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मॉरीशस में PM मोदी बोले- जोगीरा कहा- यहां से होली का रंग लेकर जाऊंगा, आपके लिए महाकुंभ का पवित्र जल लाया हूं

PM Modi on Truth Social

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस के दो दिन के राजकीय दौरे पर हैं। मंगलवार शाम मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने उन्हें देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा। इस इवेंट में पीएम मोदी ने इंडियन डायस्पोरा को संबोधित किया। उन्होंने भोजपुरी में अपने भाषण की शुरुआत की।

उन्होंने कहा, ‘जब 10 साल पहले आज की ही तारीख पर मैं मॉरीशस आया था, उस साल होली एक हफ्ते पहले बीती थी, तब मैं भारत से फगवा की उमंग अपने साथ लेकर आया था। अब इस बार मॉरीशस से होली के रंग अपने साथ लेकर भारत जाऊंगा।’

PM मोदी के भाषण की 10 प्रमुख बातें…

  1. दोनों देशों के रिश्ते मॉरीशस की चीनी जैसे मीठे

पीएम ने कहा कि एक समय था जब भारत के पश्चिमी हिस्से में मिठाइओं के लिए मॉरीशस से भी चीनी आती थी। शायद यह भी एक वजह रही कि गुजराती में चीनी को मोरिस कहा गया। समय के साथ भारत और मॉरीशस के रिश्तों की यह मिठास और भी बढ़ती जा रही है।

  1. मॉरीशस की मिट्‌टी में भारत के पूर्वजों का खून-पसीना

मोदी बोले कि यहां की मिट्टी में, हवा में, पानी में अपनेपन का एहसास है। गीत गवाई में, ढोलक की थाप में, दाल पूरी में, कुच्चा में और गातो पिमा में भारत की खुशबू है, क्योंकि यहां की मिट्टी में कितने ही भारतीयों का, हमारे पूर्वजों का खून-पसीना मिला हुआ है।

  1. सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे जाने का शुक्रिया

पीएम ने कहा कि आपने मुझे सम्मान दिया, इसे मैं विनम्रता से स्वीकारता हूं। यह उन भारतीयों का सम्मान है जिन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस धरती की सेवा की और मॉरीशस को इस ऊंचाई पर लेकर आए। मैं मॉरीशस के हर नागरिक और यहां की सरकार का इस सम्मान के लिए आभार व्यक्त करता हूं।

  1. 12 मार्च का दिन भारत-मॉरीशस दोनों के लिए अहम

पिछले साल नेशनल डे के मौके पर भारत की राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थीं। यह वही दिन है जब महात्मा गांधी ने गुलामी के खिलाफ दांडी सत्याग्रह शुरू किया था। ये दिन दोनों देशों के आजादी के संघर्ष को याद करने का दिन है। कोई भी बैरिस्टर मणिलाल जैसे महान व्यक्तित्व को नहीं भूल सकता, जिन्होंने मॉरीशस आकर लोगों के हक की लड़ाई शुरू की थी।

  1. मुझे हमारे पूर्वजों का दर्द, तकलीफ याद आती है

पीएम ने कहा कि जब मैं आपके बीच आता हूं तो 200 साल पहले की उन बातों में भी खो जाता हूं जिनके बारे में हमने सिर्फ पढ़ा है। वो अनेक हिंदुस्तानी जो गुलामी के कालखंड में यहां झूठ बोलकर लाए गए, जिन्हें दर्द मिला, तकलीफ मिली, धोखा मिला और मुश्किलों के उस दौरे में उनका संबल थे भगवान राम।

  1. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई, तो मॉरीशस में भी उत्साह था

पीएम ने कहा कि प्रभु राम और रामायण के लिए जो आस्था और भावना मैंने सालों पहले अनुभव की थी वह आज भी महसूस करता हूं। भावना का वही ज्वार पिछले साल जनवरी में भी दिखा जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ।

हमारा 500 साल का इंतजार खत्म हुआ, तो जो उत्साह भारत में था, वही मॉरीशस में था। आपकी भावनाओं को समझते हुए तब मॉरीशस ने आधे दिन की छुट्टी भी घोषित की थी।

  1. आपके लिए संगम से महाकुंभ का जल लाया हूं

मैं जानता हूं कि मॉरीशस के अनेक परिवार अभी महाकुंभ में भी होकर आए हैं। मुझे यह भी पता है कि अनेक परिवार चाहते हुए भी महाकुंभ में नहीं आ पाए। मुझे आपकी भावनाओं का ख्याल है, इसलिए मैं अपने साथ पवित्र संगम का जल लेकर आया हूं। इस पवित्र जल को कल यहां गंगा तालाब को अर्पित किया जाएगा।

