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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के कश्मीर बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया | भारत-पाक सीजफायर | New PaperDoll

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के कश्मीर बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया | भारत-पाक सीजफायर

ट्रम्प के बयान से पाकिस्तान खुश: अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था- हजार साल पुराना मुद्दा सुलझाने की कोशिश करूंगा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर पर दिए बयान से पाकिस्तान ने खुशी जताई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में शांति के लिए कश्मीर मुद्दा सुलझना जरूरी है। उन्होंने ट्रम्प के इस बयान की सराहना की है। दरअसल, ट्रम्प ने रविवार को कहा था कि वे भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर के मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे, जिसे उन्होंने “हजार साल पुराना मुद्दा” बताया।

पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी मीडिया भी ट्रम्प के बयान को प्रमुखता से कवर कर रही है। कई समाचार पत्रों में कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से पाकिस्तान के दावे को बल मिला है। पाकिस्तान पिछले कई दशकों से कश्मीर को विवादित मुद्दा बताता रहा है। भारत का रुख इस मामले में स्पष्ट रहा है कि कश्मीर कोई विवादित मुद्दा नहीं है और पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा: “हम भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते में अमेरिका की भूमिका का समर्थन करते हैं। यह तनाव कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने आगे कहा: “जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान के लिए ट्रम्प के दिए बयान की सराहना करते हैं। यह ऐसा मुद्दा है जो दक्षिण एशिया और उससे आगे की शांति और सुरक्षा के लिए जरूरी है।”

पाकिस्तान में व्यापक प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी विश्लेषकों और राजनेताओं की ओर से भी इस बयान पर प्रतिक्रियाएं आई हैं। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ हुमा ने कहा, “डोनाल्ड ट्रम्प के पोस्ट ने कश्मीर के मुद्दे को नई गति दी है। कश्मीर का जिक्र करना और उसे विवादित बताना बहुत महत्वपूर्ण है।” पीपीपी सीनेटर शेरी रहमान ने कहा कि भारत कभी नहीं चाहता था कि कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाए। इमरान खान की सरकार में सूचना मंत्री रहे चौधरी फवाद खान ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान भारत के हित में भी है।

कश्मीर पर ट्रम्प के पिछले बयान

यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है। वे पहले भी कई बार इस विषय पर बयान दे चुके हैं। जुलाई 2019 में इमरान खान से मुलाकात के दौरान ट्रम्प ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा है, जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सितंबर 2019 में भी ट्रम्प ने कहा था कि वे मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भी ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे को “हजार साल पुराना मुद्दा” बताया था।

भारत का रुख

भारत हमेशा से ट्रम्प की मध्यस्थता के प्रस्तावों को खारिज करता आया है। भारत का स्पष्ट मत है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। यह रुख 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र में भी स्पष्ट किया गया था।

सीजफायर पर ट्रम्प का बयान

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर (युद्धविराम) पर भी अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष में लाखों लोग मारे जा सकते थे। ट्रम्प ने दोनों देशों के नेताओं की तारीफ करते हुए उन्हें “समझदार” बताया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे दोनों देशों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ावा देंगे और कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष फिलेमन यांग ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कतर ने भी पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर समझौते का स्वागत किया है और इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रयासों की सराहना की है।

सीजफायर के बाद की स्थिति

सीजफायर समझौते के बाद पाकिस्तान ने सभी प्रकार की उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र फिर से खोल दिया है। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के साथ करतारपुर साहिब कॉरिडोर के अपने हिस्से को बंद कर दिया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत ने सीजफायर का उल्लंघन कर पेशावर के पास ड्रोन भेजे, जिन्हें गिरा दिया गया। ये घटनाक्रम दक्षिण एशिया में तनाव और जटिल भू-राजनीतिक स्थिति को दर्शाते हैं, जहां कश्मीर मुद्दा दशकों से दोनों देशों के संबंधों में एक बड़ा विवाद बना हुआ है।

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