अयोध्या में आज रामनवमी का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर रामलला का सूर्य तिलक होगा, जो हर साल भक्तों के लिए एक अनोखा और आध्यात्मिक पल होता है। दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर 4 मिनट तक पड़ेंगी। इसके लिए अयोध्या के राम मंदिर में एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो सूर्य की रोशनी को गर्भगृह तक पहुंचाती है। यह दूसरा मौका है जब रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया जाएगा।
कैसे होता है ?
राम मंदिर में सूर्य की किरणों को रामलला तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक खास सिस्टम तैयार किया है। इसमें दर्पण और लेंस का उपयोग होता है। मंदिर के ऊपरी हिस्से से सूर्य की किरणें पहले एक दर्पण पर पड़ती हैं, फिर कई लेंस और शीशों से होकर गर्भगृह तक पहुंचती हैं। यह तकनीक इतनी सटीक है कि किरणें ठीक रामलला के माथे पर 75 मिमी के गोल तिलक के रूप में दिखती हैं। यह नजारा करीब 4 मिनट तक रहता है, जो भक्तों के लिए बेहद मनमोहक होता है।

रामलला का सूर्य तिलक क्यों है खास?
रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ, तो सूर्य देव अयोध्या आए। वे रामलला के दर्शन से इतने मोहित हुए कि एक महीने तक वहीं रुके। इस दौरान अयोध्या में रात नहीं हुई। उनकी चौपाई है:
“मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ। रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ।।”
इसका मतलब है कि सूर्य देव रामलला के जन्म के समय उनकी महिमा में खो गए। चूंकि राम सूर्यवंशी थे और सूर्य उनके कुल देवता थे, इसलिए रामनवमी पर सूर्य तिलक का बहुत महत्व है। यह परंपरा आस्था और विज्ञान का सुंदर संगम है।
आज का आयोजन
आज रामनवमी पर अयोध्या में लाखों भक्त जुटे हैं। रामलला का सूर्य तिलक दोपहर 12 बजे होगा। इस पल को देखने के लिए मंदिर के आसपास बड़ी स्क्रीनें लगाई गई हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने पहले ही इस तकनीक का परीक्षण कर लिया है, ताकि सब कुछ सही हो। यह दृश्य न सिर्फ अयोध्या में मौजूद लोगों के लिए, बल्कि देशभर के राम भक्तों के लिए भी खास है।
एक अनोखा अनुभव
रामलला का सूर्य तिलक देखना हर भक्त के लिए गर्व और श्रद्धा का क्षण है। सूर्य की किरणें जब उनके माथे पर पड़ती हैं, तो ऐसा लगता है मानो सूर्य देव खुद रामलला को आशीर्वाद दे रहे हों। अगर आप इस खास पल को समझना चाहते हैं, तो ऊपर दिए वीडियो पर क्लिक करें और जानें कि यह तकनीक कैसे काम करती है।

















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