लग्जरी सामान पर टीसीएस: ₹10 लाख से ज्यादा की खरीद पर 1% टैक्स, जानें डिटेल्स
केंद्र सरकार ने लग्जरी सामान पर टीसीएस (टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स) लागू करने का फैसला किया है। अब 10 लाख रुपये से ज्यादा की कीमत वाले लग्जरी आइटम्स, जैसे वॉच, पेंटिंग्स, शूज, बैग, और हेलिकॉप्टर की खरीद पर 1% टीसीएस देना होगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने 23 अप्रैल 2025 को इसकी अधिसूचना जारी की। यह नियम 22 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है।
क्यों लागू किया गया लग्जरी सामान पर टीसीएस?
सरकार का मकसद हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के खर्चों पर नजर रखना और टैक्स बेस को बढ़ाना है। लग्जरी सामान पर टीसीएस के जरिए 10 लाख रुपये से ज्यादा के लेन-देन को इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज करना अनिवार्य होगा। इससे टैक्स चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। इस टैक्स को वसूलने की जिम्मेदारी विक्रेता (सेलर) की होगी, जो इसे खरीदार से लेकर सरकार को जमा करेगा।
किन-किन आइटम्स पर लागू होगा 1% टीसीएस?
सीबीडीटी ने लग्जरी सामान की एक विस्तृत सूची जारी की है, जिन पर 10 लाख रुपये से ज्यादा की खरीद पर 1% टीसीएस लागू होगा। ये हैं:
- लग्जरी रिस्ट वॉच
- एंटीक, पेंटिंग्स, स्कल्पचर जैसे आर्ट पीस
- कलेक्टिबल्स (जैसे कॉइन, स्टाम्प)
- यॉट, रोइंग बोट, कैनोई, हेलिकॉप्टर
- सनग्लासेस (एक जोड़ी)
- हैंडबैग, पर्स जैसे बैग
- शूज (एक जोड़ी)
- स्पोर्ट्स वियर और इक्विपमेंट (जैसे गोल्फ किट, स्की वियर)
- होम थिएटर सिस्टम
- रेस क्लबों में हॉर्स रेसिंग या पोलो के लिए घोड़े
टीसीएस क्या है और कैसे काम करता है?
टीसीएस यानी टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स, एक ऐसा टैक्स है जो खरीदारी के समय स्रोत पर वसूला जाता है। इसे विक्रेता (दुकानदार, डीलर, या वेंडर) खरीदार से वसूलता है और फिर सरकार को जमा करता है। यह टैक्स इनकम टैक्स एक्ट की धारा 206C के तहत लागू होता है। लग्जरी सामान पर टीसीएस केवल तभी वसूला जाता है, जब खरीदारी की राशि 10 लाख रुपये से ज्यादा हो।
उदाहरण के लिए, अगर आप 12 लाख रुपये की लग्जरी वॉच खरीदते हैं, तो विक्रेता 12,000 रुपये (1% टीसीएस) वसूलेगा। यह राशि आपके इनकम टैक्स रिटर्न में समायोजित हो सकती है या रिफंड के रूप में वापस मिल सकती है।
बजट 2024 में हुआ था प्रावधान
जुलाई 2024 के केंद्रीय बजट में सरकार ने हाई-एंड खर्चों पर नजर रखने के लिए लग्जरी सामान पर टीसीएस लगाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, उस समय यह स्पष्ट नहीं था कि किन वस्तुओं को ‘लग्जरी’ माना जाएगा। अब सीबीडीटी की नई अधिसूचना ने लग्जरी आइटम्स की परिभाषा को साफ कर दिया है।
खरीदारों और विक्रेताओं पर क्या होगा असर?
खरीदार: लग्जरी सामान खरीदने वालों को अब 1% अतिरिक्त टीसीएस देना होगा, जिससे खरीदारी की लागत बढ़ेगी। हालांकि, यह राशि इनकम टैक्स रिटर्न में समायोजित हो सकती है।
विक्रेता: विक्रेताओं को टीसीएस वसूलने और इसे सरकार को जमा करने की जिम्मेदारी दी गई है। इससे उनके लिए अतिरिक्त कागजी कार्रवाई बढ़ सकती है।
लग्जरी सामान पर टीसीएस से सरकार को हाई-वैल्यू लेन-देन पर नजर रखने में मदद मिलेगी, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह नियम लग्जरी सामान की बिक्री को कैसे प्रभावित करता है।

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