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मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस: क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप? | New PaperDoll

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस: क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप?

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस: क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप?

सोशल मीडिया की दुनिया में एक बड़ा तूफान आया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की मालिक कंपनी मेटा और इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग पर मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस के तहत गंभीर आरोप लगे हैं। अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) ने मेटा पर सोशल मीडिया और मैसेजिंग मार्केट में अवैध एकाधिकार (मोनोपॉली) बनाने का आरोप लगाया है। इस केस की सुनवाई 14 अप्रैल 2025 को वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में शुरू हुई। अगर मेटा यह केस हारती है, तो 1.3 ट्रिलियन डॉलर की इस कंपनी का बंटवारा हो सकता है, और इंस्टाग्रामवॉट्सएप जैसी लोकप्रिय ऐप्स बिक सकती हैं।

आइए, इस मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस को आसान भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि इसका आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर क्या असर पड़ सकता है।


मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस क्या है?

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस की शुरुआत 2020 में हुई, जब FTC और अमेरिका के 46 राज्यों ने मेटा के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दायर किए। इनका आरोप है कि मेटा ने गलत तरीकों से सोशल मीडिया और मैसेजिंग मार्केट पर कब्जा किया।

  1. इंस्टाग्राम की खरीद (2012): मेटा (तब फेसबुक) ने तेजी से बढ़ रहे फोटो-शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम को 1 बिलियन डॉलर में खरीदा। FTC का कहना है कि यह खरीद प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए थी, न कि प्लेटफॉर्म को बेहतर करने के लिए।
  2. वॉट्सएप की खरीद (2014): मेटा ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप वॉट्सएप को 19 बिलियन डॉलर में खरीदा। इसका मकसद मैसेजिंग मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करना था।
  3. प्रतिस्पर्धा को दबाना: मेटा ने स्नैपचैट जैसे प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने की कोशिश की और छोटी कंपनियों को बढ़ने से रोका। इससे यूजर्स को नए और बेहतर ऐप्स के विकल्प नहीं मिले।

FTC ने सबूत के तौर पर मेटा के इंटरनल ई-मेल पेश किए, जिसमें मार्क जुकरबर्ग ने इंस्टाग्राम को फेसबुक के लिए खतरा बताते हुए इसे खरीदने की बात कही थी।


FTC के आरोप और मांगें

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस में FTC ने मेटा पर चार बड़े आरोप लगाए:

  1. Buy-or-Bury रणनीति: मेटा ने प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को या तो खरीद लिया या उन्हें बाजार से बाहर कर दिया।
  2. प्रतिस्पर्धियों को रोका: मेटा ने स्नैपचैट जैसे ऐप्स को कमजोर किया और उनके फीचर्स कॉपी किए।
  3. डेटा के जरिए कंट्रोल: मेटा ने यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल कर सोशल नेटवर्किंग मार्केट पर कब्जा किया।
  4. विज्ञापन बाजार में एकाधिकार: मेटा ने विज्ञापन बाजार पर कब्जा कर मनमाने रेट तय किए, जिससे कंपनियों को नुकसान हुआ।

FTC की मांगें:

  • मेटा को इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बेचने या अलग करने का आदेश।
  • भविष्य में ऐसी खरीद पर रोक, जो प्रतिस्पर्धा को कम करे।
  • मेटा की उन नीतियों को खत्म करना, जो छोटी कंपनियों को दबाती हैं।

मार्क जुकरबर्ग का जवाब

14 अप्रैल 2025 को कोर्ट में मार्क जुकरबर्ग ने मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस में मेटा का बचाव किया। उन्होंने कहा:

  • इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की खरीद से दोनों ऐप्स बेहतर हुए और यूजर्स को ज्यादा सुविधाएं मिलीं।
  • टिकटॉक, यूट्यूब, और स्नैपचैट जैसे ऐप्स की मौजूदगी से सोशल मीडिया मार्केट में कड़ा मुकाबला है, इसलिए मोनोपॉली का आरोप गलत है।
  • मेटा यूजर्स को फ्री ऐप्स देती है, और विज्ञापन यूजर्स को नए प्रोडक्ट्स की जानकारी देते हैं।
  • इंस्टाग्राम की खरीद का मकसद फेसबुक की मोबाइल रणनीति को मजबूत करना था।

सोशल मीडिया पर एकाधिकार क्यों गलत है?

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस में सोशल मीडिया पर एकाधिकार को अवैध माना गया है क्योंकि:

  • यह प्रतिस्पर्धा को कम करता है, जिससे यूजर्स को नए ऐप्स के विकल्प नहीं मिलते।
  • डेटा पर पूरा कंट्रोल होने से डेटा लीक का खतरा बढ़ता है।
  • कंपनियां मनमाने दाम वसूल सकती हैं, जिससे यूजर्स को नुकसान होता है।

उदाहरण के तौर पर, अगर एक दुकान पूरे बाजार पर कब्जा कर ले, तो ग्राहकों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। मेटा पर भी ऐसा ही आरोप है।


डोनाल्ड ट्रम्प का रोल

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस में डोनाल्ड ट्रम्प का नाम भी जुड़ा है। 2020 में कैपिटॉल हिल हमले के बाद मेटा ने ट्रम्प को फेसबुक और इंस्टाग्राम से बैन कर दिया था। हालांकि, 2023 में यह बैन हटा। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में उनके और जुकरबर्ग के रिश्ते बेहतर हुए हैं।

  • मेटा ने ट्रम्प के शपथ ग्रहण के लिए 1 मिलियन डॉलर का फंड दिया।
  • ट्रम्प समर्थकों को मेटा के बोर्ड में शामिल किया गया।
  • कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुकरबर्ग ने FTC से केस वापस लेने के लिए ट्रम्प के करीबियों से लॉबिंग की।

हालांकि, ट्रम्प ने अभी तक इस केस में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है।


क्या इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बिकेंगे?

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस का ट्रायल 37 दिनों तक चल सकता है। अगर फैसला मेटा के खिलाफ जाता है, तो इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेचना पड़ सकता है। लेकिन अपील और कानूनी प्रक्रिया में अभी 1-2 साल लग सकते हैं।

जुकरबर्ग का दावा है कि इन खरीदों से यूजर्स का अनुभव बेहतर हुआ है। साथ ही, ट्रम्प के साथ बेहतर रिश्ते मेटा के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसलिए, अभी इंस्टाग्राम और वॉट्सएप के बिकने की संभावना कम है।


आम आदमी पर असर

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस का आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। यह केस मेटा की नीतियों और एकाधिकार पर है, न कि यूजर्स के अकाउंट्स पर। अगर वॉट्सएप और इंस्टाग्राम बिकते हैं, तो नए मालिक इन ऐप्स को कैसे चलाते हैं, यह महत्वपूर्ण होगा। लेकिन यूजर्स के डेटा या अकाउंट्स के साथ छेड़छाड़ की संभावना कम है।


निष्कर्ष

मार्क जुकरबर्ग मोनोपॉली केस सोशल मीडिया की दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है। मेटा पर लगे अवैध एकाधिकार के आरोप गंभीर हैं, और इसका असर पूरी इंडस्ट्री पर पड़ सकता है। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बिकेंगे। यूजर्स के लिए राहत की बात है कि उनके अकाउंट्स सुरक्षित रहेंगे। इस केस पर नजर रखें, क्योंकि यह सोशल मीडिया के भविष्य को बदल सकता है।

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