पहलगाम हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। इस हमले के पीछे पाकिस्तान की सेना और उसके प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हमले से ठीक पहले असीम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” बताया था, जिसे विशेषज्ञ आतंकियों के लिए एक इशारे के रूप में देख रहे हैं। आइए, इस हमले के पीछे की साजिश, इसके मकसद और पाकिस्तान पर इसके प्रभाव को विस्तार से समझें।
1. असीम मुनीर का बयान क्यों है सवालों के घेरे में?
16 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में एक सम्मेलन में जनरल असीम मुनीर ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है और इसे कभी भुलाया नहीं जाएगा। उन्होंने टू-नेशन थ्योरी का हवाला देते हुए हिंदुओं और मुसलमानों को अलग-अलग सभ्यताएं बताया। उनके बयान की प्रमुख बातें थीं:
- पाकिस्तान की नींव इस्लाम पर आधारित है, जो हिंदुओं से पूरी तरह अलग है।
- पाकिस्तान और मदीना दो ऐसी रियासतें हैं, जिनकी स्थापना धार्मिक आधार पर हुई।
- कश्मीर पाकिस्तान की “गले की नस” है और वहां के लोगों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
पाकिस्तानी पत्रकार आदिल रजा ने X पर लिखा: “यह हमला असीम मुनीर और उनकी सेना ने अपने निजी हितों के लिए करवाया। इसके लिए पूरे पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।” विशेषज्ञों का मानना है कि असीम के बयान ने आतंकियों को उकसाने का काम किया। पहलगाम हमले में हिंदुओं को निशाना बनाना उनके बयानों से प्रेरित लगता है।
2. पाकिस्तान ने क्यों खेला पहलगाम हमले का दांव?
पाकिस्तान इस समय आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से कमजोर स्थिति में है। पहलगाम हमले के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- कश्मीर में सामान्यीकरण से बौखलाहट: आर्टिकल 370 हटने और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बाद स्थिति सामान्य हो रही है। पर्यटन और कारोबार बढ़ रहे हैं, जो पाकिस्तान को पसंद नहीं।
- आंतरिक अस्थिरता: बलूच अलगाववाद, तहरीक-ए-तालिबान की गतिविधियां, बढ़ता कर्ज और महंगाई ने पाकिस्तान को अंदर से कमजोर किया है। कश्मीर को मुद्दा बनाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई।
- अंतरराष्ट्रीय अलगाव: अमेरिका, सऊदी अरब और अन्य देश पाकिस्तान को नजरअंदाज कर रहे हैं। भारत के साथ बढ़ती दोस्ती ने पाकिस्तान को असहज किया।
- मुस्लिम देशों से दूरी: सऊदी अरब और अफगानिस्तान जैसे देश अब पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहे।
3. पहलगाम हमले से पाकिस्तान क्या हासिल करना चाहता था?
पहलगाम हमले के पीछे निम्नलिखित मकसद थे:
- पर्यटन पर हमला: कश्मीर में 2024 में 2.35 करोड़ पर्यटक आए। हमले से पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।
- सांप्रदायिक तनाव: हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाकर भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश रची गई।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिकी उप-राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान हमला कर भारत की छवि खराब करने की कोशिश की गई।
- आतंकवाद को बढ़ावा: TRF जैसे आतंकी संगठनों को प्रोत्साहन देकर कश्मीर में अस्थिरता फैलाने का प्रयास किया गया।
4. हमले की टाइमिंग और तरीका क्या बताता है?
हमले की टाइमिंग और तरीका सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है:
- अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के भारत दौरे के दौरान हमला कर वैश्विक स्तर पर सनसनी फैलाने की कोशिश की गई।
- प्रधानमंत्री मोदी के सऊदी अरब दौरे के समय हमले से मध्य पूर्व के देशों को संदेश देने की कोशिश की गई।
- अमरनाथ यात्रा से पहले हमला कर तीर्थयात्रियों में डर पैदा करने का प्रयास किया गया।
5. पाकिस्तान को कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी?
23 अप्रैल 2025 को भारत ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए:
- सिंधु जल समझौता स्थगित।
- अटारी-वाघा चेक पोस्ट बंद।
- पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द और नए वीजा पर रोक।
- पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा सलाहकारों को भारत छोड़ने का आदेश।
- दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाई।
पूर्व डिप्लोमैट जेके त्रिपाठी: “सिंधु जल समझौते की रोक से पाकिस्तान के पंजाब में पानी की कमी होगी, जिससे वहां हाहाकार मचेगा।” लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ का कहना है कि भारत अब डिप्लोमैटिक, आर्थिक और सैन्य स्तर पर कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान की कमजोर स्थिति के कारण वह जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाएगा।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला पाकिस्तान की हताशा और साजिश का परिणाम है। असीम मुनीर के बयानों ने आतंकियों को प्रेरित किया, लेकिन भारत के कड़े कदमों से पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। यह हमला न केवल कश्मीर की शांति को भंग करने की कोशिश थी, बल्कि भारत की एकता और वैश्विक छवि को भी निशाना बनाया गया।

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