फ्लोरिडा, 19 मार्च 2025: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग, बुच विल्मोर और रोस्कोस्मोस के कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बुनोव 18 मार्च 2025 को स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए पृथ्वी पर लौट आए। यह ऐतिहासिक स्प्लैशडाउन फ्लोरिडा के तल्हासी तट के पास गल्फ ऑफ मैक्सिको में तड़के 3:27 बजे (स्थानीय समय) हुआ। नौ महीने से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद, सुनीता विलियम्स ने उत्साह और खुशी के साथ धरती पर कदम रखा। कैप्सूल से बाहर निकलते ही उन्होंने वहां मौजूद रिकवरी टीम और लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया, जो उनकी सुरक्षित वापसी का एक भावुक पल बन गया।

8 दिन का मिशन जो बन गया 9 महीने का सफर
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर का यह मिशन 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से शुरू हुआ था, जो मूल रूप से केवल 8 दिनों के लिए था। हालांकि, स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी—खास तौर पर इसके थ्रस्टर्स और हीलियम लीक की समस्या—के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। नासा ने उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्पेसएक्स ड्रैगन को क्रू-9 मिशन के तहत उनकी वापसी के लिए चुना। इस लंबे प्रवास के दौरान, सुनीता और उनके साथियों ने ISS पर वैज्ञानिक प्रयोगों और रखरखाव के कार्यों में योगदान दिया।
धरती पर लौटते ही बनीं रिकॉर्ड-ब्रेकर
286 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर सुनीता विलियम्स ने एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किया। वह एक मिशन में सबसे लंबे समय तक ISS पर रहने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में छठे स्थान पर आ गईं। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष यात्री एंड्रयू मॉर्गन का 272 दिनों का रिकॉर्ड तोड़ा। नासा के इतिहास में सबसे लंबे एकल मिशन का रिकॉर्ड अभी भी फ्रैंक रूबियो (370 दिन) के पास है, जबकि मार्क वांडे हेई (355 दिन), स्कॉट केली, क्रिस्टिना कॉश और पेगी व्हिट्सन इस सूची में उनसे आगे हैं। सुनीता का यह रिकॉर्ड उनके करियर का एक और सुनहरा अध्याय है।
अंतरिक्ष में लंबे समय का शरीर पर असर
लगभग 9 महीने तक माइक्रोग्रैविटी में रहने का असर अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर साफ दिखता है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियों और मांसपेशियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हर महीने अंतरिक्ष यात्री अपनी हड्डियों का लगभग 1% हिस्सा खो सकते हैं, खासकर कमर, कूल्हे और जांघ की हड्डियों में। इससे पृथ्वी पर लौटने के बाद हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। मांसपेशियों की ताकत भी कम हो जाती है, क्योंकि पृथ्वी की तरह गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसे कम करने के लिए सुनीता और उनके साथी ISS पर रोजाना कठिन व्यायाम करते थे।
स्प्लैशडाउन के बाद का नजारा
स्पेसएक्स ड्रैगन का सफल स्प्लैशडाउन गल्फ ऑफ मैक्सिको में हुआ, जिसके बाद रिकवरी टीम ने चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। सबसे पहले निक हेग, फिर बुच विल्मोर, सुनीता विलियम्स और अंत में अलेक्जेंडर गोर्बुनोव बाहर आए। सभी मुस्कुराते हुए और हाथ हिलाते हुए दिखे, जो उनकी खुशी और राहत को दर्शाता था। सुनीता ने खास तौर पर हाथ दिखाकर लोगों का अभिवादन किया, जिसे कैमरों ने कैद कर लिया। इसके बाद उन्हें मेडिकल जांच के लिए पास के एक केंद्र में ले जाया गया।
भारत के लिए गर्व का पल
भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स का यह मिशन न केवल नासा के लिए, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है। उनके पिता भारतीय थे, और वह अपनी भारतीय जड़ों से हमेशा जुड़ी रही हैं। अंतरिक्ष में उनके योगदान और रिकॉर्ड्स ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय प्रतिभा हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है।
नासा और स्पेसएक्स का शानदार सहयोग
यह मिशन नासा और स्पेसएक्स के बीच मजबूत साझेदारी का परिणाम है। बोइंग स्टारलाइनर की असफलता के बाद स्पेसएक्स ने क्रू-9 मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। यह घटना निजी अंतरिक्ष कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के सहयोग के भविष्य को और मजबूत करती है।
सुनीता विलियम्स और उनके साथियों की यह वापसी अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है। उनकी हिम्मत, धैर्य और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
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