हिसार मर्डर केस पार्ट-3: संपत्ति के लालच में 8 लोगों का खौफनाक कत्ल
23 अगस्त 2001 की रात हरियाणा के हिसार में एक ऐसी वारदात हुई, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। पूर्व विधायक रेलू राम पूनिया के घर में 8 लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। मरने वालों में 68 साल के बुजुर्ग से लेकर सवा महीने की मासूम बच्ची तक शामिल थी। इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया रेलू राम की बेटी सोनिया और उसके पति संजीव ने। आइए, जानते हैं हिसार मर्डर केस की इस कहानी का तीसरा हिस्सा।
पुलिस की तफ्तीश और संजीव की गिरफ्तारी
सोनिया ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसने यह कत्ल संपत्ति के लालच में किए। लेकिन पुलिस को यकीन था कि सोनिया अकेले इतने बड़े कांड को अंजाम नहीं दे सकती। शक की सुई उसके पति संजीव की ओर गई, जो वारदात के बाद फरार था। कत्ल के अगले दिन उकलाना थाने में एक फोन आया, जिसमें पूछा गया कि क्या हिसार में कोई मर्डर हुआ है। पुलिस ने उस नंबर की जांच की, तो पता चला कि कॉल पानीपत से आई थी। पुलिस को शक हुआ कि यह कॉल संजीव ने की होगी।
पुलिस ने संजीव की तलाश शुरू की। संजीव उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला था। पुलिस वहां पहुंची, लेकिन संजीव नहीं मिला। फिर पुलिस ने उसके परिवार वालों को हिरासत में लिया। कड़ी पूछताछ में एक रिश्तेदार ने बताया कि संजीव अपने मामा के घर पानीपत में छुपा है। 19 सितंबर 2001 को पुलिस ने पानीपत से संजीव को गिरफ्तार कर लिया। उसे लाई डिटेक्शन टेस्ट के लिए भेजा गया। इस टेस्ट में संजीव ने सारी सच्चाई उगल दी।
संजीव का कबूलनामा: खौफनाक प्लान
लाई डिटेक्शन टेस्ट में संजीव ने बताया कि कत्ल का पूरा प्लान सोनिया ने बनाया था। वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता रेलू राम की सारी संपत्ति उसके सौतेले भाई सुनील को मिले। इसके लिए सोनिया ने अपने जन्मदिन की रात को कत्ल के लिए चुना। संजीव ने बताया, “हमने सहारनपुर से पटाखे, जहर की शीशी, पिस्टल और 24 कारतूस खरीदे। हिसार पहुंचकर हम सोनिया की बहन के साथ कार में कोठी गए। मैं पीछे की सीट पर छुप गया, ताकि चौकीदार को लगे कि कार में सिर्फ दो लोग हैं।” प्लान था कि सभी को पिस्टल से मारा जाएगा, लेकिन बर्थडे सेलिब्रेशन में सभी एक साथ नहीं आए। इसलिए बंदूक का प्लान छोड़कर उन्होंने स्टोर रूम से 50 किलो की लोहे की रॉड निकाली।
रात 12 बजे शुरू हुआ खूनी खेल: संजीव ने बताया कि सबसे पहले सोनिया के पिता को सोते वक्त रॉड से मारा। फिर उनकी पत्नी और सवा महीने की बच्ची को भी रॉड से कुचल दिया। तीन कत्ल के बाद दोनों ने एक थ्रिलर फिल्म देखी और फिर बाकी कत्ल किए। संजीव ने कहा, “आखिर में दो बच्चे बचे थे। सोनिया ने कहा कि अगर ये जिंदा रहे, तो प्रॉपर्टी के वारिस बन जाएंगे। फिर हमने उन्हें भी मार डाला।”
सबूतों ने खोला राज
संजीव ने बताया कि कत्ल के बाद खून से सने कपड़े बैग में डाले और उन्हें खेत में जलाकर गाड़ दिया। पुलिस ने खेत से राख और बैग की चेन बरामद की, जिसका डीएनए कोठी में मिली लाशों से मिला। कोठी के बाहर खेत से पिस्टल भी बरामद हुई। कोर्ट में कई गवाहों ने सोनिया और संजीव की मौजूदगी की पुष्टि की। सहारनपुर के दुकानदार, हिसार का पेस्ट्री शॉप मालिक, बस कंडक्टर, टैक्सी ड्राइवर और चौकी के हवलदार ने गवाही दी।
कोर्ट का फैसला: फांसी से उम्रकैद तक
31 मई 2004 को हिसार सेशन कोर्ट ने इस केस को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ माना और सोनिया-संजीव को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा, “इन दोनों ने सवा महीने की बच्ची तक को नहीं छोड़ा। इन्हें जीने का हक नहीं।” 2005 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया, क्योंकि दोनों का एक बेटा था। लेकिन 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटकर फांसी बरकरार रखी। 2012 में राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। लेकिन 2014-15 में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से फांसी का इंतजार कर रहे कैदियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इस फैसले का फायदा सोनिया और संजीव को मिला।
निष्कर्ष
हिसार मर्डर केस संपत्ति के लालच की एक ऐसी खौफनाक कहानी है, जो इंसानियत को शर्मसार करती है। सोनिया और संजीव ने अपने ही परिवार को खत्म कर दिया, लेकिन कानून ने उन्हें सजा दी। यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच और क्रूरता का अंजाम हमेशा बुरा होता है।

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