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तेलंगाना में जंगल उजाड़ने का विवाद: IT पार्क के लिए रात में बुलडोजर, स्टूडेंट्स का विरोध | New PaperDoll

तेलंगाना में जंगल उजाड़ने का विवाद: IT पार्क के लिए रात में बुलडोजर, स्टूडेंट्स का विरोध | New PaperDoll

जंगल उजाड़ने का विवाद शुरू

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इन दिनों हंगामा मचा है। तेलंगाना सरकार यूनिवर्सिटी की 400 एकड़ जमीन IT पार्क के लिए देना चाहती है। CM रेवंत रेड्डी का कहना है कि इससे 50 हजार करोड़ का निवेश आएगा। साथ ही, 5 लाख नौकरियां मिलेंगी। लेकिन स्टूडेंट्स और टीचर इसके खिलाफ हैं। उनका कहना है कि यह घना जंगल है। इसे काटने से पर्यावरण को नुकसान होगा।

रात में चले बुलडोजर

30 मार्च को 40 से ज्यादा बुलडोजर कैंपस में आए। पेड़ काटने शुरू किए गए। स्टूडेंट्स ने दिन में विरोध किया। इसलिए प्रशासन ने रात में बुलडोजर भेजे। स्टूडेंट्स का आरोप है कि सरकार चुपके से जंगल साफ कर रही है। इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। पूर्व CM के. चंद्रशेखर राव ने भी एक वीडियो शेयर किया।

पुलिस और स्टूडेंट्स में टकराव

2 अप्रैल को स्टूडेंट्स और टीचर भड़क गए। वे जंगल की ओर बढ़े। पुलिस ने बैरिकेड लगाए थे। कुछ स्टूडेंट्स ने इसे पार करने की कोशिश की। फिर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। 50 स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया गया। कम से कम 20 लोग घायल हुए। कैंपस का मेन गेट बंद है। पुलिस वहां तैनात है।

स्टूडेंट्स का गुस्सा

स्टूडेंट्स का कहना है कि जंगल काटना गलत है। मुशाहिद नाम के छात्र ने बताया, “हम एक महीने से विरोध कर रहे हैं। चार दिन से भूख हड़ताल पर हैं।” पंकज कुमार ने कहा, “यह जमीन शिक्षा के लिए है। सरकार इसे कॉर्पोरेट को दे रही है।” वे चाहते हैं कि बुलडोजर हटें। साथ ही, जमीन यूनिवर्सिटी को वापस मिले।

जमीन का पुराना विवाद

1974 में केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी को 2300 एकड़ जमीन दी थी। 2004 में आंध्र सरकार ने 400 एकड़ जमीन IMG एकेडमीज को दी। बाद में यह रद्द हुआ। 2014 में तेलंगाना बना। फिर 2024 में यह जमीन TGIIC को दे दी गई। इसके बाद से जंगल उजाड़ने का विवाद शुरू हुआ।

पर्यावरण पर खतरा

PhD स्टूडेंट लोकेश ने कहा, “यहां हिरण, मोर और खरगोश रहते हैं। जंगल खत्म हुआ तो बायोडायवर्सिटी चली जाएगी।” सुजीत गिरी बोले, “10 साल बाद हैदराबाद में रहना मुश्किल होगा। तापमान बढ़ेगा। पानी की कमी होगी।” पर्यावरणविद् नरसिम्हा रेड्डी ने भी यही चिंता जताई।

सरकार और यूनिवर्सिटी का पक्ष

सरकार का कहना है कि यह जमीन यूनिवर्सिटी की नहीं है। CM रेड्डी बोले, “प्रोटेस्ट के पीछे राजनीति है।” यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने कहा, “यह जमीन कैंपस का हिस्सा नहीं। कोर्ट ने सरकार को दी है।” लेकिन स्टूडेंट्स इससे सहमत नहीं।

कोर्ट में मामला

तेलंगाना हाईकोर्ट में दो याचिकाएं हैं। वाता फाउंडेशन चाहता है कि यह जंगल नेशनल पार्क बने। सुप्रीम कोर्ट ने कटाई पर रोक लगाई है। अब हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जांच करेंगे।

विपक्ष का विरोध

BRS नेता केटी रामाराव ने कहा, “यह जंगल हैदराबाद के फेफड़े हैं।” BJP सांसद धर्मेंद्र प्रधान ने भी योजना की आलोचना की। उनका कहना है कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा।

आगे क्या होगा?

जंगल उजाड़ने का विवाद बढ़ता जा रहा है। स्टूडेंट्स हार नहीं मान रहे। कोर्ट का फैसला अहम होगा। पर्यावरण और विकास के बीच टकराव जारी है।

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