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चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका: ट्रम्प टैरिफ से ट्रेड वॉर, गाड़ियां-हथियार होंगे महंगे | New PaperDoll

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका: ट्रम्प टैरिफ से ट्रेड वॉर, गाड़ियां-हथियार होंगे महंगे

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका

चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर ने नया मोड़ ले लिया है। चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। चीन ने 7 रेयर अर्थ धातुओं और खास चुंबकों (मैग्नेट) के निर्यात पर रोक लगा दी है, जो गाड़ियों, हथियारों, ड्रोन, रोबोट और मिसाइलों के निर्माण में इस्तेमाल होती हैं। इस फैसले से ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिससे ये उत्पाद महंगे हो सकते हैं।

क्या है रेयर अर्थ धातुएं?

रेयर अर्थ धातुएं 17 खास तत्वों का समूह हैं, जो आधुनिक तकनीक के लिए बेहद जरूरी हैं। चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिनका उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होता है:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, कंप्यूटर और टीवी जैसे उपकरण।
  • रक्षा: मिसाइल, रडार और ड्रोन।
  • ऑटोमोबाइल: इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी और मोटर।
  • ऊर्जा: सौर पैनल और पवन टरबाइन।
  • अन्य: तेल रिफाइनरी, केमिकल और आईटी उद्योग।

चीन इन धातुओं का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। उसने 4 अप्रैल 2025 को इनके निर्यात पर रोक का आदेश जारी किया, जिसके तहत अब केवल विशेष परमिट से ही इन्हें विदेश भेजा जा सकता है।

ट्रम्प का जवाब: इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान पर नया टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रम्प ने कहा कि ये टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लगाए जाएंगे, ताकि इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन अमेरिका में ही हो सके। अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि अगले दो महीनों में इस टैरिफ की पूरी योजना सामने आएगी।

हालांकि, ट्रम्प ने फिलहाल स्मार्टफोन और कंप्यूटर को रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट दी है, लेकिन यह छूट अस्थायी है। इस फैसले से अमेरिकी टेक कंपनियों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन भविष्य में कीमतें बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

ट्रेड वॉर की ताजा स्थिति

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। ट्रम्प ने पहले चीन से आयात पर 145% तक टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लागू किया। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका से टैरिफ हटाने की अपील की और कहा, “शेर के गले की घंटी उसी को खोलनी होगी, जिसने बांधी है।” चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने भी साफ कहा कि चीन दबाव में नहीं झुकेगा और आखिरी दम तक लड़ेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है। पिछले हफ्ते ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के कारण वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखी गई। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स 500 इंडेक्स 20 जनवरी 2025 के बाद से 10% से ज्यादा टूट चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ट्रेड वॉर से निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:

  • महंगाई: गाड़ियां, इलेक्ट्रॉनिक्स और हथियार महंगे होंगे।
  • सप्लाई चेन में रुकावट: रेयर अर्थ धातुओं की कमी से उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • आर्थिक मंदी: वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है।

चीन की रणनीति

ट्रेड वॉर में अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। उसके पास अमेरिका के 760 अरब डॉलर के सरकारी बॉन्ड हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, चीन ने अपने औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 1.9 लाख करोड़ डॉलर का लोन दिया है। उसने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक विशाल रिसर्च सेंटर भी खोला है, जो तकनीक और नवाचार में उसकी क्षमता को बढ़ाएगा।

क्या है भारत के लिए सबक?

चीन ने कीमती धातुओं का निर्यात रोका, जिसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल के लिए इन धातुओं पर निर्भर हैं। भारत को अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने की जरूरत है। साथ ही, यह ट्रेड वॉर भारत के लिए अमेरिकी बाजार में निर्यात बढ़ाने का मौका भी दे सकता है, बशर्ते वह सही रणनीति अपनाए।

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