इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स से जासूसी: डेटा चोरी का सच
नई दिल्ली:
आज इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं। लेकिन इसके पीछे डेटा चोरी का सच छिपा है। मोबाइल और गूगल सर्च से हमारा डेटा चुराया जा रहा है। फिर, 5G और कैमरा फोन के बहाने कंपनियां ठगी कर रही हैं। यहाँ तक कि प्राइवेसी का दावा करने वाली एप्पल भी सुरक्षित नहीं। डेटा बिक्री का यह खेल तेजी से बढ़ रहा है।
गूगल सर्च और विज्ञापन का जाल
आपने कभी गौर किया कि गूगल पर कुछ सर्च करते ही उसी से जुड़े विज्ञापन आपके फोन पर दिखने लगते हैं? चाहे आप नया फोन खरीदने की सोचें या छुट्टियों का प्लान बनाएं, हर कदम पर विज्ञापन आपका पीछा करते हैं।
यह कोई जादू नहीं, बल्कि आपकी सर्च हिस्ट्री और डेटा का खेल है। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी टेक कंपनियां हमारी हर ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखती हैं। इसके बाद यह डेटा विज्ञापन कंपनियों को बेचा जाता है, जो हमें टारगेट करने के लिए इस्तेमाल होता है। 5G और कैमरा फोन के बहाने ठगी का यह एक बड़ा उदाहरण है।
5G और कैमरा फोन: फीचर्स या बहाना?
पिछले कुछ सालों में 5G और हाई-क्वालिटी कैमरा फोन का शोर बढ़ा है। कंपनियां दावा करती हैं कि ये टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी आसान बनाएगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सचमुच हमारे लिए हैं | या कंपनियों के फायदे के लिए? 5G की तेज स्पीड और कैमरा की शानदार क्वालिटी के पीछे डेटा कलेक्शन का बड़ा खेल चल रहा है। फोन में लगे सेंसर और ऐप्स हर पल हमारी लोकेशन, बातचीत और यहाँ तक कि हमारी आवाज भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। फिर यह जानकारी बिना हमारी मंजूरी के तीसरे पक्ष को बेच दी जाती है। 5G और कैमरा फोन के बहाने ठगी अब आम बात हो गई है।
एप्पल का प्राइवेसी दावा: सच या झूठ?
एप्पल हमेशा से अपनी डिवाइस को सबसे सुरक्षित बताता आया है। कंपनी का दावा है कि वह यूजर्स की प्राइवेसी को सबसे ऊपर रखती है। लेकिन हाल के कुछ उदाहरणों ने इस दावे पर सवाल उठा दिए हैं। 2024 में एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें कहा गया कि एप्पल डिवाइस से भी डेटा लीक हुआ। स्पाईवेयर और थर्ड-पार्टी ऐप्स के जरिए यूजर्स की निजी जानकारी चोरी हुई। इसके अलावा, iCloud में स्टोर डेटा भी हैकर्स के निशाने पर रहा। यह साबित करता है कि प्राइवेसी के नाम पर बड़े-बड़े वादे करने वाली कंपनियां भी पूरी तरह भरोसेमंद नहीं हैं।
हाल के उदाहरण: जासूसी और डेटा चोरी
हाल ही में एक बड़ी खबर ने सबको चौंकाया। मार्च 2025 में एक स्टॉकरवेयर कंपनी SpyX के डेटा ब्रीच ने करीब 20 लाख यूजर्स का डेटा लीक कर दिया, जिसमें हजारों एप्पल यूजर्स भी शामिल थे। इस घटना में ईमेल, पासवर्ड और लोकेशन डेटा जैसी संवेदनशील जानकारी हैकर्स के हाथ लगी। इसके अलावा, गूगल के विज्ञापन सिस्टम पर भी सवाल उठे, जब पता चला कि यूजर्स की सर्च हिस्ट्री को बिना सहमति के ट्रैक किया जा रहा है। 5G और कैमरा फोन के बहाने ठगी का यह ताजा उदाहरण है।
कंपनियों का असली मकसद
सबसे बड़ा सवाल यह है कि कंपनियां अपने मुख्य काम पर ध्यान क्यों नहीं दे रही हैं? फोन कॉलिंग, मैसेजिंग और बेसिक जरूरतों के लिए बनाए गए थे, लेकिन अब ये जासूसी के हथियार बन गए हैं। 5G, कैमरा और AI जैसे फीचर्स के नाम पर यूजर्स को लुभाया जाता है, पर असल में यह सब डेटा इकट्ठा करने का जरिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि टेक कंपनियों का फोकस अब प्रॉफिट और डेटा बिक्री पर ज्यादा है, न कि यूजर्स की सुविधा पर।
क्या करें यूजर्स?
तो क्या हम इस जासूसी के जाल से बच सकते हैं? हाँ, कुछ सावधानियाँ बरतकर हम अपनी प्राइवेसी को बचा सकते हैं। सबसे पहले, अनचाही ऐप्स को इंस्टॉल करने से बचें। गूगल सर्च करते वक्त प्राइवेट ब्राउजिंग का इस्तेमाल करें। फोन में लोकेशन और माइक की परमिशन सोच-समझकर दें। इसके अलावा, एप्पल या एंड्रॉयड यूजर्स को अपने डिवाइस का पासवर्ड मजबूत रखना चाहिए और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करना चाहिए।
आगे का रास्ता
5G और कैमरा फोन के बहाने ठगी का यह सिलसिला तब तक चलता रहेगा, जब तक सख्त नियम और पारदर्शिता नहीं आएगी। सरकार और टेक कंपनियों को मिलकर यूजर्स के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। तब तक हमें खुद सतर्क रहना होगा, क्योंकि डिजिटल दुनिया में प्राइवेसी अब एक सपना बनती जा रही है।
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