गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुले: चारधाम यात्रा शुरू
30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो गई है। यमुनोत्री धाम में पहले दिन शाम 5 बजे तक लगभग 7 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि गंगोत्री धाम में करीब 6 हजार तीर्थयात्री पहुंचे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी यमुनोत्री धाम पहुंचे और पूजा-अर्चना की।
चारधाम यात्रा का क्रम
चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है और आगामी दिनों में अन्य धामों के कपाट भी खुलेंगे:
- गंगोत्री और यमुनोत्री: 30 अप्रैल को कपाट खुल गए
- केदारनाथ: 2 मई को सुबह 7 बजे कपाट खुलेंगे
- बद्रीनाथ: 4 मई को सुबह 6 बजे कपाट खुलेंगे
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
हाल ही में पहलगाम में हुए हमले के बाद चारधाम यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। यमुनोत्री में CO सुशील रावत के अनुसार, “चारधाम यात्रा को लेकर सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद हैं। बाहरी लोगों का लगातार वेरिफिकेशन किया जा रहा है। मंदिर में क्विक रिएक्शन टीम (QRT) तैनात है और जगह-जगह सुरक्षा बल मौजूद हैं।”
श्रद्धालुओं का अनुभव
हरियाणा के अंबाला से आए मयंक शर्मा ने बताया, “पहलगाम हमले के बाद एक बार तो मन में डर लगा था। हालांकि, यहां आकर व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम देखकर मैं निश्चिंत हो गया।” मध्य प्रदेश के धार से आए कैलाश चंद्र मारू का कहना है, “जो भी यहां आएंगे, उन्हें एक नया अनुभव मिलेगा। सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं करनी चाहिए।”
यमुनोत्री धाम की महिमा
यमुनोत्री धाम को चारधाम यात्रा की पहली सीढ़ी माना जाता है। बीते 50 साल से यमुनोत्री धाम में पूजा-पाठ करवा रहे मुख्य पुजारी बताते हैं, “6 महीने तक मां यमुना अपने मायके खरसाली गांव में शीतकालीन प्रवास करती हैं। मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को 22 वचन दिए थे। इनमें से एक वचन यह भी है कि जो मनुष्य यमुनोत्री धाम आकर दर्शन करेगा, उसे यमलोक से छुटकारा मिल जाता है और सूर्यलोक प्राप्त होता है।”
गंगोत्री धाम का महत्व
गंगोत्री धाम में पट खुलने से पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवास भैरो घाटी के मुखबा गांव से उनकी उत्सव डोली निकली। डोली सुबह 10 बजे विधि-विधान के साथ गंगोत्री धाम पहुंची। पूजा-पाठ के बाद मंदिर के पट खोले गए और बाकी देवी-देवताओं की पालकी मंदिर परिसर में घुमाई गई।
यात्रा मार्ग
यमुनोत्री कैसे पहुंचें
देहरादून से यमुनोत्री तक का सफर लगभग 6 घंटे का है। मसूरी होते हुए यमुनोत्री के लिए रास्ता सुहावना है। करीब 4 घंटे में बरकोट पहुंचा जा सकता है, जहां यात्री रात्रि विश्राम कर सकते हैं। बरकोट से यमुनोत्री की दूरी 50 किमी है। यमुनोत्री धाम आने वाली गाड़ियां सीधे जानकी चट्टी तक आती हैं। यहां से 5 किमी पैदल चढ़ाई कर धाम तक पहुंचा जाता है। रास्ते पर जगह-जगह पानी और खाने-पीने की व्यवस्था है।
गंगोत्री कैसे पहुंचें
देहरादून से गंगोत्री पहुंचने के दो मार्ग हैं:
- हरिद्वार से उत्तरकाशी होते हुए गंगोत्री
- देहरादून, मसूरी के रास्ते गंगोत्री
देहरादून से गंगोत्री वाला मार्ग अधिक सुविधाजनक है। इस मार्ग से 240 किमी की यात्रा में धाम तक पहुंचने में करीब 8 घंटे लगते हैं। वाहन सीधे मंदिर के पास तक पहुंचाता है।
पंजीकरण प्रक्रिया
चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले registrationandtouristcare.uk.gov.in पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। जो यात्री ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं, उनके लिए उत्तराखंड सरकार ने ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा भी शुरू की है। हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में 50 से अधिक पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। पंजीकरण के बाद आपका मोबाइल नंबर यात्री ट्रैकिंग सिस्टम में दर्ज हो जाएगा, जिससे आपातकालीन स्थिति में यात्रियों की सहायता की जा सकेगी। पंजीकरण के समय आपको अपने स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी देनी होगी।
केदारनाथ यात्रा
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे। केदारनाथ जाने के लिए यात्री हरिद्वार और ऋषिकेश से सीधे बस ले सकते हैं। बसें सोनप्रयाग तक जाती हैं, जहां से 8 किलोमीटर दूर गौरीकुंड पहुंचना होगा। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के लिए 20 किमी का पैदल मार्ग है।
बद्रीनाथ यात्रा
चारधाम यात्रा का अंतिम पड़ाव बद्रीनाथ धाम है, जिसके कपाट 4 मई की सुबह 6 बजे खुलेंगे। यहां पहुंचने के लिए हरिद्वार से जोशीमठ तक बस से यात्रा की जा सकती है। जोशीमठ से बद्रीनाथ धाम की दूरी 40 किलोमीटर है। बद्रीनाथ धाम के लिए हेलिकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है। बद्रीनाथ धाम चीन सीमा से मात्र 3-4 किलोमीटर की दूरी पर है और आस-पास भारत का अंतिम गांव माणा भी देखा जा सकता है।
यात्रा के दौरान सावधानियां
उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। चारधाम यात्रा मार्ग पर कैंम्पटी, बरकोट और नौगांव के पास जंगलों में आग देखी जा सकती है। उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिन पर आग देखने पर तत्काल सूचना दी जा सकती है।
इस वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। सरकार और प्रशासन द्वारा यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।

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