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पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर अमेरिका की नज़र: खतरा और नियंत्रण योजना | New PaperDoll

पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर अमेरिका की नज़र: खतरा और नियंत्रण योजना

हाल ही में पाकिस्तान के रेलमंत्री हनीफ अब्बासी ने विनाशकारी परमाणु हथियारों का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारी शाहीन, गोरी और गजनवी जैसी 130 मिसाइलें भारत की तरफ निशाना साधे हुए हैं। किसी को नहीं पता कि हमने अपने परमाणु हथियार देश के विभिन्न हिस्सों में कहां-कहां तैनात किए हैं।” इस प्रकार के बयानों से चिंतित अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नियंत्रण में लेने के लिए एक ‘आकस्मिक योजना’ तैयार की है। आइए जानते हैं इस योजना के विभिन्न पहलुओं के बारे में।

पाकिस्तान के परमाणु धमकियों का कारण

भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए थे। 2003 में भारत ने परमाणु हमले के संबंध में ‘पहले उपयोग नहीं’ की नीति अपनाई, यानी भारत पहला परमाणु हमला नहीं करेगा। इसलिए भारतीय नेतृत्व कभी भी परमाणु हमले की धमकी नहीं देता। दूसरी ओर, पाकिस्तान का कोई स्पष्ट परमाणु सिद्धांत नहीं है। वह अवसर आने पर पहले भी परमाणु हमला कर सकता है। इसलिए वह अपने परमाणु हथियारों को हमेशा उच्च सतर्कता पर रखता है। अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की शोधकर्ता दीया अष्टकला के अनुसार, पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से अपनी सैन्य कमजोरियों को छिपाने और भारत से मुकाबला करने के लिए है।

क्या है अमेरिका का आकस्मिक योजना?

परमाणु हथियारों के संदर्भ में एक शब्द प्रचलित है – ‘लूज न्यूक्स’। यह उन परमाणु हथियारों को संदर्भित करता है जिनके गलत हाथों में पड़ने का खतरा हो। अमेरिका को चिंता है कि यदि पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतें सत्ता या सेना पर काबिज हो जाएं, या आतंकवादी संगठनों को इन हथियारों तक पहुंच मिल जाए, तो यह विश्व के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। 2011 में अमेरिकी चैनल एनबीसी न्यूज ने कई अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत के आधार पर दावा किया था कि अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अपने नियंत्रण में लेने की आपातकालीन योजना बनाई है। 9/11 हमले से पहले से ही पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अमेरिका की प्राथमिकता रही है।

विकिलीक्स और कुछ अमेरिकी रक्षा पत्रिकाओं की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे इस विषय पर चर्चा होती रही है कि अगर परमाणु हथियार खतरे में दिखें तो अमेरिका क्या करेगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और विशेष बलों ने कथित तौर पर एक गुप्त योजना तैयार की है, जिसमें:

  1. पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की स्थिति का मानचित्रण किया गया है।
  2. इन पर तेजी से नियंत्रण करने के लिए परिचालन योजनाएं बनाई गई हैं।
  3. आवश्यकता पड़ने पर परमाणु हथियारों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के विकल्प भी शामिल किए गए हैं।

किन परिस्थितियों में अमेरिका योजना को क्रियान्वित करेगा?

एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर नियंत्रण करने की योजना क्रियान्वित कर सकता है:

1. आतंकवादियों द्वारा परमाणु हथियारों पर नियंत्रण

पाकिस्तान का रणनीतिक योजना विभाग परमाणु हथियारों की सुरक्षा और निगरानी का कार्य देखता है। लगभग 9,000 वैज्ञानिक पाकिस्तान की परमाणु साइटों पर कार्यरत हैं। दो सेवानिवृत्त पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिकों के ओसामा बिन लादेन से मिलने की खबरें आई थीं। अमेरिकी सरकार के प्रशिक्षण संस्थान (जीटीआई) के अनुसार, 2011 तक आतंकवादी पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी कम से कम 6 साइटों को निशाना बना चुके थे। यदि आतंकवादी परमाणु हथियार हासिल करने के बेहद करीब पहुंचते हैं, तो अमेरिकी योजना क्रियान्वित हो सकती है।

2. इस्लामी कट्टरपंथियों का सरकार या सेना पर नियंत्रण

2012 में ब्रिगेडियर अली खान समेत 4 पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को आतंकवादी संगठनों से संपर्क रखने के आरोप में सजा सुनाई गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) रामेश्वर रॉय के अनुसार, 50 इस्लामी देशों में से केवल पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, जिनकी कमान सेना के हाथ में रहती है। ये हथियार इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकवादियों के निशाने पर रहते हैं। अल-कायदा जैसे संगठनों ने कई बार इन हथियारों को हथियाने की कोशिश की है।

3. पाकिस्तान में आंतरिक अराजकता

जब सरकार अस्थिर हो जाए, पाकिस्तान आर्थिक रूप से बर्बादी के कगार पर हो और तख्तापलट जैसी स्थितियां उत्पन्न हों, तब परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए अमेरिका हस्तक्षेप कर सकता है।

अमेरिका इस योजना को कैसे क्रियान्वित करेगा?

