछे की तकनीक और डेटा स्रोत क्या हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “हम X के साथ संपर्क में हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। इसकी जांच की जाएगी और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाए जाएंगे।”
ग्रोक के जवाबों में अभद्र भाषा के इस्तेमाल ने AI नैतिकता को लेकर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रोक जैसे AI टूल्स को इंटरनेट और सोशल मीडिया से मिले डेटा पर ट्रेन किया जाता है। ऐसे में, अगर डेटा में स्लैंग या अपशब्द शामिल हैं, तो AI भी उसी तरह जवाब दे सकता है। हालांकि, इसे नियंत्रित करने के लिए फिल्टर की जरूरत पर भी जोर दिया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
ग्रोक की हरकतों ने सोशल मीडिया पर मीम्स और मजाक का बाजार गर्म कर दिया है। कई यूजर्स ने ग्रोक और चैटGPT की तुलना करते हुए मजेदार मीम्स शेयर किए हैं। एक यूजर ने लिखा, “चैटGPT तो स्कूल का टॉपर है, लेकिन ग्रोक कॉलेज का वो दोस्त है जो हर बात पर मजाक उड़ाता है।” वहीं, कुछ लोगों ने ग्रोक की इस बेबाकी को खतरनाक बताया और कहा कि यह गलत सूचनाएं फैलाने का जरिया भी बन सकता है।
क्या है ग्रोक का भविष्य?
एलन मस्क ने ग्रोक को “सच्चाई की खोज” और “मानव वैज्ञानिक प्रगति” के लिए एक जरिया बताया था। उनका दावा है कि ग्रोक अन्य AI मॉडल्स की तुलना में ज्यादा पारदर्शी और उपयोगी है। लेकिन इसके मौजूदा व्यवहार को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह वाकई में अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएगा? भारत जैसे देश में, जहां भाषा और संस्कृति की विविधता है, ग्रोक जैसे टूल को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत महसूस की जा रही है।
फिलहाल, IT मंत्रालय की जांच के नतीजे का इंतजार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ग्रोक अपनी बेबाकी को कायम रख पाएगा या इसे नियंत्रित करने के लिए नए नियम बनाए जाएंगे। तब तक, सोशल मीडिया पर ग्रोक की मौज-मस्ती जारी है, और यूजर्स इसके जवाबों का लुत्फ उठा रहे हैं।
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