पंजाब के तरनतारन जिले में बसा जाति उमरा गांव आजकल चर्चा में है। यह गांव कोई साधारण गांव नहीं, बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पैतृक गांव है। अमृतसर से करीब 35-40 किलोमीटर दूर यह गांव शरीफ परिवार की जड़ों को दर्शाता है। गांव के लोग दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं और शहबाज शरीफ के परिवार से गहरा लगाव रखते हैं।
गांव वालों की भावनाएं: शांति की पुकार
जाति उमरा के निवासी बलविंदर सिंह कहते हैं, “पाकिस्तान से अगर मिसाइल या बम आता है, तो नुकसान दोनों तरफ होता है। शहबाज शरीफ और नवाज शरीफ को समझना चाहिए कि उनका परिवार भी यहीं है। युद्ध से किसी का भला नहीं होगा।” गांव के लोग चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म हो और व्यापार व रिश्ते मजबूत हों।
शहबाज शरीफ का पैतृक गांव: गुरुद्वारा बना पुश्तैनी घर
जाति उमरा में शहबाज शरीफ के पिता मियां मुहम्मद शरीफ की पुरानी हवेली अब एक गुरुद्वारा बन चुका है। गांव के गुरपाल सिंह बताते हैं, “1976 में शरीफ परिवार ने अपनी जर्जर हवेली गांव को दान कर दी थी। इसके बाद इसे गुरुद्वारे का हिस्सा बना दिया गया।” आज गांव वाले चंदे से गुरुद्वारे का विस्तार कर रहे हैं। शरीफ परिवार की मजारों की देखभाल भी यहीं के सिख समुदाय के लोग करते हैं।
शरीफ परिवार का गांव से लगाव
शहबाज शरीफ का पैतृक गांव उनके परिवार के लिए खास है। इतना खास कि उन्होंने पाकिस्तान के लाहौर में भी ‘जाति उमरा’ नाम से एक गांव बसाया। वहां उनकी आलीशान हवेली और बिजनेस साम्राज्य है। गांव के लोग बताते हैं कि शरीफ परिवार समय-समय पर संपर्क में रहता है। 2013 में नवाज शरीफ के कहने पर गांव में एक स्टेडियम भी बनवाया गया, हालांकि अब इसकी हालत खराब हो चुकी है।
आतंकवाद पर गांव की राय
भारत-पाक तनाव और आतंकवाद के सवाल पर गांव वाले खुलकर बोलते हैं। गुरपाल सिंह कहते हैं, “जब शहबाज या नवाज कोई अच्छा काम करते हैं, तो हमें गर्व होता है। लेकिन आतंकवाद से जुड़ी खबरें सुनकर शर्मिंदगी होती है।” गांव के लोग साफ कहते हैं कि वे आतंकवाद का समर्थन नहीं करते। वे चाहते हैं कि दोनों देश बातचीत से समस्याएं सुलझाएं।
शहबाज शरीफ का पैतृक गांव: उम्मीदों का केंद्र
जाति उमरा के लोग शरीफ परिवार से बड़ी उम्मीदें रखते हैं। पूर्व सरपंच दिलबाग सिंह बताते हैं, “शरीफ परिवार ने गांव से अपना रिश्ता कभी नहीं तोड़ा। 2013 में शहबाज शरीफ ने अपने परदादा की मजार पर चादर चढ़ाई थी। गांव को सजाकर उनका स्वागत किया गया था।” गांव वाले मानते हैं कि शरीफ परिवार भारत-पाक रिश्तों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
दोनों देशों के लिए संदेश
शहबाज शरीफ का पैतृक गांव एक मिसाल है कि इंसानी रिश्ते सरहदों से ऊपर हैं। गांव के लोग कहते हैं, “हमारा खून, हमारी बोली, हमारी संस्कृति एक है। बस प्यार और भरोसा बढ़ाने की जरूरत है।” वे शहबाज शरीफ से अपील करते हैं कि आतंकवाद को रोकें और शांति की पहल करें, ताकि दोनों देशों के लोग बिना डर के जी सकें।

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