अगर आप अपना फेसबुक, इंस्टाग्राम या एक्स खोलते ही यह चेतावनी देखें – “इसका इस्तेमाल सेहत के लिए हानिकारक है” तो क्या आप चौंक जाएंगे?यह कोई मज़ाक नहीं है! जिस तरह सिगरेट और शराब के पैकेट पर चेतावनी लिखी होती है, अब एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि सोशल मीडिया पर भी ऐसी ही चेतावनी होनी चाहिए।
डॉक्टरों का क्या कहना है?
भारतीय मूल के डॉ. विवेक मूर्ति, जो अमेरिका में यूएस सर्जन जनरल रह चुके हैं, उन्होंने सोशल मीडिया को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया भी शराब और सिगरेट की तरह खतरनाक है। इसके अधिक इस्तेमाल से याददाश्त कमजोर हो रही है, मानसिक तनाव बढ़ रहा है और बच्चों की सेहत प्रभावित हो रही है।
दुनिया के कई देश कर रहे हैं रोक लगाने की तैयारी
- ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया है।
- कई अन्य देश भी कड़े कानून लाने की तैयारी कर रहे हैं।
- सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन के डेवलपमेंट को प्रभावित कर रहा है।
बच्चों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा असर
रिसर्च के अनुसार, भारतीय लोग हर दिन औसतन 7.3 घंटे फोन की स्क्रीन पर बिताते हैं, जिसमें से ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर ही जाता है। बच्चे और किशोर इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनकी इमोशनल हेल्थ और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है।
सोशल मीडिया से क्या नुकसान हो रहा है?
✅ याददाश्त कमजोर हो रही है – सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने से नींद कम होती है, जिससे मेंटल हेल्थ खराब होती है।
✅ अटेंशन स्पैन घट रहा है – पहले लोग किसी काम पर 2.5 मिनट ध्यान केंद्रित कर सकते थे, लेकिन अब यह 47 सेकंड तक आ गया है।
✅ डिप्रेशन और एंग्जाइटी बढ़ रही है – बच्चे हर छोटी खुशी के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर हो रहे हैं।
सोशल मीडिया की लत से कैसे छुटकारा पाएं?
मनोचिकित्सक डॉ. कृष्णा मिश्रा कहते हैं कि किसी बुरी आदत को छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसकी जगह कोई अच्छी आदत अपनाई जाए।
👉 इन आसान तरीकों को अपनाएं:
✔ दिनभर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की बजाय किताबें पढ़ें या आउटडोर एक्टिविटीज करें।
✔ मोबाइल का स्क्रीन टाइम कम करें।
✔ सोशल मीडिया का इस्तेमाल फिक्स टाइम पर करें।
✔ दोस्तों और परिवार के साथ रियल लाइफ में समय बिताएं।
कैसे सुधरेगी ब्रेन फंक्शनिंग?
अगर लंबे समय तक सोशल मीडिया इस्तेमाल किया गया है, तो ब्रेन फंक्शनिंग कमजोर हो जाती है। इसे सुधारने के लिए –
✔ सोशल मीडिया का समय तय करें।
✔ योग और ध्यान करें, जिससे एकाग्रता बढ़ती है।
✔ कोई क्रिएटिव एक्टिविटी अपनाएं, जैसे पेंटिंग, म्यूजिक, राइटिंग आदि।
क्या होता है पॉपकॉर्न ब्रेन?
जब दिमाग बार-बार विषय बदलता है, स्थिरता नहीं होती, एक चीज पर ध्यान नहीं टिकता, तो इसे पॉपकॉर्न ब्रेन कहते हैं। सोशल मीडिया और शॉर्ट वीडियो देखने से यह समस्या बढ़ रही है।
क्या सोशल मीडिया से क्रिएटिविटी पर असर पड़ता है?
✔ हां! अटेंशन स्पैन घटने से बच्चे टिककर पढ़ नहीं पाते।
✔ नई चीजें सीखने में दिक्कत होती है।
✔ क्रिएटिव सोचने की क्षमता घट जाती है।
बच्चे सोशल मीडिया से सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों होते हैं?
डॉक्टरों के अनुसार, छोटे बच्चों का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए वे सोशल मीडिया के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं। वे यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें कितना समय बिताना चाहिए और क्या सही-गलत है।
निष्कर्ष
👉 सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।
👉 एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि इस पर चेतावनी होनी चाहिए, जैसे सिगरेट और शराब पर होती है।
👉 बच्चों और किशोरों को इसकी लत से बचाने के लिए उनका स्क्रीन टाइम सीमित करना जरूरी है।
अगर आप भी सोशल मीडिया का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आज ही इसे कंट्रोल करने की कोशिश करें।
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