प्रीत सिरोही: अवैध कब्जे हटाने का एक बुलंद हौसला
दिल्ली की सड़कों पर एक शख्स बेबाकी से अपनी बात रखता है। लंबे बाल, दाढ़ी और तेज आवाज वाला ये शख्स है प्रीत सिंह सिरोही। इनका मिशन है सरकारी जमीन पर बने अवैध मस्जिद, दरगाह, मजार और कब्रिस्तानों को हटाना। प्रीत सिरोही अवैध कब्जे के खिलाफ एक ऐसी जंग लड़ रहे हैं, जिसमें वो अकेले नहीं, बल्कि 37 वकीलों की टीम और देशभर में 800 वकीलों का नेटवर्क उनके साथ है।
कौन हैं प्रीत सिरोही?
प्रीत सिरोही दिल्ली में रहते हैं और सेव इंडिया फाउंडेशन नाम की संस्था चलाते हैं। वो कहते हैं, “देश में कई जगह कराची और लाहौर जैसे हालात बन गए हैं। जब तक मैं हूं, इन्हें रहने नहीं दूंगा।” प्रीत ने देशभर में करीब 2500 मस्जिद-दरगाहों और दिल्ली में 275 इस्लामिक स्ट्रक्चर्स के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि ये स्ट्रक्चर्स सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बने हैं।
वजीरपुर मस्जिद: ताजा मामला
दिल्ली के वजीरपुर में जेजे कॉलोनी के ब्लॉक नंबर-3 में बनी एक मस्जिद पर प्रीत सिरोही ने सवाल उठाए। आरोप है कि ये मस्जिद सरकारी स्कूल की जमीन पर बनी है। मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर पर 8 दुकानें हैं, जिनसे हर महीने 32 हजार रुपये की कमाई होती है। प्रीत ने 26 मार्च 2025 को इसके खिलाफ याचिका दायर की। कोर्ट ने MCD को सर्वे का आदेश दिया, और 8 अप्रैल तक दो सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में जमा हो चुकी है।
प्रीत का कहना है, “इस मस्जिद का कोई सही पता नहीं है। बिजली कनेक्शन D ब्लॉक के पते पर है, जबकि मस्जिद J ब्लॉक में है। न खसरा नंबर, न प्लॉट नंबर। ये जमीन DDA की है।”
सुल्तानपुरी और मंगोलपुरी: कोर्ट में चल रही सुनवाई
सुल्तानपुरी के P-1 ब्लॉक में बनी फारुखी मस्जिद पर भी प्रीत ने याचिका दायर की। मस्जिद कमेटी को MCD का नोटिस मिल चुका है, और कोर्ट से 28 अप्रैल तक स्टे लिया गया है। मस्जिद के सेक्रेटरी नबी आलम कहते हैं, “1982 में बनी ये मस्जिद। हमने कई बार जमीन अलॉटमेंट की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।”
मंगोलपुरी के Y ब्लॉक में एक मस्जिद और मदरसे के पीछे MCD का पार्क है। प्रीत का आरोप है कि मस्जिद ने पार्क की जमीन पर कब्जा किया। कोर्ट के आदेश पर MCD ने मस्जिद की दीवार तोड़ दी। मस्जिद के सदर फखरुद्दीन शाह कहते हैं, “हम जमीन की कीमत देने को तैयार हैं।”
पंचपीर दरगाह: हिंदू धार्मिक स्थल का दावा
मंगोलपुरी की मशहूर पंचपीर दरगाह पर भी प्रीत ने याचिका दायर की। उनका दावा है कि ये जगह पहले हिंदुओं का धार्मिक स्थल थी, जहां नई फसल की पूजा होती थी। प्रीत कहते हैं, “एक बकरी चराने वाले की मौत के बाद उसे यहीं दफनाया गया, और ये जगह पंचपीर दरगाह बन गई।” वहीं, दरगाह की देखभाल करने वाले मंसूर हसन कहते हैं, “ये 400 साल पुरानी दरगाह है। आजकल माहौल ऐसा है कि हर मस्जिद-दरगाह पर सवाल उठ रहे हैं।”
रेलवे और एयरपोर्ट की जमीन पर कब्जे का आरोप
प्रीत सिरोही ने रेलवे की 1.68 लाख स्क्वायर मीटर और एयरपोर्ट अथॉरिटी की 10,919 स्क्वायर मीटर जमीन पर अवैध कब्जे का दावा किया है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने इन जमीनों पर बने धार्मिक स्थलों की लिस्ट दी है, जिनमें ज्यादातर इस्लामिक स्ट्रक्चर्स हैं। कोर्ट ने रेलवे को अपनी जमीन सुरक्षित करने और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
प्रीत का मिशन: सिर्फ इस्लामिक स्ट्रक्चर्स क्यों?
जब प्रीत से पूछा गया कि क्या मंदिर या गुरुद्वारों में अवैध कब्जे नहीं मिले, तो उनका जवाब था, “अब तक नहीं मिला। ये काम सरकार का है, मेरा नहीं।” प्रीत रोज 2-4 हजार मैसेज मिलने का दावा करते हैं, जिनमें लोग अवैध कब्जे की शिकायत करते हैं। उनकी 37 वकीलों की टीम दिल्ली में और 800 वकीलों का नेटवर्क देशभर में काम कर रहा है।
प्रीत सिरोही का निजी जीवन
परिवार के बारे में ज्यादा बात नहीं करते। वो शादीशुदा हैं, लेकिन पत्नी और बच्चे से दूर रहते हैं। वो कहते हैं, “मैंने ये रास्ता चुना है, अपने परिवार को खतरे में क्यों डालूं?” प्रीत 2016 से अन्न त्याग चुके हैं और सिर्फ दूध और फल खाते हैं। उनके लंबे बाल उनकी प्रतिज्ञा का प्रतीक हैं—जब तक देश में गायों की हत्या बंद नहीं होती, वो बाल नहीं कटवाएंगे।
प्रीत सिरोही अवैध कब्जे के खिलाफ क्यों?
“नेता सिर्फ भाषण देते हैं। अगर हम चुप रहे, तो एक दिन हमें ही देश छोड़कर भागना पड़ेगा।” उनकी याचिकाओं के बाद कई जगहों पर कार्रवाई हुई है, जैसे बवाना, रोहिणी, नंदनगरी और साबा डेयरी में मस्जिदों के अवैध हिस्से हटाए गए।
कोर्ट में कितने केस?
प्रीत की लीगल टीम के वकील विकास शर्मा बताते हैं, “दिल्ली हाईकोर्ट में 15 केस और जिला अदालतों में इससे ज्यादा केस पेंडिंग हैं।” उनकी टीम RTI और पुराने दस्तावेजों के जरिए जमीन के मालिकाना हक की जानकारी जुटाती है।
निष्कर्ष
प्रीत सिरोही अवैध कब्जे के खिलाफ एक बुलंद आवाज बन चुके हैं। उनकी लड़ाई सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं, बल्कि वो समाज में जागरूकता भी ला रहे हैं। हालांकि, उनके अभियान पर सवाल भी उठते हैं कि क्या ये सिर्फ एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं? प्रीत का जवाब साफ है—वो सिर्फ सरकारी जमीन को वापस दिलाना चाहते हैं।
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