यह सुखद संयोग है कि आज से 50 साल पहले भी गोमुख से गंगाजल यहां लगा गया था, और उसे गंगा तालाब में अर्पित किया था। अब कुछ ऐसा ही कल फिर से होने जा रहा है। मेरी प्रार्थना है कि गंगा मैय्या के आशीर्वाद से, मॉरीशस समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छुए।

  1. मॉरीशस में मिनी हिंदुस्तान बसता है

मॉरीशस को भले ही 1968 में आजादी मिली, लेकिन जिस तरह यह देश सबको साथ लेकर आगे बढ़ा यह दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है। यह अलग अलग कल्चर का एक खूबसूरत बगीचा है। भाषा, खान-पान और बोली के हिसाब से देखें तो मॉरीशस में मिनी हिंदुस्तान बसता है।

भारत की अनेक पीढ़ियों ने मॉरीशस को फिल्मी पर्दे पर भी देखा है। मॉरीशस का शायद ही कोई कोना हो जो भारतीय फिल्मों का हिस्सा न बना हो। धुन भारतीय हो और लोकेशन मॉरीशस हो तो फिल्म के हिट होने की गारंटी बढ़ जाती है।

भोजपुरी में बोले- हमके भी मखाना बहुत पसंद बा

पीएम ने कहा कि पूर्वाचंल का सांसद होवे के नाते हम जननी कि बिहार का सामर्थ्य कितना ज्यादा बा। एक समय रहे जब बिहार दुनिया का समृद्धि के केंद्र रहल अब हम मिलके बिहार के गौरव वापस लइके काम करल हइजा।

बिहार का मखाना आज भारत में बहुत चर्चा में है। आप देखेंगे कि वो दिन दूर नहीं जब बिहार का यह मखाना दुनिया भर में स्नैक्स मैन्यू का हिस्सा होगा। हम जानिला की हियां मखाना के कितना पसंद करला जा, हमके भी मखाना बहुत पसंद बा।

भारत और मॉरीशस भविष्य की संभावनाओं से जुड़े

मोदी ने कहा कि मॉरीशस एक ब्रिज है जो भारत को ग्लोबल साउथ के साथ जोड़ता है। 10 साल पहले PM के तौर पर मेरी पहली मॉरीशस यात्रा में मैंने सागर विजन का ऐलान किया था। आज मॉरीशस इस विजन के केंद्र में है।

भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा है। भारतीय कंपनियों ने मॉरीशस में लाखों डॉलर का निवेश किया। कोरोना के समय भारत पहला देश था, जिसने मॉरीशस को 1 लाख वैक्सीन और जरूरी दवाइयां दी थी। आज मॉरीशस भारत के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान’ से भी जुड़ा है।

सुबह मॉरीशस पहुंचे थे पीएम, एयरपोर्ट पर भारतीय प्रवासियों ने स्वागत किया

PM मोदी मंगलवार सुबह करीब 8 बजे पोर्ट लुई एयरपोर्ट पर उतरे। यहां मॉरीशस के PM नवीनचंद्र रामगुलाम ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट से रवाना होकर PM होटल पहुंचे। यहां भारतीय प्रवासियों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ उनका स्वागत किया और तिरंगे लहराए।

मोदी के स्वागत में मॉरीशस की महिलाओं ने पारंपरिक बिहारी ‘गीत गवई’ गाया। PM मोदी कल मॉरीशस के 57वें राष्ट्रीय दिवस समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल होंगे। उन्होंने X पर पोस्ट कर स्वागत के लिए मॉरीशस के PM का आभार जताया।

मंगलवार दोपहर उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपति धरम गोखूल से मुलाकात की। PM ने राष्ट्रपति धरम को गंगाजल और उनकी पत्नी को बनारसी साड़ी गिफ्ट की।
इस विजिट में PM मोदी दोनों देशों के आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। 2015 के बाद भारतीय PM की यह दूसरी मॉरीशस यात्रा है।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय आर्मी की एक टुकड़ी, नौसेना का एक वॉरशिप और एयरफोर्स की आकाश गंगा स्काई डाइविंग टीम भी मॉरीशस के राष्ट्रीय समारोह में भाग लेगी।

हमारे देश के लिए ऐसे सम्मानित व्यक्तित्व की मेजबानी करना सौभाग्य की बात है, जो अपने बिजी कार्यक्रम के बावजूद हमारे यहां मुख्य अतिथि के तौर पर आने के लिए राजी हुए हैं। PM मोदी की यात्रा दोनों देशों के मजबूत रिश्तों का सबूत है।

PM मोदी की इस यात्रा में ग्लोबल ट्रेड और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात हो सकती है। इसके साथ ही डिफेंस, ट्रेड, कैपेसिटी बिल्डिंग और समुद्री सुरक्षा में सहयोग करने पर चर्चा होगी।

