कैप्टन शुभांशु शुक्ला मई 2025 में एक्सिओम 4 मिशन (Ax-4) के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाएंगे। वे ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और 40 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्रा की थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस ऐतिहासिक मिशन की घोषणा की, जिसने देशवासियों में उत्साह भर दिया है।
एक्सिओम 4 मिशन: अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक
एक्सिओम 4 मिशन एक प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन है, जो नासा, इसरो, और अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस के सहयोग से आयोजित हो रहा है। इस मिशन में चार देशों—भारत, पोलैंड, हंगरी, और अमेरिका—के चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला मिशन के पायलट होंगे, जबकि पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन मिशन की कमांडर होंगी। पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल होंगे। यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के लिए 40 साल बाद पहली सरकारी मानव अंतरिक्ष उड़ान का प्रतीक है।
चारों अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होंगे। फाल्कन-9 रॉकेट इस मिशन को अंतरिक्ष में ले जाएगा। 14 दिन के इस मिशन में चालक दल माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक प्रयोग, तकनीकी प्रदर्शन, और शैक्षिक गतिविधियां करेंगे।
शुभांशु शुक्ला: लखनऊ से अंतरिक्ष तक का सफर
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 10 अक्टूबर 1985 को जन्मे शुभांशु शुक्ला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज से पूरी की। 1998 में कारगिल युद्ध ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। बिना परिवार को बताए उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का प्रवेश परीक्षा दी और इसे पास कर लिया। 2005 में NDA से ग्रेजुएशन के बाद, वे 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में शामिल हुए।
शुभांशु एक अनुभवी टेस्ट पायलट और फाइटर कॉम्बैट लीडर हैं, जिनके पास 2,000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है। उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, और An-32 जैसे विमानों को उड़ाया है। 2019 में इसरो ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना, और उन्होंने मॉस्को के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठिन प्रशिक्षण लिया। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया।
मिशन के उद्देश्य और महत्व
एक्सिओम 4 मिशन का लक्ष्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना, नई तकनीकों का परीक्षण करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है। शुभांशु शुक्ला सात प्रयोग करेंगे, जिनमें कृषि, खाद्य, और मानव जीव विज्ञान शामिल हैं। इसके अलावा, वे 60 वैज्ञानिक अध्ययनों में सहायता करेंगे, जो 31 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुभांशु भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए योग करेंगे और भारतीय वस्तुएं साथ ले जाएंगे।
यह मिशन इसरो के गगनयान कार्यक्रम के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो 2026 में भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। शुभांशु का अनुभव गगनयान की तैयारियों को मजबूती देगा। इसरो ने ग्रुप कैप्टन प्रसंथ बालकृष्णन नायर को बैकअप अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना है, जो आपात स्थिति में शुभांशु की जगह लेंगे।
एक प्रेरणा: 1.4 अरब भारतीयों की यात्रा
शुभांशु ने कहा, “यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की यात्रा है। मैं अपने अनुभव को तस्वीरों और वीडियो के जरिए देशवासियों के साथ साझा करूंगा।” उनकी यह यात्रा नई पीढ़ी को अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगी और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
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