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वक्फ संशोधन कानून: राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू, मुस्लिम संगठनों का विरोध | New PaperDoll

वक्फ संशोधन कानून

वक्फ संशोधन कानून: राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नया मोड़

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार देर शाम वक्फ (संशोधन) बिल को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही यह बिल अब “वक्फ संशोधन कानून” बन गया है। सरकार ने इस नए कानून को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। हालांकि, इसे लागू करने की तारीख अभी तय नहीं हुई है। केंद्र सरकार जल्द ही इसके लिए एक अलग नोटिफिकेशन जारी करेगी। यह कानून 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा से पास हुआ था। दोनों सदनों में इस पर 12-12 घंटे तक बहस हुई थी।

क्या है वक्फ संशोधन कानून?

इस कानून का मकसद वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना और इनके दुरुपयोग को रोकना है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में होने वाले भेदभाव, अतिक्रमण और गलत इस्तेमाल को खत्म करेगा। लोकसभा में इस बिल को 288 सांसदों का समर्थन मिला, जबकि 232 ने विरोध किया। वहीं, राज्यसभा में 128 सांसदों ने हां कहा और 95 ने ना। अब यह कानून बनने के बाद भी विवादों में घिरा हुआ है।

मुस्लिम संगठनों का विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। शनिवार शाम को बोर्ड ने दो पेज का एक पत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि “वक्फ संशोधन कानून इस्लामिक मूल्यों, धार्मिक स्वतंत्रता और भारतीय संविधान पर हमला है।” बोर्ड ने ऐलान किया कि वे देशभर में धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाएंगे। यह विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक यह कानून पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाता।

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है और उनके मौलिक अधिकारों का हनन करता है। शुक्रवार को ओवैसी और जावेद ने याचिका दायर की थी, वहीं शनिवार को अमानतुल्लाह खान ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके अलावा, कांग्रेस और तमिलनाडु की DMK ने भी कोर्ट जाने की बात कही है।

विपक्ष के नेताओं की राय

  • राहुल गांधी: “यह कानून मुसलमानों पर हमला है। यह भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाने का रास्ता खोलेगा। RSS अब ईसाइयों की जमीन पर नजर गड़ाए हुए है। संविधान ही हमारी ढाल है।”
  • मल्लिकार्जुन खड़गे: “सरकार का इरादा साफ नहीं है। वक्फ की जमीन किसे दी जाएगी, यह पता नहीं। यह संविधान के खिलाफ है। सरकार इसे वापस ले।”
  • महबूबा मुफ्ती: “यह अल्पसंख्यकों पर डाका है। ऐसा नहीं होना चाहिए।”
  • आगा सैयद रूहुल्लाह: “भाजपा को मुसलमानों के लिए बोलने का कोई हक नहीं। यह कानून उनकी मुस्लिम विरोधी सोच को दिखाता है।”

कानून का समर्थन करने वालों की बात

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस कानून का समर्थन किया है। उनका कहना है, “वक्फ संपत्तियां अल्लाह की हैं। इनका इस्तेमाल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए होना चाहिए। गैर-मुस्लिमों का भी इसमें बराबर का हक है।” केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने भी कहा कि यह कानून किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि वक्फ व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए है।

आगे क्या?

वक्फ संशोधन कानून अब लागू होने की राह पर है, लेकिन इसका विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई और मुस्लिम संगठनों का आंदोलन इसकी राह में बड़ी चुनौती बन सकता है। केंद्र सरकार इसे कब लागू करेगी, यह भी देखना बाकी है। फिलहाल, यह मुद्दा देश में चर्चा का बड़ा केंद्र बना हुआ है।

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