हिंद महासागर में आपसी साझेदारी बढ़ाने पर होगी चर्चा विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच साझेदारी का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना है। दोनों देश हिंद महासागर के रणनीतिक महत्व को पहचानते हैं।

PM मोदी की यात्रा में भारत और मॉरीशस के बीच व्हाइट-शिपिंग जानकारी साझा करने को लेकर MoU साइन हो सकता है।

बता दें कि व्हाइट शिपिंग के अंतर्गत कॉमर्शियल, गैर-सैन्य जहाजों की पहचान और आवाजाही के बारे में सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है। इससे समुद्री सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिलती है।

भारत ने फिर से चागोस द्वीप पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया PM मोदी की यात्रा से पहले भारत ने एक बार फिर चागोस द्वीप पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है। भारतीय विदेश सचिव ने कहा- भारत चागोस द्वीप के लिए मॉरीशस के दावों का समर्थन करता है, क्योंकि यह वि-उपनिवेशीकरण की लंबी परंपरा का हिस्सा है जो भारत की विदेश नीति का हिस्सा है।

चागोस द्वीप को लेकर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच लगभग 50 सालों से विवाद चल रहा था। भारत दोनों के बीच लंबे समय से इस समझौते की कोशिश कर रहा था। 5 महीने पहले भारत की मदद से दोनों पक्षों में समझौता हो गया।

समझौते के मुताबिक 60 द्वीपों से मिलकर बना चागोस द्वीप मॉरीशस को दिया गया।

चागोस द्वीप पर डिएगो गार्सिया आइलैंड भी है। यहां पर अमेरिका और ब्रिटेन ने जॉइंट मिलिट्री बेस बना रखा है। समझौते के मुताबिक 99 साल तक के लिए अमेरिका-ब्रिटेन का बेस यहां पर बना रहेगा।

भारत के लिए क्यों खास है मॉरीशस भारत को घेरने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर, श्रीलंका के हंबनटोटा से लेकर अफ्रीकी देशों में कई पोर्ट प्रोजेक्ट में पैसा लगाया है। इसके जवाब में भारत सरकार ने 2015 में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (सागर प्रोजेक्ट) शुरू किया था।

इसके तहत भारत ने मुंबई से 3,729 किमी दूर मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मिलिट्री बेस के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया है, इसमें रनवे, जेट्टी, विमान के लिए हैंगर शामिल हैं। यहां से भारत-मॉरीशस मिलकर पश्चिमी हिंद महासागर में चीन के सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों पर नजर रख सकते हैं।

मॉरीशस में भारतीय मूल के लोग बहुसंख्यक भारत से करीब 190 साल पहले एटलस नाम का जहाज 2 नवंबर 1834 को भारतीय मजदूरों को लेकर मॉरीशस पहुंचा था। इसकी याद में वहां 2 नवंबर अप्रवासी दिवस मनाया जाता है। एटलस से जो मजदूर मॉरीशस पहुंचे थे, उनमें 80 प्रतिशत तक बिहार से थे।

इन्हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था यानी समझौते के आधार पर लाए गए मजदूर। इन्हें लाने का मकसद मॉरीशस को एक कृषि प्रधान देश के रूप में विकसित करना। अंग्रेज 1834 से 1924 के बीच भारत के कई मजदूरों को मॉरीशस ले गए। मॉरीशस जाने वालों में सिर्फ मजदूर नहीं थे।

ब्रिटिश कब्जे के बाद मॉरीशस में भारतीय हिंदू और मुस्लिम दोनों व्यापारियों का छोटा, लेकिन समृद्ध समुदाय भी था। यहां आने वाले अधिकांश व्यापारी गुजराती थे। 19वीं शताब्दी में कई ऐसे घटनाक्रम हुए, जिससे मजदूरों के वंशज जमीन खरीद सके। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।

मॉरीशस की कुल आबादी में करीब 52% हिंदू हैं। यह देश अफ्रीका में सबसे अधिक प्रतिव्यक्ति आय वाले देशों में से एक है। मॉरीशस पर 1715 में फ्रांस ने कब्जा किया था। तब इसकी अर्थव्यवस्था विकसित हुई, जो चीनी के उत्पादन पर आधारित थी।

1803 से 1815 के दौरान हुए युद्धों में ब्रिटिश इस द्वीप पर कब्जा पाने में कामयाब हुए। भारतीय मूल के सर शिवसागर रामगुलाम की अगुआई में ही मॉरीशस को 1968 में आजादी मिली थी। राष्ट्रमंडल के तहत 1992 में यह गणतंत्र बना।

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