पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के ₹13,850 करोड़ के घोटाले में आरोपी हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम पुलिस ने 12 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार कर लिया। मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी भारत की प्रत्यर्पण अपील के बाद हुई, जिसे भारतीय जांच एजेंसियों ने पिछले साल शुरू किया था। 65 वर्षीय चोकसी 2018 में भारत छोड़कर फरार हो गया था और तब से वह विभिन्न देशों में छिपता रहा। फिलहाल, वह बेल्जियम की जेल में है और आगे की न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहा है।
गिरफ्तारी की वजह और प्रक्रिया
मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी दो गैर-जमानती वारंट के आधार पर हुई, जो मुंबई की एक विशेष अदालत ने 23 मई 2018 और 15 जून 2021 को जारी किए थे। भारतीय जांच एजेंसियों, खासकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बेल्जियम सरकार से चोकसी के प्रत्यर्पण की मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, चोकसी बेल्जियम से स्विट्जरलैंड भागने की योजना बना रहा था, लेकिन उससे पहले वह जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ गया। बेल्जियम के विदेश मंत्रालय ने भी उसकी मौजूदगी की पुष्टि की थी।
चोकसी की पत्नी प्रीति चोकसी, जो बेल्जियम की नागरिक हैं, के साथ वह एंटवर्प में रह रहा था। उसने 15 नवंबर 2023 को बेल्जियम का ‘F रेजिडेंसी कार्ड’ हासिल किया था। हालांकि, दावों के मुताबिक, उसने भारतीय और एंटीगुआ की नागरिकता छिपाकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए यह कार्ड प्राप्त किया था।
चोकसी की कानूनी रणनीति
वकील विजय अग्रवाल ने बताया कि वह जल्द ही जमानत के लिए अपील दायर करेंगे। मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी के बाद वह अपनी खराब सेहत, खासकर कैंसर के इलाज का हवाला दे रहे हैं। वकील का कहना है कि चोकसी भागने का जोखिम नहीं उठाएंगे और उन्हें हिरासत से बाहर रहकर प्रत्यर्पण का विरोध करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके अलावा, वह भारत की जेलों की खराब स्थिति और मामले को राजनीतिक बताकर प्रत्यर्पण रोकने की कोशिश कर सकते हैं।
PNB घोटाला: क्या है मामला?
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है। मेहुल चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने PNB के मुंबई की ब्रैडी हाउस शाखा में कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट (FLCs) के जरिए ₹13,850 करोड़ की धोखाधड़ी की। यह घोटाला 2014 से 2017 के बीच हुआ और 2018 में इसका खुलासा हुआ। चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स इस घोटाले का मुख्य हिस्सा थी। जांच एजेंसियों ने चोकसी की ₹2,500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त की है, जिसमें आभूषण, संपत्तियां और शेयर शामिल हैं।
चोकसी का फरारी का सफर
- 2017: चोकसी ने एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता हासिल की।
- जनवरी 2018: घोटाले के खुलासे से पहले भारत छोड़कर फरार हुआ।
- मई 2021: एंटीगुआ से डोमिनिका पहुंचा, जहां उसे अवैध प्रवेश के लिए गिरफ्तार किया गया। चोकसी ने दावा किया कि उसे अगवा किया गया था। 51 दिन जेल में रहने के बाद उसे एंटीगुआ वापस भेज दिया गया।
- 2023: इंटरपोल ने उसका रेड नोटिस हटा लिया, जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया जटिल हो गई।
- 2024: चोकसी बेल्जियम में अपनी पत्नी के साथ रहने लगा और कथित तौर पर स्विट्जरलैंड भागने की योजना बना रहा था।
प्रत्यर्पण की चुनौतियां
PNB घोटाले के व्हिसलब्लोअर हरिप्रसाद एसवी ने कहा कि मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन प्रत्यर्पण आसान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि चोकसी के पास धन की कमी नहीं है और वह यूरोप के बड़े वकीलों की मदद ले सकता है, जैसा कि विजय माल्या कर रहे हैं। भारत और बेल्जियम के बीच 2020 में हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत चोकसी को भारत लाना संभव है, लेकिन उसकी सेहत और कानूनी दांव-पेंच इसे लंबा खींच सकते हैं।
नीरव मोदी का क्या हाल?
चोकसी का भतीजा नीरव मोदी भी इस घोटाले का मुख्य आरोपी है। वह 2019 से लंदन की जेल में है और भारत प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है। नीरव को 2019 में फरार आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था, जबकि चोकसी के खिलाफ यह प्रक्रिया अभी लंबित है।
क्या है भविष्य?
मेहुल चोकसी की बेल्जियम में गिरफ्तारी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। भारतीय एजेंसियां उसकी वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं। दूसरी ओर, चोकसी अपनी सेहत और कानूनी तर्कों का सहारा लेकर प्रत्यर्पण को टालने की कोशिश करेगा। यह मामला न केवल आर्थिक अपराधों के खिलाफ भारत की लड़ाई को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जटिलताओं को भी उजागर करता है।
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