आर्थराइटिस या गठिया होने का खतरा उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है, पर अगर आपकी लाइफस्टाइल ठीक नहीं है तो 30 से कम उम्र में भी इसका शिकार हो सकते हैं। गठिया के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न बनी रहती है, जिसके कारण आपके लिए चलना-उठना तक भी कठिन हो जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉइड आर्थराइटिस गठिया के सबसे आम प्रकारों में से एक हैं।

जोड़ों में इंफ्लेमेशन की इस समस्या को दूर करने के लिए आहार में कुछ सुधार करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी चीजों को आहार में शामिल करके इस समस्या के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकता है।
आर्थराइटिस होने के क्या कारण हैं?
हड्डियों में होने वाली समस्याएं या गठिया की दिक्कत कई कारणों से हो सकती है। यदि परिवार में पहले से किसी को गठिया है, तो अन्य लोगों में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर 50 की उम्र के बाद होता है, क्योंकि उम्र के साथ जोड़ों का घिसाव बढ़ जाता है। वहीं जीवनशैली में गड़बड़ी और मोटापा की स्थिति भी गठिया के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है। प्रो-इंफ्लेमेटरी (सूजन बढ़ाने वाले) खाद्य पदार्थ जैसे प्रोसेस्ड फूड, शक्कर और संतृप्त वसा का सेवन भी गठिया के जोखिम को बढ़ा सकता है। यही कारण है कि सभी लोगों को आहार में एंटी-इंफ्लेमेटरी चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए।

एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स का करिए सेवन
सूजन को कम करने और गठिया के कारण होने वाली जटिलताओं से बचाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स बहुत सहायक होते हैं। कई शोधों से यह साबित हुआ है कि सही आहार लेने से गठिया का जोखिम कम किया जा सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे सेहत को कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड वाली चीजें जैसे फैटी फिश, अलसी और चिया सीड्स, अखरोट खाने से सूजन कम होता है और जोड़ों में लचीलापन बना रहता है।
फ्लैक्स सीड्स के फायदे
अलसी के बीज प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, इन सभी पोषक तत्वों की हमें नियमित रूप से जरूरत होती है। अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करने, वजन को कंट्रोल बनाए रखने और कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप जैसी दिक्कतों को कम करने में इन बीज के सेवन से लाभ पाया जा सकता है।

अलसी में थायमिन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो विटामिन-बी का एक प्रकार है। ये मेटाबॉलिज्म के साथ-साथ कोशिकाओं के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हल्दी और ऑलिव ऑयल को बनाइए आहार का हिस्सा
हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड है। जर्नल ऑफ मेडिसिनल फूड्स (2020) की एक रिपोर्ट के अनुसार, हल्दी का सेवन गठिया के दर्द और जकड़न को कम करने में मदद करता है। इसी तरह से ऑलिव ऑयल में ओलियोकेन्थल नामक यौगिक होता है, जो दर्द निवारक की तरह काम करता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशियन की रिपोर्ट के अनुसार, जैतून का तेल प्रो-इंफ्लेमेटरी एंजाइम्स को भी ब्लॉक करता है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट अपनाकर गठिया के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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