प्रयागराज, 4 अप्रैल 2025: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष ने राधा-रानी को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग उठाई है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की वकील रीना एन सिंह ने कोर्ट में कहा, “भगवान श्रीकृष्ण इस मामले के मुख्य वादी हैं। राधा-रानी के बिना श्रीकृष्ण अधूरे हैं। उनकी सारी संपत्ति में राधा-रानी का भी हक है। इसलिए उन्हें पक्षकार बनाया जाए।”
इस मांग पर मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया, “हमें राधा-रानी को पक्षकार बनाने से कोई दिक्कत नहीं है। बस यह देखा जाए कि यह आवेदन कानून के हिसाब से सही है या नहीं।” दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 6 मई की तारीख तय की।
क्या है विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर बनाया गया था। यह मस्जिद 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने बनवाई थी। हिंदू पक्ष चाहता है कि इस मस्जिद को वहां से हटाया जाए और जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के हवाले किया जाए।
राधा-रानी और श्रीकृष्ण का रिश्ता
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि राधा-रानी और श्रीकृष्ण को एक ही आत्मा का हिस्सा माना जाता है। ब्रज की परंपरा में राधा को श्रीकृष्ण की आंतरिक शक्ति कहा जाता है। उनका कहना है कि फुलेरा दूज के दिन मथुरा के भांडीरवन में राधा और कृष्ण का विवाह हुआ था। इसकी जानकारी पुराणों और धार्मिक किताबों में मिलती है। हिंदू पक्ष के मुताबिक, ब्रह्मा जी ने खुद इस विवाह को संपन्न कराया था। इसलिए यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अहम है।
शाही ईदगाह को विवादित ढांचा बनाने की मांग
सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने एक और मांग रखी। उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित किया जाए। उनका तर्क था, “अयोध्या में बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा माना गया था। उसी तरह शाही ईदगाह को भी ऐसा ही दर्जा दिया जाए।”
इस पर मुस्लिम पक्ष ने सख्त आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “पिछले 400 साल से यह शाही ईदगाह है। इसे विवादित ढांचा कहना गलत है। इस मांग को सजा के साथ खारिज करना चाहिए।” दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा।
आगे क्या होगा?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला अब कानूनी और धार्मिक दोनों नजरिए से और गहरा हो गया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि राधा-रानी को पक्षकार बनाना उनकी आस्था का सम्मान है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इसे कानूनी आधार पर देखने की बात कह रहा है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को तय की है। तब तक यह देखना होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है।
क्यों खास है यह मामला?
- यह सिर्फ जमीन का विवाद नहीं, बल्कि हिंदू आस्था से जुड़ा मुद्दा है।
- राधा-रानी को पक्षकार बनाने की मांग से मामला और संवेदनशील हो गया है।
- शाही ईदगाह को हटाने की मांग पर कोर्ट का फैसला भविष्य तय करेगा।

















Leave a Reply