लखनऊ, 23 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। बहराइच में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोग आक्रांताओं को अपना आदर्श मानते हैं, जो देश की सनातन संस्कृति को कुचलने वालों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने इसे देशद्रोह की नींव मजबूत करने वाला कदम करार दिया और कहा कि स्वतंत्र भारत में ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस बयान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है, और समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधे जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

योगी का बयान और उसका संदर्भ
सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा, “नया भारत उन लोगों को कभी स्वीकार नहीं करेगा जो सनातन संस्कृति को कुचलने वाले आक्रांताओं की तारीफ करते हैं। किसी भी आक्रांता का महिमामंडन करना देशद्रोह के आधार को मजबूत करना है।” यह बयान हाल ही में संभल और बहराइच में हुए विवादों के बाद आया है, जहां ऐतिहासिक स्थलों और धार्मिक मुद्दों को लेकर तनाव देखा गया था। योगी ने यह भी कहा कि भारत के महापुरुषों का अपमान करने वाले और आक्रांताओं को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
हालांकि, योगी ने अपने बयान में किसी पार्टी या व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं की ओर था, जो अक्सर ऐतिहासिक मुद्दों पर अलग रुख अपनाते रहे हैं। इस बयान से पहले संभल में सलार मसूद गाजी की मजार और औरंगजेब जैसे ऐतिहासिक चरित्रों को लेकर बहस छिड़ी थी, जिसे लेकर योगी सरकार ने सख्ती दिखाई थी।

विपक्ष का पलटवार
समाजवादी पार्टी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सपा नेता अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, “जो लोग इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं, वे जनता की असल समस्याओं से ध्यान हटाना चाहते हैं। योगी जी को बेरोजगारी और महंगाई पर बात करनी चाहिए, न कि पुरानी बातों को कुरेदने की।” सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी कहा कि यह बयान सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश है और इससे प्रदेश की एकता को नुकसान पहुंचेगा।
सियासी माहौल गर्म
इस बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। बीजेपी समर्थकों का कहना है कि योगी का यह रुख सनातन संस्कृति की रक्षा और राष्ट्रवाद को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले योगी इस तरह के बयानों से अपनी हिंदुत्ववादी छवि को और मजबूत करना चाहते हैं।
जनता की राय
लखनऊ की सड़कों पर इस मुद्दे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक स्थानीय निवासी रमेश यादव ने कहा, “योगी जी सही कहते हैं, हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए।” वहीं, एक छात्रा प्रिया सिंह ने कहा, “ऐसे बयानों से क्या फायदा? सरकार को युवाओं के लिए नौकरियां लानी चाहिए।”
निष्कर्ष
सीएम योगी का यह बयान न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में विपक्ष इस मुद्दे पर कैसे जवाब देता है और क्या यह बयान यूपी की सियासत में कोई बड़ा बदलाव लाता है। फिलहाल, यह साफ है कि योगी अपने सख्त और स्पष्ट रुख के साथ एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
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