जीटीआई के अनुसार, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नियंत्रण करने के दो मुख्य योजनाएं हैं, जो अलग-अलग परिस्थितियों में कार्य करेंगी:

1. यदि कोई एक परमाणु हथियार गायब हो जाए

इस स्थिति में ओसामा बिन लादेन पर हमले जैसा सीमित अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए अमेरिका ने विशेष प्रशिक्षित इकाइयां तैयार की हैं, जिनमें उसके सील कमांडो और विस्फोटक निपटान विशेषज्ञ शामिल होंगे। अमेरिका की संयुक्त विशेष अभियान कमान (जेएसओसी) के पास जेट, पैराशूट और अन्य सभी उपकरण होते हैं। जेएसओसी पहले भी परमाणु हथियारों को निष्क्रिय करने वाले ‘रेंडर सेफ मिशन’ को अंजाम दे चुकी है।

2. पाकिस्तान में मौजूद सभी परमाणु हथियारों पर खतरा

अमेरिका के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार, तख्तापलट या गृहयुद्ध की स्थिति में जेएसओसी को पूरे पाकिस्तान के सभी परमाणु हथियारों को नियंत्रण में लेना होगा। इसमें सेंट्रल कमांड, मरीन कमांडो, अन्य सैन्य टुकड़ियों और विशेषज्ञों को भी शामिल करना होगा। जेएसओसी कई वर्षों से इस प्रकार के अभियान की तैयारी कर रहा है। वह परमाणु स्थलों पर जाकर हथियार खोजने और स्थल को खाली करने जैसे कार्यों का प्रशिक्षण ले चुका है।

क्या 170 परमाणु हथियारों पर अमेरिका का नियंत्रण संभव है?

ओसामा की हत्या के बाद पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा बढ़ा दी थी। जीटीआई के अनुसार, जनरल कयानी चिंतित थे कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के एक से अधिक स्थलों पर रखे परमाणु हथियारों पर छापेमारी करने की क्षमता है। पाकिस्तान का रणनीतिक योजना विभाग (एसपीडी) परमाणु हथियारों को 15 या उससे अधिक परमाणु सुविधाओं के बीच स्थानांतरित करता रहता है। परमाणु हथियारों को रखरखाव के लिए ले जाते समय जासूसों और उपग्रहों की नजर से बचाने के लिए कभी हेलीकॉप्टर से, तो कभी बुलेटप्रूफ वाहनों के बजाय बिना सुरक्षा की सार्वजनिक वैन से ले जाया जाता है।

परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि सीआईए जैसी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तान के सभी परमाणु ठिकानों की जानकारी होना मुश्किल है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जनरल जेम्स जोन्स ने 2011 में कहा था, ‘कोई भी व्यक्ति जो आपको यह कहे कि उसे पता है पाकिस्तान के सभी परमाणु हथियार कहां हैं, वह झूठ बोल रहा है।’ वास्तविकता यह है कि भारत की तरह पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पारदर्शी नहीं है। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की संख्या और स्थान के बारे में भी केवल अनुमान लगाए जाते हैं। ऐसे में अमेरिका के लिए उसके सभी परमाणु हथियारों को निष्क्रिय करना या नियंत्रण में लेना कठिन है।

क्या पाकिस्तान को अमेरिका की इस योजना की जानकारी है?

पाकिस्तानी नेता नहीं मानते कि उनके परमाणु हथियारों को कोई खतरा है। सेना में कट्टरपंथी अधिकारियों या आतंकवादियों से अधिकारियों के संबंधों से भी पाकिस्तान इनकार करता रहा है। जीटीआई के अनुसार, पाकिस्तान के नेताओं को लंबे समय से पता है कि अमेरिकी सेना ने उसके परमाणु हथियारों पर नियंत्रण करने की योजना बनाई है। अमेरिका कहता है कि ऐसा कोई भी सेफ-रेंडर मिशन तभी सक्रिय किया जाएगा जब अन्य सभी विकल्प विफल हो जाएंगे। अमेरिका पाकिस्तान से यह कहता है कि उसका उद्देश्य परमाणु हथियारों पर पाकिस्तान को लंबे समय तक सुरक्षित तरीके से नियंत्रण बनाए रखने में मदद करना है।

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के हथियारों पर नियंत्रण से भारत को क्या लाभ होगा?

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) रामेश्वर रॉय के अनुसार, वर्तमान में विश्व में तनाव की स्थिति है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की संप्रभुता के विरुद्ध जाकर ऐसी कोई कार्रवाई करने की संभावना नगण्य है। हालांकि, यदि ऐसा होता है तो यह एक विषैले सांप के विष के दांत तोड़ने जैसा होगा। रामेश्वर के अनुसार, यदि पाकिस्तान के परमाणु हथियार नष्ट हो जाते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत उस पर हमला करेगा, लेकिन वह कम से कम भारत को परमाणु हमले की धमकी नहीं दे सकेगा।

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