सिंधु जल समझौता स्थगित: पाकिस्तान की 90% खेती पर संकट, अब क्या हैं विकल्प?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया, जिससे पाकिस्तान की 90% खेती, बिजली उत्पादन और पीने के पानी पर संकट मंडरा रहा है। भारत के इस कदम ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। आइए जानते हैं भारत के 5 बड़े फैसलों, उनके प्रभाव और पाकिस्तान के पास बचे विकल्पों के बारे में।
मुख्य खबर: सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जनता पर गहरा असर पड़ सकता है।
पहलगाम हमले के बाद भारत के 5 बड़े फैसले
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए। 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में निम्नलिखित 5 फैसले लिए गए:
- सिंधु जल समझौता स्थगित: जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक यह समझौता निलंबित रहेगा।
- अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: यह चेकपोस्ट तुरंत बंद कर दी गई। 1 मई तक सभी को वापस जाना होगा।
- SAARC वीजा छूट रद्द: पाकिस्तानी नागरिकों को अब इस योजना के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। पहले से मौजूद लोगों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।
- पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों की वापसी: दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को एक सप्ताह में भारत छोड़ना होगा। भारत भी अपने सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा।
- उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या में कटौती: दोनों देशों के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी।
सिंधु जल समझौता स्थगित होने का प्रभाव
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इस समझौते के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) का पानी बांटा गया। पाकिस्तान की 90% खेती (4.7 करोड़ एकड़) और 23% राष्ट्रीय आय इसी पानी पर निर्भर है। इसके अलावा, मंगल और तारबेला बांधों से बिजली उत्पादन का 30-50% हिस्सा भी प्रभावित होगा। “पाकिस्तान की कमजोर सरकार को भारत ने साफ संदेश दिया है कि अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” – प्रो. प्रियंकर उपाध्याय, BHU
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद होने का असर
अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का प्रमुख रास्ता है। 2023-24 में यहां से 3,886 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। बॉर्डर बंद होने से भारत से सोयाबीन, सब्जियां, और मसाले, तथा पाकिस्तान से सूखे मेवे और जड़ी-बूटियों का व्यापार रुक जाएगा। इसके अलावा, इलाज के लिए भारत आने वाले पाकिस्तानी मरीजों को भी दिक्कत होगी।
सिंधु जल समझौता: क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?
सिंधु जल समझौता एक ऐतिहासिक संधि है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्धों (1947, 1965, 1971) के बावजूद बरकरार रही। इस समझौते ने सिंधु नदी प्रणाली की नदियों का पानी बांटा:
- पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज): इन पर भारत का पूरा नियंत्रण है।
- पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब): इनका 20% पानी भारत उपयोग कर सकता है, बाकी पाकिस्तान को जाता है।
यह समझौता वर्ल्ड बैंक की गारंटी के तहत हुआ था और इसे ट्रांसबाउंड्री जल संधि माना जाता है, जो युद्ध के दौरान भी लागू रहती है।
क्या भारत पानी को पूरी तरह रोक सकता है?
हालांकि सिंधु जल समझौता स्थायी संधि है, जिसे एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत वियना संधि की धारा 62 के तहत इससे पीछे हट सकता है। भारत पहले से ही पूर्वी नदियों पर भाखड़ा, पोंग, और रंजीत सागर जैसे बांधों के जरिए 94% पानी का उपयोग करता है। पश्चिमी नदियों पर बगलीहार और किशनगंगा जैसे प्रोजेक्ट भी शुरू हैं। हालांकि, पानी को पूरी तरह रोकने के लिए नए बांध और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी, जिससे रातोंरात रोक संभव नहीं है।सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान के पंजाब में हाहाकार मच सकता है।” – जेके त्रिपाठी, पूर्व डिप्लोमैट
पाकिस्तान के पास अब क्या विकल्प हैं?
सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान के सामने गंभीर चुनौतियां हैं। उसके पास निम्नलिखित विकल्प हो सकते हैं:
- वर्ल्ड बैंक से अपील: पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक से मध्यस्थता की मांग कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पहलगाम हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान का साथ नहीं देगा।
- संयुक्त राष्ट्र या अन्य मंच: पाकिस्तान इस मुद्दे को वैश्विक मंचों पर उठा सकता है, लेकिन इन मंचों की सीमित शक्ति के कारण सफलता की संभावना कम है।
- चीन से सहायता: पाकिस्तान चीन की मदद मांग सकता है, लेकिन चीन ने भी पहलगाम हमले की निंदा की है, इसलिए खुला समर्थन मिलना मुश्किल है।
- आंतरिक जल प्रबंधन: पाकिस्तान को अपने जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना होगा, जैसे बांधों का रखरखाव और वर्षा जल संचयन।
“पाकिस्तान की व्यवस्था ही आतंकवाद को बढ़ावा देती है। वैश्विक मंचों पर उसका साथ मिलना मुश्किल है।” – प्रो. राजन कुमार, JNU
निष्कर्ष
सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान की खेती, बिजली, और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। भारत ने पहलगाम हमले के बाद साफ कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ अब कोई ढील नहीं बरती जाएगी। पाकिस्तान के पास वर्ल्ड बैंक या वैश्विक मंचों पर जाने का विकल्प है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उसे आतंकवाद पर ठोस कदम उठाने होंगे। इस तनावपूर्ण स्थिति में दोनों देशों को संवाद और शांति की दिशा में काम करने की जरूरत है।

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