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स्पेशल हेलमेट से रोड सेफ्टी: दोस्त की मौत के बाद बनाया LED हेलमेट, अब 1.5 करोड़ का टर्नओवर | New PaperDoll

स्पेशल हेलमेट से रोड सेफ्टी: दोस्त की मौत के बाद बनाया LED हेलमेट, अब 1.5 करोड़ का टर्नओवर | New PaperDoll

स्पेशल हेलमेट से रोड सेफ्टी: दोस्त की मौत ने बदली जिंदगी

2010 की एक रात ने रीतेश कोचेता की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। उनका स्कूल का दोस्त रवि दिल्ली-जयपुर हाईवे पर रोड-रोलर की चपेट में आ गया। रात के अंधेरे में ड्राइवर को रवि दिखा ही नहीं। इस हादसे ने रीतेश को डिप्रेशन में डाल दिया। लेकिन यहीं से शुरू हुई एक प्रेरक कहानी। रीतेश ने ठान लिया कि वह स्पेशल हेलमेट बनाएंगे, ताकि कोई और इस तरह न मरे। आज उनकी कंपनी ‘क्रूजर’ सालाना 1.5 करोड़ का बिजनेस कर रही है। आइए, इस सफर को करीब से जानते हैं।

हादसे से मिला आइडिया: स्पेशल हेलमेट की शुरुआत

रवि की मौत के बाद रीतेश ने सोचना शुरू किया—क्या ऐसा कुछ बन सकता है, जो रात में लोगों को दिखाई दे? उनकी नजर गई रोड सेफ्टी प्रोडक्ट्स पर। उन्होंने स्पेशल हेलमेट और जैकेट डिजाइन किए, जिनमें LED लाइट्स लगी होती हैं। ये लाइट्स रात में चमकती हैं, ताकि पीछे से आने वाला ड्राइवर सावधान हो जाए। रीतेश कहते हैं, “जब हम रात में दिखेंगे, तभी तो बचेंगे।” इस सोच ने उनके बिजनेस की नींव रखी।

पहला प्रोडक्ट: कंधे पर लाइट वाला सेफ्टी गियर

2017 में रीतेश ने सबसे पहले कंधे पर पहनने वाला सेफ्टी गियर बनाया। इसमें लाल रंग की ब्लिंक करने वाली LED लाइट्स थीं। यह प्रोडक्ट इतना कारगर था कि रात में इसे पहनने वाला दूर से दिख जाता था। रीतेश ने इसे राइडर्स और कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के लिए बनाया। धीरे-धीरे उन्होंने स्पेशल हेलमेट पर फोकस किया, जिनमें चार्जिंग बेस्ड लाइट्स लगी होती हैं। एक घंटे की चार्जिंग से ये हेलमेट 28 घंटे तक काम करते हैं।

पापा का सवाल: इसमें बिजनेस क्या है?

रीतेश के पिता का ज्वेलरी बिजनेस था। वे चाहते थे कि रीतेश भी यही करें। जब रीतेश ने लाइट्स और हेलमेट पर काम शुरू किया, तो पापा ने पूछा, “इसमें बिजनेस क्या है?” लेकिन रीतेश का पैशन कुछ और था। बचपन से ही वे कबाड़ से नई चीजें बनाते थे। 12वीं के बाद उन्होंने एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग की और जेट इंजन तक डिजाइन किए। फिर भी, उनका दिल रोड सेफ्टी प्रोडक्ट्स में ही लगा।

जॉब छोड़ी, 40 लाख लगाए

2019 में रीतेश ने घरवालों के खिलाफ जाकर जॉब छोड़ दी। अपनी सेविंग्स से 40 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट किया और फुल टाइम प्रोडक्ट डेवलपमेंट में जुट गए। शुरुआत में उन्होंने अपने राइडिंग कम्युनिटी के लोगों को फ्री में प्रोडक्ट्स दिए। जब लोगों ने इसके फायदे देखे, तो डिमांड बढ़ने लगी। रीतेश बताते हैं, “कई लोगों ने कहा कि हमारे स्पेशल हेलमेट ने उनकी जान बचाई। ये सुनकर सबसे ज्यादा सुकून मिलता है।”

कैसे काम करता है स्पेशल हेलमेट?

रीतेश का स्पेशल हेलमेट देखने में आम हेलमेट जैसा ही है। लेकिन इसके पीछे LED लाइट्स फिट होती हैं। ये लाइट्स चार्जिंग या वायरलेस सिस्टम से चलती हैं। कुछ हेलमेट में ब्लूटूथ भी है, ताकि राइडर को फोन कान पर लगाने की जरूरत न पड़े। रीतेश ने इसे इतनी बारीकी से डिजाइन किया कि लाइट बंद होने पर हेलमेट सामान्य दिखता है। ट्रक या बस जैसे बड़े वाहनों के ड्राइवर्स को ये लाइट्स ऊंचाई पर भी दिखती हैं।

जैकेट भी बढ़ा रही सेफ्टी

हेलमेट के अलावा रीतेश की कंपनी कंस्ट्रक्शन साइट्स और ट्रैफिक में काम करने वालों के लिए LED जैकेट बनाती है। ये जैकेट रात में वर्कर्स को दूर से दिखाती हैं, जिससे हादसे कम होते हैं। रीतेश कहते हैं, “हमारा मकसद है कि रात में होने वाले 40% हादसों को रोका जाए।” उनकी टीम हर प्रोडक्ट को रिसर्च के बाद फाइनल करती है, ताकि यह पूरी तरह कारगर हो।

बिजनेस का सफर: 1.5 करोड़ का टर्नओवर

रीतेश की कंपनी अब देशभर के 80 हजार राइडर्स तक पहुंच चुकी है। वे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और बड़े हेलमेट प्रोड्यूसर्स के साथ डील करते हैं। उनकी 11 लोगों की टीम जयपुर के बेसमेंट से काम करती है। सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर उनकी मेहनत का नतीजा है। रीतेश कहते हैं, “पैसा जरूरी है, लेकिन किसी की जान बचने की खुशी सबसे बड़ी है।”

प्रेरणा: रवि की याद

रीतेश का हर प्रोडक्ट रवि की याद दिलाता है। वे कहते हैं, “सच्ची दोस्ती स्कूल की होती है। रवि आज नहीं है, लेकिन मैं चाहता हूं कि कोई और उस तरह न मरे।” उनका स्पेशल हेलमेट न सिर्फ बिजनेस है, बल्कि एक मिशन भी है—रोड सेफ्टी को बढ़ाना और हादसों को रोकना।

6. Summary (Point-wise)

  • कहानी: रीतेश ने दोस्त रवि की मौत के बाद स्पेशल हेलमेट बनाए।
  • हादसा: 2010 में रवि की रोड-रोलर से मौत, रात में न दिखने की वजह से।
  • प्रोडक्ट: LED लाइट्स वाले हेलमेट और जैकेट, रात में सेफ्टी के लिए।
  • शुरुआत: 2017 में रिसर्च, 2019 में जॉब छोड़कर 40 लाख का इन्वेस्टमेंट।
  • बिजनेस: कंपनी ‘क्रूजर’ का सालाना 1.5 करोड़ टर्नओवर, 80 हजार राइडर्स तक पहुंच।
  • मिशन: रात में होने वाले 40% हादसों को रोकना, रोड सेफ्टी बढ़ाना।

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