RSS: अमर संस्कृति का वट वृक्ष, निस्वार्थ सेवा का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भारतीय संस्कृति की अमर धरोहर बताते हुए इसे एक विशाल वट वृक्ष की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक निस्वार्थ सेवा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक हैं, जो अपने कर्म और विचारों से समाज को दिशा देते हैं।
मोदी ने कहा, “हम देव से देश और राम से राष्ट्र का मंत्र लेकर चल रहे हैं।” यह विचारधारा केवल एक संगठन तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण भारत की चेतना का हिस्सा है। संघ ने हमेशा राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है, चाहे वह समाज सेवा हो, प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य हों या सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा।
निस्वार्थ सेवा की परंपरा
RSS के स्वयंसेवक बिना किसी स्वार्थ के समाजसेवा में जुटे रहते हैं। यह संगठन न केवल देशभक्ति को सशक्त करता है, बल्कि युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय मूल्यों से भी जोड़ता है। यही कारण है कि इसे भारतीय संस्कृति का वट वृक्ष कहा जाता है, जिसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि समय के किसी भी आघात से यह डगमगाता नहीं।
संघ और राष्ट्रवाद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र के प्रति समर्पण और सेवा की भावना को जागृत करना है। मोदी ने संघ के इस योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन देश की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को मजबूत कर रहा है।
संघ की विचारधारा और भविष्य
RSS की विचारधारा राष्ट्रवाद, सामाजिक समरसता और सेवा पर आधारित है। आने वाले समय में इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह संगठन युवाओं को प्रेरित कर भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
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