अमेरिकी शेयर बाजार में दो दिन से हाहाकार
वॉशिंगटन। अमेरिकी शेयर बाजार में 4 अप्रैल 2025 को भारी गिरावट देखी गई। यह लगातार दूसरा दिन है जब बाजार नीचे आया। डाउ जोन्स इंडेक्स 1,450 अंक यानी 3.59% गिरकर 39,090 पर पहुंच गया। इससे पहले, 3 अप्रैल को भी यह 3.98% टूटा था। यानी दो दिनों में डाउ जोन्स 7% से ज्यादा नीचे आ चुका है।
अन्य इंडेक्स का हाल
S&P 500 इंडेक्स में भी 220 अंक यानी 4.06% की गिरावट आई। यह अब 5,180 के स्तर पर है। नैस्डेक कंपोजिट 740 अंक यानी 4.47% गिरकर 15,800 पर आ गया। बोइंग, इंटेल, गोल्डमैन सैक और डाउ INC जैसे बड़े शेयर 8% तक टूट गए। यह गिरावट शाम 7:30 बजे तक के आंकड़ों के आधार पर है।
अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट के 4 कारण
- चीन का जवाबी टैरिफ: चीन ने अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। यह 10 अप्रैल से लागू होगा। इससे पहले ट्रम्प ने चीन पर 34% टैरिफ लगाया था।
- मुनाफे की चिंता: अमेरिका ने आयात पर 10% न्यूनतम टैरिफ लगाया। कुछ देशों पर यह और ज्यादा है। इससे सामान महंगा होगा और कंपनियों का मुनाफा घटेगा।
- ट्रेड वॉर का डर: टैरिफ की वजह से दूसरे देश भी जवाबी शुल्क लगा सकते हैं। इससे वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा। निवेशक डर गए हैं।
- अर्थव्यवस्था की सुस्ती: महंगे सामान से खरीदारी कम होगी। कच्चा तेल भी $69.63 प्रति बैरल पर आ गया। यह कमजोर अर्थव्यवस्था का संकेत है।
3 अप्रैल को क्या हुआ?
3 अप्रैल को डाउ जोन्स 1,679 अंक यानी 3.98% गिरकर 40,545 पर बंद हुआ। S&P 500 में 274 अंक की गिरावट आई। यह 5,450 पर आ गया। नैस्डेक 1,050 अंक नीचे गिरा। यह सबसे ज्यादा 5.97% टूटा।
पिछले 10 साल की बड़ी गिरावट
S&P 500 में 4% से ज्यादा की गिरावट कई बार हुई है। मिसाल के तौर पर:
- 16 मार्च 2020: 12.0%
- 3 अप्रैल 2025: 4.8%
- 13 सितंबर 2022: 4.3%
टैरिफ कब लागू होंगे?
अमेरिका में 5 अप्रैल से 10% बेसलाइन टैरिफ शुरू होगा। फिर, 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होगा। यह उन देशों के जवाब में है जो अमेरिका पर शुल्क लगाते हैं।
भारतीय बाजार पर असर
भारत में भी सेंसेक्स 930 अंक गिरकर 75,364 पर बंद हुआ। निफ्टी 345 अंक नीचे 22,904 पर आया। निफ्टी मेटल इंडेक्स 6.56% टूटा। फार्मा, रियल्टी और आईटी में 4% की गिरावट रही। ऑटो और मीडिया में 3% नीचे आए।
आगे क्या होगा?
अमेरिकी शेयर बाजार में यह गिरावट वैश्विक असर डाल सकती है। ट्रेड वॉर और सुस्त अर्थव्यवस्था से निवेशक सतर्क हैं। भारतीय बाजार भी दबाव में रह सकता है।
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