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भारत-अमेरिका मिलकर बनाएंगे छोटे परमाणु रिएक्टर: 18 साल बाद मिली मंजूरी | New PaperDoll

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भारत-अमेरिका मिलकर बनाएंगे छोटे परमाणु रिएक्टर: 18 साल बाद मिली मंजूरी

भारत और अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाया है। दोनों देश अब मिलकर भारत में छोटे परमाणु रिएक्टर (स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर या SMR) बनाएंगे। ये खबर इसलिए खास है क्योंकि 2007 में भारत और अमेरिका के बीच सिविल न्यूक्लियर डील हुई थी, लेकिन इसके तहत अमेरिकी कंपनियों को भारत में रिएक्टर बनाने की इजाजत नहीं थी। अब 18 साल बाद, 26 मार्च 2025 को अमेरिका के एनर्जी डिपार्टमेंट ने इसकी मंजूरी दे दी है।

क्या है ये छोटे परमाणु रिएक्टर?

छोटे परमाणु रिएक्टर यानी SMR, बिजली बनाने का एक नया और आसान तरीका है। ये बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट से छोटे होते हैं और इन्हें बनाना भी आसान है। भारत और अमेरिका की कंपनियां अब इन्हें साथ मिलकर डिजाइन करेंगी और सारे पार्ट्स का प्रोडक्शन भी साथ में करेंगी। भारत ने साफ कहा था कि वो चाहता है कि डिजाइन, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सब भारत में ही हो। अब ये सपना सच होने जा रहा है।

हालांकि, अमेरिका ने एक शर्त रखी है कि इन रिएक्टरों को भारत या अमेरिका के अलावा किसी तीसरे देश में बेचने के लिए उनकी लिखित इजाजत चाहिए होगी।

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भारत को छोटे परमाणु रिएक्टर से क्या फायदा?

भारत सरकार बड़े रिएक्टरों की जगह छोटे परमाणु रिएक्टर क्यों लगाना चाहती है? इसके पीछे 6 बड़े कारण हैं:

  1. कम कार्बन, साफ हवा: दुनिया भारत से कह रही है कि कोयले का इस्तेमाल कम करो और कार्बन इमिशन घटाओ। SMR कोयले से 7 गुना कम कार्बन पैदा करता है। इससे बिजली भी बनेगी और पर्यावरण भी बचेगा।
  2. बढ़ती बिजली की जरूरत: 2050 तक भारत में बिजली की मांग 80-150% तक बढ़ सकती है। SMR से हर शहर या कंपनी अपनी बिजली खुद बना सकेगी।
  3. आसान डिजाइन: छोटे परमाणु रिएक्टर को बनाना और किसी भी बिजली ग्रिड से जोड़ना आसान है। इसके लिए अलग से ग्रिड की जरूरत नहीं।
  4. जमीन की दिक्कत खत्म: बड़े न्यूक्लियर प्लांट के लिए बहुत जमीन चाहिए, जो भारत में मुश्किल है। SMR को जहाज या बड़ी गाड़ी पर भी लगाया जा सकता है।
  5. रूस का सपोर्ट: रूस ने भी भारत को इस टेक्नोलॉजी में मदद का वादा किया है।
  6. तेजी से काम: छोटे रिएक्टर को कम समय में तैयार किया जा सकता है, जो भारत की जरूरतों के लिए बिल्कुल सही है।

भारत के लिए क्यों है ये बड़ी जीत?

ये समझौता भारत की कूटनीति की जीत माना जा रहा है। भारत लंबे समय से चाहता था कि अमेरिका के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो और सारा काम भारत में हो। अब ये हो रहा है। इससे न सिर्फ बिजली की समस्या हल होगी, बल्कि भारत न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में भी आगे बढ़ेगा।

आगे क्या?

अब दोनों देशों की कंपनियां मिलकर काम शुरू करेंगी। छोटे परमाणु रिएक्टर भारत को सस्ती, साफ और सुरक्षित बिजली देने में मदद करेंगे। ये भारत के लिए एक नई शुरुआत है, जो आने वाले सालों में ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है।

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