महाराष्ट्र के कोल्हापुर में कोल्हापुर मर्डर केस ने सबको झकझोर कर रख दिया। एक बेटे, सुनील कुचकोरवी, ने अपनी मां यल्लवा की निर्मम हत्या कर दी और उनके शरीर के अंगों को भूनकर खा लिया। यह सब पैसों के लिए हुए झगड़े का नतीजा था। बिना किसी चश्मदीद गवाह के पुलिस ने फोरेंसिक सबूतों के आधार पर इस गुत्थी को सुलझाया। आइए, जानते हैं इस भयावह घटना की पूरी कहानी।
क्या थी घटना?
कोल्हापुर के मकडवाला वसाहत में टिन की छत वाले एक झोपड़ीनुमा घर में कोल्हापुर मर्डर केस सामने आया। सुनील की 8 साल की भतीजी रक्षिता ने नाली में खून देखा, जो सुनील के घर की ओर से बह रहा था। जब वह घर पहुंची, तो उसने अपनी दादी यल्लवा की कटी-फटी लाश देखी। पास में सुनील खून से सना बैठा था। यह मंजर देखकर रक्षिता की चीख निकल गई। सुनील के बड़े भाई राजू ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और आरोप लगाया कि उसकी मां की हत्या सुनील ने की।
पैसों के लिए रोज होता था झगड़ा
सुनील के पिता नगर निगम में सफाई कर्मचारी थे। उनकी मृत्यु के बाद पेंशन उनकी दो पत्नियों के बीच बंटती थी। यल्लवा को हर महीने करीब 6,000 रुपये मिलते थे। सुनील पहले वेल्डिंग की दुकान पर काम करता था, लेकिन नशे की लत के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया। वह अपनी मां से शराब और ड्रग्स के लिए पैसे मांगता था। मां के मना करने पर उनके बीच रोज झगड़ा होता था। घटना से एक रात पहले भी मां-बेटे में पैसे को लेकर तीखी बहस हुई थी।
मां ने गुस्से में कहा- ‘मुझे खा ले’
घटना वाले दिन दोपहर में फिर झगड़ा हुआ। सुनील मटन खाना चाहता था, लेकिन मां ने पैसे देने से इनकार कर दिया। गुस्से में यल्लवा ने कहा, “तुझे मटन खाने का इतना शौक है, तो मुझे ही मारकर खा ले।” इसके बाद सुनील ने अपनी मां पर चाकू से हमला कर दिया। उसने यल्लवा का गला काटा, छाती चीरी और कलेजा, आंत, दिल जैसे अंग निकाल लिए। फिर तवे पर इन्हें भूनकर खाने लगा।
पुलिस ने कैसे सुलझाई गुत्थी?
कोल्हापुर मर्डर केस में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। पुलिस ने वैज्ञानिक सबूतों पर भरोसा किया। जांच अधिकारी संजय मोरे ने सुनील को मेडिकल जांच के लिए सीपीआर अस्पताल भेजा। वहां उसके नाखूनों, शरीर और कपड़ों पर लगे खून के नमूने लिए गए। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया:
- तवे पर पड़ा मांस किसी जानवर का नहीं, बल्कि इंसान का था।
- DNA टेस्ट में पुष्टि हुई कि यह मांस यल्लवा का ही था।
- सुनील के शरीर, कपड़ों और चाकू पर लगा खून भी यल्लवा का था।
- सुनील के पेट की जांच (स्टमक वॉश) से पता चला कि उसने यल्लवा के अंग खाए थे।
पुलिस ने “लास्ट सीन थ्योरी” का सहारा लिया। रक्षिता ने यल्लवा को आखिरी बार सुनील के साथ देखा था। यह साबित हुआ कि हत्या के समय घर में सिर्फ सुनील और यल्लवा ही थे।
सुनील का बयान और कोर्ट की कार्यवाही
पूछताछ में सुनील बार-बार कहता रहा, “मैंने मां को नहीं मारा, मैंने तो बिल्ली मारी थी।” लेकिन फोरेंसिक सबूतों ने उसे झूठा साबित कर दिया। पुलिस ने 90 दिनों की समय-सीमा से 10 दिन पहले कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। कोल्हापुर सेशन कोर्ट में साढ़े तीन साल तक मुकदमा चला। वकील ने कहा, “DNA, FSL और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स साबित करती हैं कि यह एक असाधारण हत्या है।” आखिरकार, 2021 में सुनील को दोषी ठहराया गया।
क्यों है यह केस इतना भयावह?
कोल्हापुर मर्डर केस सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि नशे और लालच की वह पराकाष्ठा है, जहां एक बेटे ने अपनी मां को मारकर उसके अंग खा लिए। यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि नशा और पैसों की लालसा इंसान को कितना नीचे गिरा सकती है।
अधिक जानकारी के लिए स्थानीय समाचार स्रोतों पर नजर रखें।
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