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पाकिस्तानी बमबारी में जाकिर की मौत: परिवार का दर्द, मुंहतोड़ जवाब की मांग | New PaperDoll

पाकिस्तानी बमबारी में जाकिर की मौत: परिवार का दर्द, मुंहतोड़ जवाब की मांग

पाकिस्तानी बमबारी: जम्मू में जाकिर की दर्दनाक मौत

10 मई 2025 की सुबह जम्मू में पाकिस्तानी बमबारी ने तबाही मचाई। सुबह साढ़े पांच बजे शुरू हुई गोलाबारी से जम्मू और आसपास के इलाके दहल उठे। खेड़ी गांव के 47 वर्षीय जाकिर हुसैन की नींद धमाकों की आवाज से खुली। डर के मारे वे अपने परिवार के साथ घर के एक कमरे में छिप गए। लेकिन एक जोरदार धमाका उनके घर के पास हुआ, जिससे खिड़कियों के शीशे टूट गए। जाकिर ने परिवार को बचाने के लिए पास की एक निर्माणाधीन सुरंग की ओर जाने का फैसला किया।

सड़क पर गिरा बम, छिन गया परिवार का सहारा

जाकिर का घर पहाड़ी पर था। सुरंग तक पहुंचने के लिए उन्हें जंगल पार करना था। जैसे ही वे पत्नी और बच्चों के साथ घर से निकले, एक बम सड़क पर उनके पैर के पास आ गिरा। धमाके में जाकिर का दायां पैर शरीर से अलग हो गया और उनके शरीर पर छर्रों से गहरे घाव हो गए। मौके पर ही जाकिर की मौत हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाने का मौका तक नहीं मिला। उसी दिन दोपहर में जाकिर का अंतिम संस्कार किया गया। पाकिस्तानी बमबारी ने उनके परिवार से उनका इकलौता सहारा छीन लिया।

परिवार का दर्द: अब बच्चे कौन पालेगा?

जाकिर की पत्नी अफरीदा और उनके चार बच्चे (तीन बेटियां और एक बेटा) सदमे में हैं। अफरीदा रोते हुए कहती हैं, “धमाके सुबह शुरू हुए थे। जाकिर बच्चों को बचाना चाहते थे। उन्हें डर था कि छत गिर न जाए। लेकिन छत तो बची, वे चले गए। अब मेरे बच्चों को कौन देखेगा?” उनकी बेटी ईरम भी हमले में मामूली रूप से घायल हुई, लेकिन पिता को खोने का दुख उसे तोड़ चुका है। जाकिर एक ढाबे पर काम करते थे और 15 हजार रुपये की तनख्वाह से परिवार चलाते थे। अब परिवार के सामने आर्थिक संकट है।

भाई की मांग: पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दो

जाकिर के चचेरे भाई जुल्फिकार अली ने बताया, “जाकिर डर गए थे कि बम घर पर न गिर जाए। वे परिवार को सुरक्षित जगह ले जाना चाहते थे। लेकिन 100 मीटर भी नहीं चल पाए कि बम उनके पास फटा।” जुल्फिकार ने गुस्से में कहा, “हमारा गांव LoC से 40-50 किमी दूर है। पहले कभी ऐसी बमबारी नहीं हुई। पाकिस्तानी बमबारी ने हमारे गांव में 30-35 गोले दागे। सीजफायर हो गया, लेकिन फायरिंग रुकी कहां? पाकिस्तान को ऐसा जवाब दो कि कोई और परिवार ये दर्द न झेले।”

गांव में दहशत, प्रशासन का सहयोग

खेड़ी गांव में पाकिस्तानी बमबारी के बाद दहशत का माहौल है। गांव के सरपंच धर्मेंद्र सिंह ने बताया, “कम से कम 10 जगह ड्रोन हमले हुए। आसपास के गांवों में भी नुकसान हुआ। लोग समझ ही नहीं पाए कि कहां छिपें। जाकिर के परिवार को सरकार से नौकरी और आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।” जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जाकिर के परिवार से मुलाकात की और सहायता राशि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी परिवार से मिलने की कोशिश में थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से नहीं पहुंच सके।

सीजफायर के बावजूद तनाव

10 मई की शाम को भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर लागू हुआ। लेकिन जुल्फिकार का कहना है कि फायरिंग और ड्रोन गतिविधियां जारी हैं। 11 मई को सांबा, जालंधर और बाड़मेर में ड्रोन दिखे, जबकि होशियारपुर में धमाके सुनाई दिए। भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी बमबारी का जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया, जिसका मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था। 7 मई से शुरू हुए इस ऑपरेशन में 5 आर्मी और 2 बीएसएफ जवान शहीद हुए, जबकि 27 नागरिकों की जान गई।

पीएम मोदी का संदेश

सीजफायर के 51 घंटे बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी बमबारी और आतंकी हमलों का जवाब हमने ऑपरेशन सिंदूर में दिया। 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। पाकिस्तान से अब आतंकवाद और PoK पर ही बात होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने सैन्य कार्रवाई को केवल स्थगित किया है, और पाकिस्तान के रवैये के आधार पर आगे की रणनीति तय होगी।

हालात सामान्य होने की कोशिश

जम्मू में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। अखनूर में लोग सड़कों पर लौटे हैं। बारामूला के उरी सेक्टर में 6 गांवों में लोगों को घर लौटने की अनुमति दी गई, लेकिन अनएक्सप्लोडेड ऑर्डिनेंस (UXO) का खतरा बरकरार है। पुलिस ने लोगों को संदिग्ध वस्तुओं से दूर रहने की सलाह दी है। बॉर्डर जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद हैं, जबकि गैर-सीमावर्ती क्षेत्रों में पढ़ाई शुरू हो गई है।के अलावा, सऊदी अरब रूस-यूक्रेन शांति वार्ता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे उसका वैश्विक कूटनीतिक कद बढ़ा है।

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